MP: जबलपुर के मंदिरों में हिन्दू संगठनों ने लगाए पोस्टर, भारतीय संस्कृति के अनुरुप कपड़े पहनकर आए..!

MP: जबलपुर के मंदिरों में हिन्दू संगठनों ने लगाए पोस्टर

प्रेषित समय :19:16:31 PM / Sat, Jul 5th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

पलपल संवाददाता, जबलपुर. एमपी के जबलपुर में हिन्दू संगठनों ने मंदिरों में लगाए गए पोस्टर फिर एक बार चर्चा का विषय बन गए है. संगठनों द्वारा लगाए गए पोस्टर में लिखा था कि जो भी महिलाएं भगवान की पूजन-अर्चन करने के लिए मंदिरों में आए तो हमारे द्वारा बताए गए डे्रसकोड को ही पहनकर आए. संगठन का कहना है कि सावन में अधिकतर महिलाएं मंदिर में पूजा करने आती है. जिसके लिए ही पोस्टर लगाकर उनसे अपील की जा रही है. जबलपुर में ये पोस्टर महाकाल समितिए हिंदू सेवा परिषदए अंतरराष्ट्रीय बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने लगाए है. कार्यकर्ताओं का कहना है कि आने वाले दिनों में पूरे प्रदेश में फिर भारत के मंदिरों में ही पोस्टर देखने को मिलेगे.

बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने निवेदन करते हुए  पोस्टर में लिखा है कि मंदिर परिसर में भारतीय संस्कृति के अनुरुप ही कपड़े पहनकर प्रवेश करें, छोटे वस्त्र हाफ पैंट, बरमुडाए मिनी स्कर्ट, नाइट सूट, जींस-टॉप आदि पहनकर आने पर मंदिर के बाहर ही दर्शन करने होगें. बालिकाएं एवं महिलाएं मंदिर परिसर में सिर ढककर ही प्रवेश करें. इसे अन्यथा ना लें. भारतीय संस्कृति आपको ही बचाना है. हिंदू सेवा परिषद ने भी शहर के मंदिरों में पोस्टर लगाकर लिखा है कि सभी महिलाएं एवं पुरुष मंदिर में मर्यादित कपड़े में ही आए. महिलाएं विशेषत: आदर्श जनक कपड़े का उपयोग करे, जैसे साड़ी एवं सलवार सूट.  हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं का कहना है कि मंदिरों में जब महिलाएं अभद्र कपड़े पहन कर आती हैं, तब अन्य श्रद्धालुओं का ध्यान भी आकर्षित करती हैं. जो हमारी धार्मिक भावनाओं को कहीं ना कहीं ठेस पहुंचाने का भी काम करती हैं.

इतना ही नहीं महिलाओं को हिंदू धर्म में शक्ति के रूप में पूजा जाता है. ऐसे में महिलाओं से भारतीय परंपरा के अनुसार ही वस्त्र पहनने की अपील संगठन ने की है. जिससे किसी भी व्यक्ति की धार्मिक भावनाएं आहत न हो. हिन्दू संगठन के कार्यकर्ताओं का कहना है कि शुरुआत प्रदेश के जबलपुर से की गई है जिसके चलते अभी तक शहर भर के 40 से अधिक मंदिरों में जाकर पोस्टर चिपकाए गए है. महिलाओं से अपील की जा रही है कि भारतीय संस्कृति के लिए हमारा साथ दे. यदि महिलाओं को भारतीय संस्कृति के अनुरुप वस्त्र नहीं पहनना है तब उन्हे मंदिर परिसर के अंदर जाने से रोका जाए.

महिलाएं दर्शन करने जाती है तो आस्था के साथ जाती है-

इस मामले में जानकारों का कहना है कि मंदिर में जो भी महिलाएं दर्शन करने के लिए जाती है वो आस्था के साथ जाती है, ऐसे में जरुरी नहीं है कि डे्रसकोड हो तो भगवान के प्रति आस्था दिखाई देगी. कानून भी कहता है कि आप किसी को बाध्य नहीं कर सकते हो कि वो मंदिर क्या पहनकर आए और क्या नहीं. आप निवेदन या फिर अपील कर सकते है. सुप्रीम कोर्ट का अर्टिकल 26 में कहा है कि काशी विश्वनाथ और उत्तरप्रदेश सरकार के एक केस में कहा गया है कि मंदिर में आने-जाने व पूजा को लेकर नियम बनाए जा सकते है. जिसमें कपड़े की भी बाध्यता होगी पर इन नियमों में भेदभाव नहीं होना चाहिए. उन्होंने बताया कि साउथ में भी मंदिर में कुछ नियम बनाए गए है. जो कि पुरुष और महिलाएं दोनों के लिए होती है. मंदिर का ट्रस्ट या संस्था ही नियम बना सकती है ना कि कोई जनरल संस्था पोस्टर लगाकर बाध्य नहीं करती है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-