Supreme Court: केवल कानून बनाने पर नहीं मानी जा सकती अदालत की अवमानना, खारिज की याचिका!

Supreme Court: केवल कानून बनाने पर नहीं मानी जा सकती अदालत की अवमानना, खारिज की याचिका!

प्रेषित समय :20:45:24 PM / Wed, Jun 4th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

अभिमनोज
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि- यदि संसद या राज्य विधानसभा कोई कानून बनाती है, तो उसे अदालत की अवमानना नहीं माना जा सकता.
खबरों की मानें तो.... जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने उस अवमानना याचिका खारिज कर दिया, जिसे समाजशास्त्री और दिल्ली विश्वविद्यालय की पूर्व प्रोफेसर नंदिनी सुंदर व अन्य की ओर से दायर किया गया था.
खबरें हैं कि.... इस याचिका में छत्तीसगढ़ सरकार पर आरोप लगाया गया था कि उसने सुप्रीम कोर्ट के 2011 के आदेश का पालन नहीं किया, जिसमें छत्तीसगढ़ सरकार से कहा था कि- वह सलवा जुडूम जैसे गुटों को समर्थन देना बंद करे और आदिवासी लोगों को विशेष पुलिस अधिकारी बनाकर उन्हें हथियार देना बंद करे.
इस याचिका में कहा गया कि- सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना हुई है, क्योंकि छत्तीसगढ़ सरकार ने ’छत्तीसगढ़ सहायक सशस्त्र पुलिस बल अधिनियम, 2011’ बनाया है, जो माओवादियों/नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई में सुरक्षा बलों की मदद करेगा, इस कानून के अंतर्गत पहले मौजूद विशेष पुलिस अधिकारियों की नियुक्त को वैध बनाया गया है.
खबरों पर भरोसा करें तो.... सुप्रीम कोर्ट ने 15 मई 2025 को कहा था कि- यदि छत्तीसगढ़ सरकार ने अदालत के आदेश के बाद कोई नया कानून बनाया है, तो उसे अदालत की अवमानना नहीं माना जाएगा, मतलब.... नया कानून बनाना अदालत के आदेश का उल्लंघन नहीं है.
अदालत का कहना है कि- संविधान के उद्देश्य को पूरा करने के लिए कानून का शासन बनाए रखना जरूरी है और इसके लिए सरकार की अलग-अलग शाखाओं के बीच बहुत सावधानी से संतुलन बनाए रखना चाहिए, हर राज्य की विधानसभा को कानून बनाने का पूरा अधिकार होता है और जब तक किसी कानून को संविधान के खिलाफ या गैरकानूनी घोषित नहीं किया जाता, तब तक वह कानून की ताकत रखता है.
यही नहीं, अदालत का यह भी कहना है कि- यदि किसी को लगता है कि कोई कानून असांविधानिक है, तो वह अदालत में जाकर उसे चुनौती दे सकता है, अर्थात.... ऐसा कानून को हटाने के लिए न्यायिक प्रक्रिया अपनानी होगी!

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-