प्रधानमंत्री मोदी-राहुल के चुनावी भाषणों पर ईसी का नोटिस, नफरत फैलाने का आरोप, पार्टी अध्यक्षों से 29 अप्रेल तक जबाव मांगा

प्रधानमंत्री मोदी-राहुल के चुनावी भाषणों पर ईसी का नोटिस, नफरत फैलाने का आरोप, पार्टी अध्यक्षों से 29 अप्रेल तक जबाव मांगा

प्रेषित समय :18:49:45 PM / Thu, Apr 25th, 2024
Reporter : reporternamegoeshere
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नई दिल्ली.  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व राहुल गांधी के भाषणों पर चुनाव आयोग ने आज नोटिस जारी किया. यह नोटिस आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों पर लोक प्रतिनिधित्व कानून 1951 के सेक्शन 77 के तहत जारी किया गया है. आयोग ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा व कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े से 29 अप्रैल सुबह 11 बजे तक जवाब मांगा है.

चुनाव आयोग से प्रधानमंत्री मोदी व राहुल गांधी के भाषण में आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत की गई थी. शिकायत में कहा गया कि ये लीडर्स धर्म, जाति, समुदाय व भाषा के आधार पर लोगों को बांटने व नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं. पीएम मोदी ने को राजस्थान के बांसवाड़ा में कहा था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो लोगों की संपत्ति को ज्यादा बच्चे वालों में बांट देगी. साथ ही पीएम ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की उस टिप्पणी का भी जिक्र किया था. जिसमें उन्होंने कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार अल्पसंख्यकों का है. कांग्रेस ने इस बयान को विभाजनकारी, दुर्भावना से भरा व समुदाय विशेष को टारगेट करने वाला बताया. पार्टी ने कहा कि चुनाव आयोग  संपत्ति का बंटवारावाले बयान पर एक्शन ले. पीएम के संपत्ति जब्त करने वाले बयान के खिलाफ कांग्रेस और सीपीआईएम ने अलग-अलग शिकायत दर्ज कराई थी. इसी तरह राहुल ने 12 अप्रैल को केरल की चुनावी सभा में गरीबी बढऩे की बात कही थी. उन्होंने यह भी कहा था कि 22 लोग भारत के 70 करोड़ लोगों से ज्यादा अमीर हैं. साथ ही उन्होंने कहा था कि अगर उनकी सरकार आती है तो एक झटके में गरीबी खत्म हो जाएगी. जिसपर भाजपा ने नीति आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में करीब 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठे हैं. राहुल गरीबी बढऩे का झूठा दावा कर रहे हैं.

चुनाव आयोग ने दोनों पार्टी अध्यक्षों को जिम्मेदार माना-

ये शिकायतें मिलने के बाद चुनाव आयोग ने स्टार प्रचारकों की फौज उतारने के लिए पहली नजर में पार्टी अध्यक्षों को ही जिम्मेदार ठहराया है. आयोग ने कहा  अपने प्रत्याशियों के कामों के लिए राजनीतिक दलों को ही पहली जिम्मेदारी उठानी चाहिए खास तौर पर स्टार कैंपेनर्स के मामले में. ऊंचे पद पर बैठे लोगों के चुनावी भाषणों का असर ज्यादा गंभीर होता है.ष्

इस अधिनियम के तहत जारी हुए नोटिस-

भारत में लोकसभा, राज्यसभा व विधानसभा चुनाव लडऩे वाले प्रत्याशियों के लिए कुछ नियम तय किए गए हैं. इन्हें 1951 में बनाए गए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम में डिफाइन किया गया है. इनमें एक हिस्सा चुनावी आचार संहिता का है. चुनाव के समय हर कैंडिडेट को इसका पालन करना होता है. किसी भी जगह आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत मिलने पर चुनाव आयोग एक्शन लेता है.

आप नेता आतिशी को भी भेजा है नोटिस-

चुनाव आयोग ने 5 अप्रैल को आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी सिंह को भी नोटिस जारी किया था. आतिशी ने कहा था कि उन्हें भाजपा में शामिल होने का ऑफर मिला था. ऐसा न करने पर जेल भेजने की धमकी दी गई थी. चुनाव आयोग ने इसकी सच्चाई पर सवाल खड़े किए थे. तेलंगाना के पूर्व सीएम चंद्रशेखर राव ने कांग्रेस नेताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. इसे लेकर भी चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस भेजा था. कांग्रेस के गणेश गोदियाल और रघुबीर सिंह कदियान को भी चुनाव आयोग नोटिस भेज चुका है.
 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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