देश के 600 से ज्यादा अधिवक्ताओं ने सीजेआई को लिखा पत्र, कहा न्यायपालिका खतरे में है, राजनैतिक-व्यवसायिक दबाव से बचना होगा

देश के 600 से ज्यादा अधिवक्ताओं ने सीजेआई को लिखा पत्र, कहा न्यायपालिका खतरे में है, राजनैतिक-व्यवसायिक दबाव से बचना होगा

प्रेषित समय :16:42:17 PM / Thu, Mar 28th, 2024
Reporter : reporternamegoeshere
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नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को देश के पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे सहित 600 से ज्यादा वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने चिट्ठी लिखी है. जिसमें कहा गया है कि न्यायपालिका खतरे में है. इसे राजनीतिक और व्यवसायिक दबाव से बचाना होगा.

अधिवक्ताओं ने आगे लिखा कि न्यायिक अखंडता को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है. हम वो लोग हैं जो कानून को कायम रखने के लिए काम करते हैं. हमारा यह मानना है कि हमें अदालतों के लिए खड़ा होना होगा. अब साथ आने व आवाज उठाने का वक्त है. उनके खिलाफ बोलने का वक्त है जो छिपकर वार कर रहे हैं. हमें निश्चित करना होगा कि अदालतें लोकतंत्र का स्तंभ बनी रहें. इन सोचे-समझे हमलों का उन पर कोई असर ना पड़े. खबर है कि सीजेआई चंद्रचूड़ को चि_ी लिखने वाले 600 से ज्यादा वकीलों में हरीश साल्वे के अलावा बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन मिश्रा, अदिश अग्रवाल, चेतन मित्तल, पिंकी आनंद, हितेश जैन, उज्ज्वला पवार, उदय होल्ला व  स्वरूपमा चतुर्वेदी शामिल हैं. अधिवक्ताओं ने लिखा है कि रिस्पेक्टेड सर हम सभी आपके साथ अपनी बड़ी चिंता साझा कर रहे हैं.

एक विशेष समूह न्यायपालिका पर दबाव डालने की कोशिश कर रहा है. यह ग्रुप न्यायिक व्यवस्था को प्रभावित कर रहा है और अपने घिसे-पिटे राजनीतिक एजेंडे के तहत उथले आरोप लगाकर अदालतों को बदनाम करने की कोशिश कर रहा है. उनकी इन हरकतों से न्यायपालिका की पहचान बताने वाला सौहार्द्र और विश्वास का वातावरण खराब हो रहा है. राजनीतिक मामलों में दबाव के हथकंडे आम बात हैं. खास तौर से उन मामलों  में जिनमें कोई राजनेता भ्रष्टाचार के आरोप में घिरा है. ये हथकंडे हमारी अदालतों को नुकसान पहुंचा रहे हैं और लोकतांत्रिक ढांचे के लिए खतरा हैं. ये विशेष समूह कई तरीके से काम करता है. ये हमारी अदालतों के स्वर्णिम अतीत का हवाला देते हैं और आज की घटनाओं से तुलना करते हैं.

ये महज जानबूझकर दिए गए बयान हैं ताकि फैसलों को प्रभावित किया जा सके और राजनीतिक फायदे के लिए अदालतों को संकट में डाला जा सके. यह देखकर परेशानी होती है कि कुछ वकील दिन में किसी राजनेता का केस लड़ते हैं और रात में वो मीडिया में चले जाते हैं ताकि फैसले को प्रभावित किया जा सके. ये बेंच फिक्सिंग की थ्योरी भी गढ़ रहे हैं. यह हरकत ना केवल हमारी अदालतों का असम्मान है बल्कि मानहानि भी है. यह हमारी अदालतों की गरिमा पर किया गया हमला है. माननीय न्यायाधीशों पर भी हमले किए जा रहे हैं. उनके बारे में झूठी बातें बोली जा रही हैं. ये इस हद तक नीचे उतर आए हैं कि हमारी अदालतों से उन देशों की तुलना कर रहे हैं जहां कानून नाम की चीज नहीं है. हमारी न्यायपालिका पर अन्यायपूर्ण कार्यवाही का आरोप लगाया जा रहा है.

इनका दोहरा चरित्र है-

ये देखकर हैरत होती है कि राजनेता किसी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हैं फिर अदालतों में उन्हें बचाने पहुंच जाते हैं. अगर अदालत का फैसला उनके पक्ष में नहीं जाता है तो वे कोर्ट के भीतर ही कोर्ट की आलोचना करते हैं. बाद में मीडिया में पहुंच जाते हैं. आम आदमी के मन में हमारे लिए जो सम्मान है उसके लिए ये दोहरा चरित्र खतरा है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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