प्रदीप द्विवेदी. नीतीश कुमार पलटी मारकर फिर से बिहार के मुख्यमंत्री तो बन गए हैं, लेकिन सियासी खेला अभी खत्म नहीं हुआ है, बल्कि और भी दिलचस्प हो गया है?
अभी बहुमत साबित करना है, मंत्रिमंडल का दबाव अलग है, तो.... एनडीए में भी विरोधियों की कमी नहीं है!
याद रहे, एनडीए की सरकार बनाने के बाद तेजस्वी यादव ने कहा था कि- बिहार में अभी खेला बाकी है?
खबरों की मानें तो.... चार विधायकों वाले हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी का कहना है कि- हमें दो मंत्री पद चाहिए, अन्यथा हमारे साथ नाइंसाफी होगी, हमें मुख्यमंत्री पद तक का ऑफर आया था, लेकिन हम झुके नहीं क्योंकि हम बिकाऊ नहीं हैं?
दरअसल, बिहार में बहुमत करीब आधा दर्जन विधायकों पर निर्भर है, आधा दर्जन विधायकों का सियासी दिल बदला तो सरकार बदल जाएगी?
इस वक्त बिहार की राजनीति में सबसे ताकतवर नेता तेजस्वी यादव हैं, जिन्होंने पिछले विधानसभा में सबसे ज्यादा सीटें हासिल करके सभी को सियासी आईना दिखा दिया था?
याद रहे, तब भी नीतीश कुमार एनडीए में थे और मुख्यमंत्री थे!
नीतीश कुमार को इस बार कई सियासी परीक्षाएं देनी हैं....
1. बिहार विधानसभा में बहुमत साबित करना है.
2. मंत्रिमंडल के विस्तार में सबको साधना है.
3. अपने दल जेडीयू को टूटने से बचाना है.
4. लोकसभा चुनाव 2024 में पिछली बार के बराबर सीटें हासिल करना है.
5. केंद्र के निर्णय के कारण बिहार बीजेपी खामोश है, लेकिन नीतीश कुमार का बड़ा विरोध है, ऐसे ही एनडीए के कई दल नाराज हैं कि- नीतीश कुमार के कारण लोकसभा चुनाव 2024 में उनकी हिस्सेदारी कम हो जाएगी, ऐसे ही विधानसभा चुनाव में भी उन्हें कम सीटें मिलेंगी.
6. सबसे बड़ी बात- नेता तो बार-बार दल बदल सकते हैं, जनता बार-बार कैसे मन बदलेगी?
देश के प्रमुख कार्टूनिस्ट चंद्रशेखर हाड़ा @CartoonistHada ने नीतीश कुमार की पलटी मारने पर कुछ इस तरह से व्यंग्यबाण चलाए हैं....
https://twitter.com/CartoonistHada/status/1751475980693352757/photo/1
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