अभिमनोज. संसद के विशेष सत्र में बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी की बीएसपी सांसद दानिश अली पर की गई अमर्यादित और आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद हंगामा जरूर खड़ा हो गया है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि- ऐसी स्तरहीन भाषा को रोकने की जिम्मेदारी किसकी है?
पीएम नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार इस तरह के स्तरहीन आचरण की जिम्मेदारी से बच कैसे सकते हैं?
इतना ही नहीं, गंभीर बात यह भी है कि अमर्यादित आचरण के मामले में कार्रवाई भी पक्षपातपूर्ण होती है?
यह पहला मौका नहीं है जब सदन और सदन के बाहर अमर्यादित भाषा का उपयोग हुआ हो, लेकिन बड़े नेताओं ने कभी भी इस तरह की भाषा को रोकने का प्रयास नहीं किया, बल्कि मौन समर्थन ही किया है, जिसका नतीजा है कि आजकल नेता महात्मा गांधी को लेकर भी अमर्यादित टिप्पणी करने में पीछे नहीं हैं और बड़े नेता मन से माफ नहीं करेंगे, कह कर बच निकलते हैं?
सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि.... भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी जब बसपा सांसद कुंवर दानिश अली के विरुद्ध आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल कर रहे थे, इस दौरान संसद में उनके बगल में बैठे बीजेपी के वरिष्ठ नेता हर्षवर्धन को हंसते हुए नजर आए, जिसके बाद उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है.
यह बात अलग है कि, मौके की नजाकत समझते हुए हर्षवर्धन ने बयान जारी कर सफाई दे दी है, उन्होंने बयान जारी कर कहा कि- मैंने ट्विटर पर अपना नाम ट्रेंड होते देखा है, जहां लोगों ने मुझे इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में बेवजह घसीटा है, जहां दो सांसद सदन में एक-दूसरे के खिलाफ असंसदीय भाषा का इस्तेमाल कर रहे थे, हमारे वरिष्ठ और सम्मानित नेता राजनाथ सिंह पहले ही दोनों पक्षों द्वारा इस तरह की अनुचित भाषा के उपयोग की निंदा कर चुके हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि- मैं अपने मुस्लिम दोस्तों से पूछता हूं, जो आज सोशल मीडिया पर मेरे खिलाफ लिख रहे हैं, क्या वे वास्तव में मानते हैं कि मैं कभी भी ऐसी अपमानजनक भाषा के इस्तेमाल में भागीदार बन सकता हूं, जो किसी एक समुदाय की संवेदनाओं को ठेस पहुंचाती हो?
यही नहीं, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने रमेश बिधूड़ी के बयान के लिए माफी मांगी है.
उधर, दानिश अली ने रमेश बिधूड़ी के खिलाफ शु्क्रवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखा और मामले को विशेषाधिकार समिति के पास भेजने का आग्रह किया है.
खबरों की मानें तो..... अली ने पत्र में कहा है कि वह बीजेपी सांसद बिधूड़ी के खिलाफ नियम 222, 226 और 227 के तहत नोटिस देना चाहते हैं, मैं आपसे आग्रह करता हूं कि नियम 227 के तहत इस मामले को विशेषाधिकार समिति के पास भेजा जाए, मेरा आग्रह है कि इस मामले में जांच का आदेश दिया जाए.
भाषा का अमर्यादित उपयोग करनेवाले नेता सभी दलों में हैं, लिहाजा हर दल के प्रमुख की यह जिम्मेदारी है कि उसके दल के सदस्य अमर्यादित आचरण नहीं करें!
Wg Cdr Anuma Acharya (Retd) @AnumaVidisha
एक नये धृतराष्ट्र!
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