तेहरान/काबुल. अफगानिस्तान और ईरान की सेनाएं रविवार को बॉर्डर पर भिड़ गईं. दोनों देशों के बीच इस्लामिक रिपब्लिक बॉर्डर पर भारी गोलीबारी हुई. ये लड़ाई ईरान के सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत और अफगानिस्तान के निमरोज प्रांत की सीमा पर हुई. इसमें तालिबान के एक लड़ाके और ईरानी आर्मी के 3 सैनिकों की मौत हो गई.
दोनों देशों के बीच हेलमंद नदी के पानी पर अधिकार को लेकर विवाद है. ईरानी मीडिया ने तालिबान को पहले गोलीबारी शुरू करने का जिम्मेदार ठहराया. वहीं तालिबान के मुताबिक, इस जंग की शुरुआत ईरान ने की थी. तालिबान के एक कमांडर हामिद खोरासानी ने कहा- अगर तालिबानी नेताओं ने मंजूरी दी तो हम 24 घंटे के अंदर ईरान पर जीत हासिल कर लेंगे.
तालिबान बोला- ईरान को तालिबान का शुक्रगुजार होना चाहिए
तालिबानी कमांडर और पक्तिया प्रांत के अहमदाबाद जिले के पूर्व गवर्नर अब्दुल हामिद खोरासानी ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया है. इसमें उन्होंने कहा- जिस उत्साह के साथ हम अमेरिकियों के खिलाफ लड़े थे, उससे कहीं ज्यादा जोश के साथ हम ईरान के खिलाफ लड़ेंगे. ईरान को तालिबानी नेताओं के धैर्य का शुक्रगुजार होना चाहिए. अगर तालिबान के सीनियर नेता हमें इजाजत देते हैं, तो हम ईरान पर जीत हासिल कर लेंगे.
ईरान बोला- हमारी सेना हर हमले का जवाब देगी
दूसरी तरफ, ईरान ने भी लड़ाई में तालिबान को हराने का संकल्प लिया है. ईरान के पुलिस चीफ अहमदरजा रदान ने कहा- हमारी बॉर्डर फोर्स हर हमले का जवाब देगी. अफगानिस्तान को अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करने का खामियाजा भुगतना पड़ेगा. उसे अपने एक्शन्स का जवाब देना होगा.
तालिबान अमेरिकी हथियारों का इस्तेमाल कर रहा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तालिबान इस लड़ाई में मिसाइल, तोपों और मशीन गन्स का इस्तेमाल कर रहा है. सोशल मीडिया पर जंग से जुड़े कई वीडियो वायरल हो रहे हैं. इनमें बॉर्डर के पास सड़कों पर बख्तरबंद गाडिय़ां भी नजर आ रही हैं. इनमें से ज्यादातर हथियार 2021 में तालिबान के कब्जे के बाद अमेरिकी सेना वहां छोड़ गई थी.
ईरान का 97 प्रतिशत हिस्सा सूखे की चपेट में है
हृ के फूड और एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक, ईरान में पिछले 30 सालों से सूखे की समस्या रही है, लेकिन पिछले कुछ सालों से हालात बदतर होते जा रहे हैं. ईरान में अब करीब 97 प्रतिशत हिस्सा कुछ हद तक सूखे का सामना कर रहा है. ईरान में हर साल 240 से 280 मिलीमीटर ही बरसात हो पाती है. ये वैश्विक औसत 990 मिलीलीटर से काफी नीचे है.
ईरान में दुनिया की करीब एक फीसद आबादी रहती है, लेकिन यहां दुनिया के ताजा पानी का सिर्फ 0.3 प्रतिशत ही है. वहीं बारिश से मिलने वाला 66 प्रतिशत पानी भी नदियों में शामिल होने से पहले ही भाप बनकर उड़ जाता है.
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