#ModiHataoDeshBachao प्रिंटिंग प्रेस अधिनियम! पल-पल इंडिया ने 2016 में व्यंग्यबाण चलाए थे.... हम अंग्रेजों के जमाने के कानून हैं?

#ModiHataoDeshBachao प्रिंटिंग प्रेस अधिनियम! पल-पल इंडिया ने 2016 में व्यंग्यबाण चलाए थे.... हम अंग्रेजों के जमाने के कानून हैं?

प्रेषित समय :21:40:03 PM / Wed, Mar 22nd, 2023

प्रदीप द्विवेदी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध में देश की राजधानी में लगे पोस्टरों पर दिल्ली पुलिस ने 138 प्राथमिकी दर्ज की हैं और 6 लोगों को गिरफ्तार किया है?
खबरों की मानें तो.... दिल्ली के कई हिस्सों में दीवारों और खंभों पर ऐसे पोस्टर चिपके पाए गए थे जिन पर “मोदी हटाओ, देश बचाओ” छपा था!
कमाल की बात यह है कि- जो छपा है वह आपत्तिजनक नहीं है, आपत्ति यह है कि.... इन पोस्टरों पर प्रिंटर का नाम नहीं है?
याद रहे, अंग्रेजों के जमाने में एकसाथ बहुत सारे कागज छापने का एक ही तरीका था- साइक्लोस्टाइल, प्रिंटिंग प्रेस, लिहाजा अंग्रेजों के जमाने के इस कानून के घेरे में बेचारी अकेली प्रिंटिंग प्रेस ही है, उसके बाद जन्म लेनेवाले- फोटोकॉपी, सोशल मीडिया प्लेटफार्म, जो लाखों लोगों तक पहुंच सकते हैं, वे सब मजे में हैं?
उल्लेखनीय है कि सत्तर के दशक में आपातकाल के दौरान बड़े गर्व से कानून को तोड़ कर सरकार विरोधी साइक्लोस्टाइल अखबार निकलते थे, कौन निकालता था, यह जगजाहिर है साहेब!
पल-पल इंडिया का 2016 में सवाल था.... क्या सारे कायदे-कानून प्रेस के लिए ही हैं?

सारी दुनिया को हक दिलाने में सबसे आगे रहनेवाली प्रेस... प्रिंट मीडिया, शुरुआत से लेकर अब तक, इसके लिए तब से बने कानून-कायदों के दायरे में ही चल रही है और अपने हक के लिए कुछ नहीं कर पा रही है!
आजादी के दौर में अंग्रेजों को सबसे बड़ा खतरा प्रिंट मीडिया से ही था क्योंकि तब अकेली प्रेस ही थी जो काफी संख्या में कागज छाप कर अपनी बात का प्रचार-प्रसार कर सकती थी और इसीलिए प्रिंटिंग प्रेस तथा अखबार के लिए घोषणा पत्र देना होता था.
अखबार छापने के लिए प्रेस रजिस्ट्रार से स्वीकृति लेनी होती थी, जो व्यवस्था अब तक जारी है!
आजादी के पहले तो ऐसा भी समय था जब अखबार पढ़ने के जुर्म में, बांसवाड़ा के पहले प्रधानमंत्री और मुंबई, उदयपुर एवं बांसवाड़ा से अखबार प्रकाशित करनेवाले, स्वतंत्रता सेनानी भूपेन्द्रनाथ त्रिवेदी को सजा मिली थी!
सातवें दशक तक मीडिया के नाम पर प्रिंट मीडिया... अखबार था और सरकारी नियंत्रणवाली आकाशवाणी थी.
बाद में प्रिंटिंग के नए-नए तरीके आते गए लेकिन उन पर कोई कानून नहीं लगा. साइक्लोस्टाइल, स्क्रीन प्रिंटिंग, कंप्यूटर प्रिंटिंग से लेकर फोटोकॉपी तक में हजारों की संख्या में कागज छापने की क्षमता होने के बावजूद प्रेस के कानून-कायदों से मुक्त रहे!
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया आने के बाद कुछ भी दिखाने की आजादी टीवी को मिल गई लेकिन प्रिंट मीडिया अपने कानून-कायदे के घेरे में ही खड़ा रहा!
व्हॉट्सएप, फेसबुक जैसे प्लेटफार्म ने तो सार्वजनिक तौर पर अपनी बात कहने की सारी मर्यादाएं ही खत्म कर दी हैं!
यहां कुछ भी कहने की आजादी है, न कोई कानून और न कोई स्वीकृति चाहिए?
बगैर सबूत के किसी के भी खिलाफ जो मर्जी आए प्रकाशित कर सकते हैं?
यही वजह है कि  व्हाट्सएप, फेसबुक जैसे सोशल मीडिया के आने के बाद अफवाहों और समाचारों का फर्क ही खत्म होता जा रहा है!
हजारों लोगों तक पहुंचने वाले अखबार को छापने के लिए घोषणा पत्र भरना पड़ता है लेकिन लाखों लोगों तक पहुंचने वाली व्हाट्सएप, फेसबुक आदि पर जानकारी के लिए किसी की स्वीकृति नहीं चाहिए, क्यों?
अब समय आ गया है प्रेस के लिए बने कानून-कायदों और व्यवस्थाओं की समीक्षा का... या तो सारे मीडिया के लिए एकजैसे कानून बनें या सब को एकजैसी आजादी मिले... वरना पुराने कानून-कायदों और व्यवस्थाओं में कैद प्रिंट मीडिया अपना वजूद खो देगा!

https://palpalindia.com/2022/07/11/Delhi-Media-Law-Political-Promotion-Printing-Press-Newspaper-news-in-hindi.html

आमतौर पर कुल्हाड़ी पैर पर मारने की गलती होती है, लेकिन पोस्टर के मामले में तो कुल्हाड़ी पर ही पैर दे मारा है?
इस पर देश के प्रमुख कार्टूनिस्ट सतीश आचार्य ने शानदार व्यंग्यबाण चलाए हैं....
मोदी हटाओ, देश बचाओ पर मजेदार कमेंट....
Sakshi @ShadowSakshi
दूध फटने पर वही घबराता है, जिसको रसगुल्ले नहीं बनाने आते!
https://twitter.com/ShadowSakshi/status/1638533410028232704
Sandeep Singh @ActivistSandeep
बताया जा रहा है पोस्टर 56 इंची है !
https://twitter.com/i/status/1638557328642572291
RAVAL KALPESH S @Ravalkalpesh_s
पोस्टर फट जाता है... ये तो मालूम था, पर
पोस्टर से भी..!

INDIAN @_Sweet_Parul_
पोस्टर्स की कड़ी निंदा....
#ModiHataoDeshBachao
https://twitter.com/_Sweet_Parul_/status/1638500612303360000/photo/1
Bhagat Ram @bhagatram2020
जितना भी विरोध करना है करो लेकिन पोस्टर पर ऐसा नहीं लिखना चाहिए था!
पोस्टर पर अगर 'चोर हटाओ देश बचाओ' लिखते तब भी तो सेम ही बात होती.... तो ऐसा नहीं लिखना चाहिए था!!
काहे धमाल मचा रहा है.. #चौकीदार_ही_चोर_है ? कोई लाख करे चतुराई, करम का लेख मिटे ना रे भाई!  
https://twitter.com/Pradeep80032145/status/1621357345132666880

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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