दत्त जयंती, मार्गशीर्ष पूर्णिमा और महालक्ष्मी योग

दत्त जयंती, मार्गशीर्ष पूर्णिमा और महालक्ष्मी योग

प्रेषित समय :21:53:49 PM / Tue, Dec 6th, 2022

ब्रम्हा, विष्णु और महेश के अवतार भगवान दत्तात्रेय का प्राकट्य मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन हुआ था, इस दिन पुरे देश मे भगवान दत्तात्रेय का जन्मोत्सव मनाया जाता है, भगवान विष्णु का यह ज्ञान अवतार था, इस अवतार मे उन्होंने किसी का वध नही किया.
इस बार महालक्ष्मी योग और पूर्णिमा-इस बार मार्गशीर्ष पूर्णिमा के साथ चंद्र मंगल का महालक्ष्मी योग भी बन रहा है, जिस कारण इस दिन किया गया  सत्यनारायण व्रत लक्ष्मी जी की कृपा के अलावा भगवान दत्त की कृपा भी दिलवायेगी.
 इस बार मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत 7 या 8 दिसंबर  मुहूर्त और पूजा विधि-मार्गशीर्ष की पूर्णिमा खास महत्व रखती है. इसी दिन भगवान दत्तात्रेय की जयंती मनाई जाएगी. इस साल पूर्णिमा तिथि 7 और 8 दिसंबर 2022 दो दिन है, हिंदू पंचांग के अनुसार पूर्णिमा का दिन प्रत्येक माह का आखिरी दिन होता है. अभी मार्गशीर्ष महीना चल रहा है, ये भगवान श्रीहरि के अवतार कृष्ण को समर्पित है वहीं पूर्णिमा तिथि पर भगावन विष्णु की पूजा की जाती है. ऐसे में मार्गशीर्ष की पूर्णिमा खास महत्व रखती है.ऐसा माना जाता है की कि पूर्णिमा पर व्रत रखकर भगवान सत्यनारायण की कथा करने से देवी लक्ष्मी अति प्रसन्न होती है. मार्गशीर्ष की पूर्णिमा पर ही त्रिदेव(ब्रह्मा, विष्णु, महेश) के अंश भगवान दत्तात्रेय का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है. इस साल पूर्णिमा तिथि 7 और 8 दिसंबर 2022 दो दिन है, पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि 7 दिसंबर 2022 की सुबह 8 बजे पर शुरू होगी और 8 दिसंबर 2022 को सुबह 9 बजकर 40 मिनट समाप्त  होगी, 8 दिसंबर को पूर्णिमा तिथि सुबह साढ़े नौ बजे ही समाप्त हो रही है ऐसे में उदयातिथि और पूर्णिमा तिथि का अधिकतर समय 7 दिसंबर 2022 को होने से इसी दिन व्रत रखना उत्तम रहेगा.
मागर्शीर्ष पूर्णिमा इस साल बेहद खास संयोग में मनाई जाएगी. इस दिन तीन शुभ योग सर्वार्थ सिद्धि, रवि और सिद्ध योग का संयोग बन रहा है. जिसमें स्नान, दान, जप, तप करना पुण्यकारी माना जाता है.
रवि योग - सुबह 07.03 - सुबह 10.25
सर्वार्थ सिद्धि योग - पूरे दिन
सिद्ध योग - 7 दिसंबर 2022, सुबह 02:53 - 8 दिसंबर 2022, सुबह 02.55
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पूजा विधि
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदी या फिर उसके जल से स्नान करना चाहिए. भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत का संकल्प लें.संभव हो तो पूजा वाली जगह पर गाय के गोबर से लेपन करें. गंगाजल छिड़कें, लक्ष्मी-नारायण का पंचामृत से अभिषेक करें. चंदन, अष्टगंध, रोली, मौली, पुष्प, गुलाल, अबीर, सिंदूर, फल, मिठाई, अर्पित.
श्रीहरि के भोग में तुलसीदल अवश्य डाले, लेकिन माता लक्ष्मी को प्रसाद चढ़ाते वक्त तुलसी का पत्ता नहीं डालना चाहिए, शास्त्रों में इसे अनुचित माना है.
धी का दीपक लगाकर भगवान सत्यनारायण की कथा करें. पूजा के समय  ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय और कृं कृष्णाय नम: मंत्रों का जाप अवश्य करें. मंत्र जाप से भक्त की पूजा जल्द सफल होती है.
गरीबों में अपनी क्षमतानुसार  धन, अनाज, ऊनी वस्त्रों का दान जरूर करें. गौशाला में गाय की सेवा करें. कहते हैं मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर किया दान अन्य पूर्णिमा की तुलना में 32 गुना फलदायी होता है, इसलिए इसी बत्तीसी पूर्णिमा भी कहते हैं.
पुराणों के अनुसार अनुसुइया और अत्रि मुनि की पुत्र भगवान दत्तात्रेय का जन्म मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर प्रदोष काल में हुआ था. ऐसे में शाम के समय भगवान दत्तात्रेय का षोडोपचार से पूजन करें. इनकी पूजा करने पर त्रिदेवों का आशीर्वाद एक साथ मिलता है.
व्रत के दिन व्रती को दोपहर में सोना नहीं चाहिए. रात में चंद्र देव की पूजा करें. दूध और चीनी मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य दें. इससे तरक्की के मार्ग खुलते हैं.
विशेष - पूर्णिमा और महालक्ष्मी योग मे विधि विधान से किया गया पूजन, दान आपको विशेष रूप शुभ फल देने मे समर्थ है, इसे अवश्य करना चाहिए.

पंडित चंद्रशेखर नेमा "हिमांशु
      9893280184

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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