दुनिया के एकमात्र शाकाहारी मगरमच्छ की मौत, चावल-गुड़ का प्रसादम खाता था, केरल के मंदिर में 70 साल से रहता था

दुनिया के एकमात्र शाकाहारी मगरमच्छ की मौत, चावल-गुड़ का प्रसादम खाता था, केरल के मंदिर में 70 साल से रहता था

प्रेषित समय :20:07:26 PM / Mon, Oct 10th, 2022

तिरुवनंतपुरम. दुनिया के इकलौते शाकाहारी मगरमच्छ का केरल में निधन हो गया. 70 साल से यह मगरमच्छ कासरगोड जिले के श्रीअनंतपद्मनाभस्वामी मंदिर की झील में रहता था. अनंतपुरा झील में रहकर मंदिर परिसर की रखवाली करता था. पुजारियों ने हिंदू रीति-रिवाज से मगरमच्छ की अंतिम यात्रा निकाली. परिसर के पास ही उसे दफनाया.

मगरमच्छ को प्यार से बाबिया कहा जाता था. वह मंदिर में चढ़ाए जाने वाले चावल-गुड़ के प्रसादम को खाता था. बाबिया शनिवार से लापता था. रविवार रात करीब 11.30 बजे उसका शव झील में तैरता मिला. इसके बाद मंदिर प्रशासन ने पशुपालन विभाग और पुलिस को सूचना दी.

मगरमच्छ को देखने के लिए उमड़ी भीड़

मगरमच्छ को अंतिम बार देखने के लिए कई राजनेता और सैकड़ों लोग पहुंचे. भीड़ ज्यादा बढऩे लगी तो शव को झील से हटाकर खुली जगह में रख दिया गया.

अंतिम दर्शन करने के लिए केंद्रीय राज्य मंत्री पहुंचे

बाबिया को देखने के लिए केंद्रीय राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे भी पहुंची. उन्होंने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि मगरमच्छ 70 सालों से मंदिर में रहता था. भगवान उसे मोक्ष दे. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने कहा कि लाखों भक्तों ने भगवान की छवि देखते हुए मगरमच्छ के दर्शन किए. बाबिया को भावपूर्ण श्रद्धांजलि.

मगरमच्छ को चावल पसंद थे

पुजारियों का दावा है कि मगरमच्छ पूरी तरह से शाकाहारी था और झील में मछली या अन्य जीवों को नहीं खाता था. बाबिया एक गुफा में रहता था. दिन में दो बार मंदिर के दर्शन के लिए गुफा से निकलता था और थोड़ी देर टहलने से बाद अंदर चला जाता था.

मगरमच्छ मंदिर में चढ़ाया जाने वाला प्रसाद ही खाता था. उसे पके चावल और गुड़ बेहद पसंद था. कई लोग मंदिर में भगवान के दर्शन के अलावा बाबिया को देखने आते थे और अपने हाथों से उसे चावल खिलाते थे. लोग का दावा है कि मगरमच्छ ने आजतक किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाया.

मगरमच्छ का रहस्यमयी इतिहास

मान्यता है कि सदियों पहले एक महात्मा इसी मंदिर में तपस्या कर रहे थे. तभी भगवान श्री कृष्ण बच्चे का रूप रखकर महात्मा को परेशान करने लगे. इस बात से नाराज होकर महात्मा ने कृष्ण को तालाब में धक्का दे दिया. जब उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ तो भगवान को ढूंढने लगे, लेकिन पानी में कोई नहीं मिला.

इस घटना के बाद पास में एक गुफा दिखाई दी. लोगों का मानना है कि इसी गुफा से भगवान गायब हो गए थे. कुछ दिनों बाद यहां से मगरमच्छ आने-जाने लगा. मंदिर के आसपास रहने वाले वृद्धों का कहना है कि झील में रहने वाला यह तीसरा मगरमच्छ था. वहां पर एक ही मगरमच्छ दिखाई देता था. उसके बूढ़े होकर मर जाने के बाद नया मगरमच्छ अचानक आ जाता था.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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