त्रिपुरा सुंदरी में हेतवी त्रिवेदी ने ज्योतिकलश गरबा चौक पर स्थापित किया, नवरात्रि में देवी का प्रत्यक्ष पूजन है- कन्या पूजन!

त्रिपुरा सुंदरी में हेतवी त्रिवेदी ने ज्योतिकलश गरबा चौक पर स्थापित किया, नवरात्रि में देवी का प्रत्यक्ष पूजन है- कन्या पूजन!

प्रेषित समय :20:31:22 PM / Tue, Sep 27th, 2022

उदयपुर. देश के प्रमुख शक्तिपीठ त्रिपुरा सुंदरी, बांसवाड़ा में नवरात्रि के पहले दिन नव दिवसीय गरबा रास के लिए हेतवी त्रिवेदी ने ज्योतिकलश चौक पर स्थापित किया.

उल्लेखनीय है कि नवरात्रि में कन्याओं के सम्मान और भागीदारी का विशेष महत्व है. इस दौरान न केवल शुभ कार्यों में कन्याओं को सम्मान दिया जाता है, बल्कि उनकी पूजा भी की जाती है.

* नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन का विशेष महत्व है.

* कई श्रद्धालु पहले ही दिन से प्रतिदिन कन्या पूजन करते हैं तो ज्यादातर सप्तमी तिथि से दुर्गाष्टमी और नवमी के दिन तक कन्या पूजा करते हैं.

* इन कन्याओं को नौ देवी का स्वरूप मानकर इनका स्वागत किया जाता है, पूजा की जाती है और भोजन कराया जाता है जिससे देवी दुर्गा प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को सुख, समृद्धि और सफलता का वरदान प्रदान करती हैं.

* कन्या पूजन अपनी श्रद्धा और स्थानीय मान्यताओं के अनुसार करें, मन से की गई पूजा देवी सहर्ष स्वीकार करती है.

* इन कन्याओं को स्वच्छ जगह बिठाकर सभी के पैरों को अपने हाथों से धोना चाहिए और पैर छूकर शुभाशीष लेना चाहिए.

* इसके बाद उनके माथे पर तिलक लगाना चाहिए. 

* देवी दुर्गा का ध्यान करके इन्हें देवी स्वरूप मानकर ससम्मान भोजन कराना चाहिए.

* भोजन के बाद कन्याओं को यथाशक्ति दक्षिणा, उपहार आदि प्रदान करके उनके पैर छूकर शुभाशीष लेना चाहिए.

* कन्या पूजन में कन्याओं की आयु दो वर्ष से ऊपर तथा दस वर्ष तक होनी चाहिए. 

* कन्याओं की संख्या कम-से-कम 9 तो होनी ही चाहिए और एक बालक भी होना चाहिए, जिसे हनुमान स्वरूप माना जाता है. 

* यदि 9 से ज्यादा कन्याएं  है तो भी अच्छा है.

* दो वर्ष की कन्या के पूजन से दुख-दरिद्रता दूर होती है. 

* तीन वर्ष की कन्या पूजन से धन-धान्य की वृद्धि होती है.

* चार वर्ष की कन्या की पूजा से परिवार का कल्याण होता है. 

* पांच वर्ष की कन्या को पूजने से व्यक्ति रोगमुक्त हो जाता है.

* छह वर्ष की कन्या की पूजा से जय-विजय और राजयोग प्राप्त होता है. 

* सात वर्ष की कन्या का पूजन करने से ऐश्वर्य प्राप्त होता है.

* आठ वर्ष की कन्या का पूजन करने से विवाद में विजय प्राप्त होती है. 

* नौ वर्ष की कन्या का पूजन करने से शत्रु-नाश होता है, तो असंभव कार्य संभव होते हैं.

* दस वर्ष की कन्या-पूजा तमाम मनोकामनाएं पूरी करती है.

* देवी का नौवां स्वरूप है- सिद्धिदात्री, नवमी तिथि पर इनकी पूजा-अर्चना की जाती है, सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा-अर्चना करें, सिद्धि मिलेगी, पराक्रम बढ़ेगा

 देश के प्रमुख शक्तिपीठ त्रिपुरा सुंदरी में हेतवी त्रिवेदी ने ज्योतिकलश गरबा चौक पर स्थापित किया....

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नवरात्रि गरबा....

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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