WCREU का रेलवे उत्पादन ईकाई एवं मेन्टीनेंस डिपो बचाओ दिवस के अवसर पर विशाल विरोध प्रदर्शन

WCREU का रेलवे उत्पादन ईकाई एवं मेन्टीनेंस डिपो बचाओ दिवस के अवसर पर विशाल विरोध प्रदर्शन

प्रेषित समय :18:13:07 PM / Fri, Sep 23rd, 2022

कोटा. ऑल इण्डिया रेलवे मेंस फेडरेशन (एआईआरएफ) के आव्हान पर वेस्ट सेन्ट्रल रेलवे एम्पलाईज यूनियन (डबलूसीआरईयू) कोटा मंडल के समस्त मुख्यालय कोटा, सवाई माधोपुर, गंगापुर सिटी, बयाना, भरतपुर, तुगलकाबाद, रामगंजमंडी शामगढ़ विक्रमगढ़ आलोट, बारां, बूंदी में रेल मंत्रालय द्वारा रेलवे उत्पादन इकाई एवं मेंटेनेंस डिपो का निजीकरण, निगमीकरण करने के विरोध में विशाल विरोध प्रदर्शनों का आयोजन किया गया.

यूनियन के महामंत्री मुकेश गालव ने वैगन रिपेयर शॉप कारखाना कोटा के मेन गेट पर आम सभा को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार लगातार देश की तमाम राष्ट्रीय संपत्तियों को बेचने, निगमीकरण करने पर आमादा हैं. इसी तारतम्य में वह रेलवे पर भी अपनी नजर गढ़ाए हुए हैं. रेलवे हमारे देश का महत्वपूर्ण मंत्रालय है, जिसने गलत दिशा ले ली है. रेलवे में चन्द कारोबारी घरानों को फायदा पहुंचाने के लिये जल्दबाजी में नीतियां बनाई जा रही है. रेल मंत्रालय कई दशकों से एक प्रेरक शक्ति बना हुआ है. भारतीय रेल को देश की जीवन रेखा के रूप में जाना जाता है. पिछले वर्षों में पूर्व रेलमंत्री श्रीमान पीयूष गोयल पूरे भारत में चलने वाली 150 ट्रेनों के निजीकरण का प्रस्ताव लेकर आये थे. संसद में और फेडरेशन के साथ होने बैठकों में बार-बार कहा है कि सरकार की रेलवे के निजीकरण की कोई योजना नहीं है, लेकिन अन्तत: उन्होंने भारत भर में 150 ट्रेनों की आपूर्ति और संचालन के लिये निजी फर्मों के लिये बहुत बड़ी निविदा के साथ लाया गया. इन निजी ट्रेनों को सरकार द्वारा चलाई जाने वाली भारतीय रेलों की सरकारी ट्रेनों पर महत्व दिया जाना था और लगातार दो तीन बार निजी ट्रेनों की निविदा निकाली गई, पर उसके लिये बोली असफल हो गई और निविदा को छोड़ना पड़ा इसके पीछे कही न कहीं एआईआरएफ जैसे शक्तिशाली संगठन की संगठित शक्ति की घोषणा का कमाल था कि एआईआरएफ ट्रेनों के निजीकरण नहीं होने देगा, जिससे निविदाकर्ता असमंजस में थे, इसके पश्चात माननीय अश्विनी वैष्णव जी ने रेलमंत्री के रूप में कार्यभार सम्भालते ही साझा किया कि सरकार रेलवे के निजीकरण की कोई योजना नहीं है, हालांकि सरकार को ऐसा लगता है कि रेलवे का बादशाह वही होगा, जो बड़े पैमाने पर निजीकरण लायेगा और उसके लिये वर्ष 2022 महत्वपूर्ण है. जैसे हम वर्ष 2024 की ओर बढ़ते हैं, रेलों के निजीकरण के परिणामस्वरूप आम चुनावों में भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है. इसलिये अगर रेलों का निजीकरण करना है तो वर्ष 2022 में कर लेना चाहिये इसीलिये वर्तमान रेलमंत्री रेलवे के निजीकरण को तेजी से आगे बढ़ा रहे है जो निविदाओं के रूप में हल्की गति से प्रकाशित की जाती है, ताकि उन्हें रेलवे यूनियन फेडरेशन के शोर शराबे के बिना निजी फर्मों को दिया जा सके.

श्री गालव ने बताया कि इसी श्रृंखला में आज 23 सितम्बर को पूरे भारतीय रेलवे के साथ साथ पश्चिम मध्य रेलवे के तीनों मंडलों जबलपुर, कोटा,व भोपाल के समस्त कार्यस्थलों, मंडल और शाखा मुख्यालयों पर रेलवे उत्पादन इकाई एवं मेंटेनेंस डिपो बचाओ दिवस मनाते हुए विशाल विरोध प्रदर्शन किया गया. श्री गालव ने रेल प्रशासन को चेतावनी देते हुए कि निजीकरण को किसी भी कीमत पर सफल नहीं होने देगें.

वैगन रिपेयर शॉप कारखाना कोटा मेन गेट पर हुई आम सभा की अध्यक्षता कारखाना अध्यक्ष घनश्याम मीणा ने की इस आम सभा को अरविंद सिंह सचिव जसवंत सिंह ने भी संबोधित किया साथ में यूनियन पदाधिकारी ओम प्रकाश राजपूत प्रशांत गौतम आरके दत्ता मनोज गुप्ता अब्दुल सलाम पीयूष मौर्य प्रसनजीत रईस मोहम्मद बबीता चौहान गीता पेशवानी संतरा मीणा कमलेश मीणा चेतराम मीणा विनोद शर्मा सहित सैकड़ों सक्रिय सदस्य एवं कर्मचारी उपस्थित थे.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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