वैदिक ज्योतिष में शनि की महादशा

वैदिक ज्योतिष में शनि की महादशा

प्रेषित समय :18:56:33 PM / Wed, Sep 21st, 2022

शनि की महादशा जीवन में 19 साल तक चलती है. यह वलय ग्रह कर्म, कड़ी मेहनत, सीमाओं, महत्वाकांक्षा, अनुशासन और दीर्घायु से जुड़ा हुआ है.
शनि उनको ही पीडित करता है. शनि हमसे कुपित न हो, उससे पहले ही हमे समझ लेना चाहिये, कि हम कहीं अन्याय तो नही कर रहे हैं, या अनावश्यक विषमता का साथ तो नही दे रहे हैं.
यह तपकारक ग्रह है, अर्थात तप करने से शरीर परिपक्व होता है, शनि का रंग गहरा नीला होता है,
शनि सीमा ग्रह कहलाता है, क्योंकि जहां पर सूर्य की सीमा समाप्त होती है, वहीं से शनि की सीमा शुरु हो जाती है.
शनि का विशेष गुण है. यह ग्रह कष्टकारक तथा दुर्दैव लाने वाला है. विपत्ति, कष्ट, निर्धनता, देने के साथ साथ बहुत बडा गुरु तथा शिक्षक भी है, जब तक शनि की सीमा से प्राणी बाहर नही होता है, संसार में उन्नति सम्भव नही है.
शनि जब तक जातक को पीडित करता है, तो चारों तरफ़ तबाही मचा देता है. जातक को कोई भी रास्ता चलने के लिये नही मिलता है. करोडपति को भी खाकपति बना देता है .
अच्छे और शुभ कर्मों बाले जातकों का उच्च होकर उनके भाग्य को बढाता है, जो भी धन या संपत्ति जातक कमाता है, उसे सदुपयोग मे लगाता है.
गृहस्थ जीवन को सुचारु रूप से चलायेगा.साथ ही धर्म पर चलने की प्रेरणा देकर तपस्या और समाधि आदि की तरफ़ अग्रसर करता है.
अगर कर्म निन्दनीय और क्रूर है, तो नीच का होकर भाग्य कितना ही जोडदार क्यों न हो हरण कर लेगा, महा कंगाली सामने लाकर खडी कर देगा, कंगाली देकर भी मरने भी नही देगा, शनि के विरोध मे जाते ही जातक का विवेक समाप्त हो जाता है.
निर्णय लेने की शक्ति कम हो जाती है, प्रयास करने पर भी सभी कार्यों मे असफ़लता ही हाथ लगती है. स्वभाव मे चिडचिडापन आजाता है, नौकरी करने वालों का अधिकारियों और साथियों से झगडे, व्यापारियों को लम्बी आर्थिक हानि होने लगती है.
विद्यार्थियों का पढ़ने मे मन नही लगता है, बार बार अनुत्तीर्ण होने लगते हैं. जातक चाहने पर भी शुभ काम नही कर पाता है. दिमागी उन्माद के कारण उन कामों को कर बैठता है जिनसे करने के बाद केवल पछतावा ही हाथ लगता है.
आध्यात्मिक यात्रा में अक्सर शनि महादशा का प्रभाव होता है. शनि आपके कर्मों के अनुरूप चुनौतियाँ और परिणाम देता है.
यह सफलता देता है लेकिन सफलता की ओर यात्रा सुचारु नहीं है, इसलिए आपको विनम्र और ज़मीनी बने और जो आप प्राप्त करते हैं उसे महत्व देना चाहिए.
स्वाभाविक रूप से, शनि इस प्रकार महादशा के दौरान जीवन में कई बाधाएं खड़ी करता है.
यह वह अवधि है जातक विवाद, विलंब, दूरी, एकांत अनुभव करते हैं. इन चुनौतियों को विशेष रूप से करियर और सामाजिक जीवन में महसूस किया जाता है.
कुंडली में मजबूत स्थिति वाले जातक के लिए शनि महादशा बहुत सकारात्मक हो सकती है. यह मूल आंतरिक शक्ति, इच्छाशक्ति और चुनौतियों से लड़ने तथा नाम और प्रसिद्धि हासिल करने का साहस भी दे सकता है.
शनि की महादशा में अन्य ग्रहों की अंतर्दशा
यहां हम आपको शनि की महादशा में अन्य ग्रहों की अंतर्दशा में जातक पर क्या प्रभाव पड़ता है इसके बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जो आपके लिए काफी लाभप्रद होगा.
शनि की महादशा में शनि की अंतर्दशा का फल
जन्मकुंडली में एक अप्रभावित शनि आपको दशा के दौरान जीवन में बेहतर स्थिति और स्थिति से प्रभावित करता है. जमीन से जुड़े मामलों में भी लाभ मिलता है.
यह अवधि जीवनसाथी और संतान संबंधी मामलों के लिए भी ठीक है. जातक को बहुत अधिक सामाजिक समर्थन भी मिलता है. हालांकि, यदि शनि का नकारात्मक प्रभाव है, तो यह अवधि करियर और पेशेवर जीवन में बहुत बाधाएं हो सकती हैं.
परिवार और भाई-बहनों के साथ संबंध में भी समस्याएँ हो सकती हैं. यह अवधि बढ़ी हुई आक्रामकता, ईर्ष्या, विवाद और कोर्ट कचहरी  मुद्दों के रूप में अच्छी तरह से चिह्नित है.
शनि की महादशा में बुध की अंतर्दशा का फल
दशा में बुध कुछ हद तक कुंडली में शनि के नकारात्मक प्रभाव को संतुलित करता है.
जातक समाज में एक बेहतर छवि अर्जित करता है और अच्छी सुख-सुविधाएँ प्राप्त करता है. यह भी व्यापार वृद्धि के लिए एक सकारात्मक चरण है. मूल निवासी अधिक धर्मार्थ, बौद्धिक और बुद्धिमान बन जाता है और सभी चुनौतियों को कुशलता से संभालता है. पेशेवर क्षेत्र में कुछ उपलब्धि इस अवधि के दौरान भी संभव है.
शनि की महादशा में केतु की अंतर्दशा का फल मेरी अगली पोस्ट में.
शनि की महादशा में आप उपाय जरूर करें अगर उपाय नहीं कर सकते हैं तो अपने आप को गलत तरीके के कामों से दूर रखें.
शनि के उपाय -मांस -मदिरा से दूर रहें
अपने पिता और गुरुओं का आदर करें.हनुमान चालीसा पाठ करें. झूठ नहीं बोले.
हर शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों तेल का दीपक जलाएं  .
शनि के प्रकोप से डरने की जरूरत नहीं. हां, शनि ग्रह का प्रभाव हमारे शरीर पर जरूर रहता है लेकिन वह कितने समय तक और कैसा रहता है यह जानना जरूरी है.
शक्ति उपासक---आचार्य पटवाल
Shakti-Upasak Acharya Patwal

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

जन्मकुंडली के चतुर्थ भाव में स्थित शनिदेव का फल

कुंडली के दूसरे घर में ग्रहों के प्रभाव

दिल दौरा पड़ने के जन्मकुंडली अनुसार कुछ कारण

कुंडली में हंस महापुरुष योग बना देता है जातक को प्रसिद्ध और ज्ञानी

जन्म कुंडली में अष्टम शनि कष्ट ही नहीं देता

Leave a Reply