कई बीमारियां ऐसी होती हैं, जिनके बारे में शुरुआत में लोगों को पता नहीं चल पाता. अल्जाइमर भी एक ऐसी ही बीमारी है, जिसके शुरुआती लक्षण बहुत कॉमन होते हैं. जानकारी न होने की वजह से तमाम लोग गंभीर स्थिति में पहुंच जाते हैं. अल्जाइमर डिजीज के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 21 सितंबर को ‘वर्ल्ड अल्जाइमर डे’ मनाया जाता है. यह बीमारी आमतौर पर बुजुर्ग लोगों को होती है. सही समय पर इलाज कराया जाए तो इसकी रफ्तार को कम किया जा सकता है.
क्या है अल्जाइमर डिजीज?
अल्जाइमर एक प्रोग्रेसिव न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर होता है, जिसमें लोगों की मेमोरी वीक होती जाती है और वे अपनी दैनिक जरूरतों की चीजें भी भूलने लगते हैं. यह डिमेंशिया का सबसे कॉमन टाइप होता है. इस डिजीज की वजह से ब्रेन सिकुड़ने लगता है और ब्रेन सेल्स डैमेज होना शुरू हो जाती हैं. इससे लोगों की सोचने-समझने, व्यवहार और सामाजिक गतिविधियों में बदलाव आ जाता है. आमतौर पर यह बीमारी 70 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को होती है. हालांकि डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और जेनेटिक कारणों की वजह से यह बीमारी कम उम्र में भी हो सकती है.
न्यूरोलॉजिस्ट के मुताबिक अल्जाइमर डिजीज की सबसे बड़ी वजह ज्यादा उम्र होती है. 90 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों को इस बीमारी का खतरा 50 प्रतिशत और 80-90 साल के बीच के लोगों को इसका जोखिम 10 से 20 प्रतिशत होता है. कम उम्र के लोगों को अल्जाइमर का खतरा रेयर होता है, लेकिन यह कहना सही नहीं होगा कि युवाओं को न बीमारी नहीं हो सकती. जेनेटिक कारणों की वजह से कम उम्र के लोगों को अल्जाइमर डिजीज हो सकती है. इसके अलावा भी कुछ फैक्टर हो सकते हैं.
अल्जाइमर की बीमारी तेजी से बढ़ती है. इलाज के जरिए इसकी स्पीड को कम किया जा सकता है, लेकिन पूरी तरह कंट्रोल करना संभव नहीं है. जब इस बीमारी को इलाज के जरिए कंट्रोल ही नहीं किया जा सकता तो रिवर्स करने का सवाल ही नहीं उठता. एक बार यह डिजीज होने के बाद लाइफटाइम रहती है. कुछ दवाइयों और लाइफस्टाइल में बदलाव करके इसकी रफ्तार को कम कर सकते हैं.
अल्जाइमर की स्पीड कैसे करें कम?
- लाइफस्टाइल को हेल्दी रखें
- डायबिटीज को रखें कंट्रोल
- ब्लड प्रेशर मेंटेन करना जरूरी
- हर दिन करें एक्सरसाइज
- मेंटली एक्टिव रहना करें शुरू
- हेल्दी डाइट लेना बेहद जरूरी
- लोगों से इंटरेक्शन करते रहें
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