निजी अस्पताल की अमानवीयता इलाज का बिल नहीं भर पाई महिला तो 11 महीने तक पैर से नहीं निकाली रॉड, फिर यह हुआ

निजी अस्पताल की अमानवीयता इलाज का बिल नहीं भर पाई महिला तो 11 महीने तक पैर से नहीं निकाली रॉड, फिर यह हुआ

प्रेषित समय :18:38:23 PM / Tue, Sep 20th, 2022

बोकारो. झारखंड के जरीडीह प्रखंड की बाराडीह पंचायत के बहादुरपुर गांव की बसंती देवी को निजी अस्पताल ने पूरा बिल नहीं भरने पर भगा दिया. पीडि़त महिला 11 माह से पैर में लगे रॉड को निकालने का इंतजार करती रही. लेकिन पैसे के अभाव में और गरीबी के कारण वह घर में पड़ी रही. बसंती देवी के पैर का ऑपरेशन हुआ था, जिसमें बाहर से रॉड डाले जाने से उसकी जिंदगी असामान्य हो गई है. उसे रॉड निकाले बिना ही अस्पताल से भगा दिया गया.

बता दें कि 54 वर्षीय विधवा बसंती देवी को अक्टूबर 2021 में जब वो मजदूरी कर घर लौट रही थी तो सवार ने टक्कर मार दी. इस हादसे में शिकार होने के बाद वो इलाज का पूरा पैसा नहीं चुका सकी, तो जैनमोड स्थित लाइफ केयर अस्पताल ने केवल इलाज किया और बाद में पैर में लगे रोड को  पैसे के आभाव में निकालने से इनकार कर दिया. इस मामले में पुलिस की भूमिका बेहद चौंकाने वाली रही.

जब महिला का बेटा प्राथमिकी दर्ज कराने जरीडीह थाना गया तो उस पर आठ हजार लेकर समझौता करने का दबाव बनाया गया. जब उसने मना किया तो पुलिस वालों ने उसके साथ अभद्र व्यवहार किया. उसे टाला जाने लगा. बाद में अप्रैल 2022 में थाने में मामला दर्ज किया गया. पीडि़त महिला बसंती देवी ने बताया कि गरीबी और पैसे के अभाव के कारण उसका पैर में लगा रॉड नहीं निकाला जा सका. इस दौरान वो काफी परेशान रही. अब वह चाहती है कि उसके पैर में लगा रॉड हटा दिया जाए.

वहीं उपायुक्त के निर्देश पर महिला को सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है. जहां इसका इलाज शुरू करने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई है. वहीं लाइफ केयर अस्पताल के संचालक बीएन महतो ने बताया डॉ सिराज ने ऑपरेशन किया था. जब मरीज पूरा पैसा नहीं देगा, तो कैसे इलाज होगा, फ्री मैं तो सब होगा नहीं. उसके घर जाकर इलाज तो नहीं करेंगे और फिर मरीज के परिजनों को पहले ही खर्च के बारे में बता दिया गया था. उन लोगों के कहने पर ही डिस्चार्ज किया गया था.

वहीं थाना प्रभारी ललन रविदास ने बताया कि मामला हमारे थाने में अप्रैल 2022 को पीडि़ता के पुत्र के द्वारा दर्ज कराया गया था. मामले की जांच अभी की जा रही है. वहीं इस मामले को लेकर उपायुक्त के निर्देश पर जांच करने अस्पताल पहुंचे सिविल सर्जन डॉक्टर अभय भूषण प्रसाद ने बताया कि मामले की जांच अस्पताल आकर की गई है. जिसके लिए डीटीओ कॉपी दंडाधिकारी के रूप में प्रतिनियुक्त किया गया है. अस्पताल संचालक से इलाज के कागजात सहित अन्य कागजात की मांग की गई है. मामला काफी गंभीर है क्योंकि इस तरह किसी की महिला के साथ इलाज के नाम पर नहीं किया जाना चाहिए था. जांच रिपोर्ट उपायुक्त को सौंपी जाएगी.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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