फिल्म: ब्रह्मास्त्र
स्टार कास्ट: रणबीर कपूर, आलिया भट्ट, अमिताभ बच्चन, अक्किनेनी नागार्जुन, मौनी रॉय, शाहरुख खान और डिंपल कपाड़िया
निर्देशक: अयान मुखर्जी
निर्देशक आयान मुखर्जी ने 9 सालों की मेहनत के बाद रणबीर कपूर और आलिया भट्ट स्टारर अपनी फिल्म ‘ब्रह्मास्त्र’ का निर्माण किया है. जो भारतीय दर्शकों को ‘अस्त्रावर्स’ की दुनिया में ले जाती है. इस फिल्म की रिलीज से पहले ही ‘बायकॉट ब्रह्मास्त्र’ का काफी शोरगुल हुआ है. तो वहीं दूसरी तरफ कई लोग ऐसे भी हैं जो इस फिल्म के सफल होने की दुआएं कर रहे हैं.
कहानी- काफी पहले कुछ ऋषियों ने तपस्या कर ईश्वर से कुछ अस्त्र-शस्त्र वरदान में मांगे थे, जिनमें सबसे ताकतवर था- ब्रह्मास्त्र। अब ब्रह्मास्त्र को कुछ बुरे लोग हासिल करना चाहते हैं और अच्छे लोग उसकी रक्षा करने की जिम्मेदारी उठाते हैं। ब्रह्मास्त्र को कुल तीन हिस्सो में बांट दिया गया था ताकि इसका इस्तेमाल न हो सके, लेकिन जुनून (मौनी रॉय) इन्हें एक साथ लाकर देव/ब्रह्मदेव (इस किरदार का एक्टर रिवील नहीं किया गया) को वापस जिंदा करना चाहती है। शाहरुख खान और नागार्जुन के किरदार के पास भी अस्त्र होते हैं, जो जुनून को रोकने की कोशिश करते हैं। गुरु जी (अमिताभ बच्चन) का एक आश्रम है, जहां ब्रह्मांश के कई सदस्य मौजूद हैं, जो जुनून को रोकने में आगे आते हैं। अब इन सब में शिवा (रणबीर कपूर) कैसे आता है, वो खुद में एक अस्त्र (अग्नि अस्त्र) क्यों है और क्या आखिर में ब्रह्मास्त्र ये लोग बचा पाते हैं या नहीं... ऐसे ही कई सवालों के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
फिल्म के विज्युअल कमाल के हैं, जिसमें शानदार एक्शन है, बीजीएम (बैकग्रांउड म्यूजिक) खूब एक्साइटमेंट पैदा करता है, लेकिन किसी फिल्म की जो सबसे अहम चीज है, यानी कहानी बस उसी में सारा कॉम्प्रोमाइज किया गया है. फिल्म शुरू होने के 15-20 मिनट तक आप कनेक्ट कहानी से जुड़ने की कोशिश की करते रहते हैं. फिल्म की शुरुआत सालों बाद पर्दे पर नजर आ रहे शाहरुख खान से होती है, लेकिन ये पूरा सीक्वेंस ही कन्फ्यूजिंग है. शाहरुख का एक भी डायलॉग आपको सीटी मारने या ताली बजाने वाला नहीं लगता. रणबीर कपूर और आलिया भट्ट पहली बार पर्दे पर नजर आ रहे हैं. ऐसे में इन दोनों की स्क्रीन पर केमिस्ट्री देखने को दर्शक काफी एक्साइटेड होंगे. अमिताभ बच्चन की एंट्री इंटरवेल के बाद है और वह उतने ही असरदार हैं जितने होने चाहिए. मौनी रॉय की ये डेब्यू फिल्म है और वो अपने किरदार में असरदार रही हैं. मौनी एक खौफनाक विलेन बनी हैं.
फिल्म का हर सीन प्रिडिक्टेबल है. कहीं भी आपको एडवेंचर या थ्रिल महसूस नहीं होता. बस चारों तरफ आग ही आग, रंग-बिरंगी रोशनी बस. फिल्म के गाने कहानी में हर बार रुकावट सी बनते ही नजर आते हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-
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