श्री पंचमुखी गणेश

श्री पंचमुखी गणेश

प्रेषित समय :21:42:42 PM / Sun, Sep 4th, 2022

गणेश की दाईं सूंड या बाईं आपने पंच मुखी हनुमानजी की तरह आपने पंचमुखी गणेशजी की भी प्रतिमाएं देखी होगी. क्या आप जानते है क्या है इनका अर्थ  शुभ और मंगलमयी होते हैं पंचमुखी गणेश पांच मुख वाले गजानन को पंचमुखी गणेश कहा जाता है. 
पंच का अर्थ है पांच. मुखी का मतलब है मुंह. 
ये पांच पांच कोश के भी प्रतीक हैं. वेद में सृष्टि की उत्पत्ति, विकास, विध्वंस और आत्मा की गति को पंचकोश के माध्यम से समझाया गया है. इन पंचकोश को पांच तरह का शरीर कहा गया है. 

पहला कोश है अन्नमय कोश-संपूर्ण जड़ जगत जैसे धरती, तारे, ग्रह, नक्षत्र आदि; ये सब अन्नमय कोश कहलाता है. दूसरा कोश है 
प्राणमय कोश-जड़ में प्राण आने से वायु तत्व धीरे-धीरे जागता है 
और उससे कई तरह के जीव प्रकट होते हैं. यही प्राणमय कोश कहलाता है. तीसरा कोश है मनोमय कोश-प्राणियों में मन जाग्रत होता है और जिनमें मन अधिक जागता है वही मनुष्य बनता है. चौथा कोश है 
विज्ञानमय कोश-सांसारिक माया भ्रम का ज्ञान जिसे प्राप्त हो. सत्य के मार्ग चलने वाली बोधि विज्ञानमय कोश में होता है. यह विवेकी मनुष्य को तभी अनुभूत होता है जब वह बुद्धि के पार जाता है. 

पांचवां कोश है आनंदमय कोश-ऐसा कहा जाता है कि इस कोश का ज्ञान प्राप्त करने के बाद मानव समाधि युक्त अतिमानव हो जाता है. 
मनुष्यों में शक्ति होती है भगवान बनने की और इस कोश का ज्ञान प्राप्त कर वह सिद्ध पुरुष होता है. 
जो मानव इन पांचों कोशों से मुक्त होता है, 
उनको मुक्त माना जाता है और वह ब्रह्मलीन हो जाता है. 
गणेश जी के पांच मुख सृष्टि के इन्हीं पांच रूपों के प्रतीक हैं. 

पंच मुखी गणेश चार दिशा और एक ब्रह्मांड के प्रतीक भी माने गए हैं अत: वे चारों दिशा से रक्षा करते हैं. 
वे पांच तत्वों की रक्षा करते हैं. घर में इनको उत्तर या पूर्व दिशा में रखना मंगलकारी होता है. ईश्वर आदि हैं, अनंत हैं. उनका स्वरूप निराकार है. 
फिर भी प्रत्येक तीर्थस्थल, मंदिर और मठ में उनके विभिन्न स्वरूपों की पूजा होती है. 
आज हम आपको भगवान गणेश के ऐसे ही एक स्वरूप के दर्शन करा रहे हैं. 
मध्यप्रदेश के इंदौर जिले में दुनिया के एक मात्र स्वयंभू पंचमुखी गणेश जी का मंदिर है. स्वयंभू पंचमुखी गणेश जी की प्रतिमा जुनी इंदौर स्थित स्वयंभू पंचमुखी श्री अर्केश्वर गणेश मंदिर में भगवान श्री गणेश मदार (आकड़े) के वृक्ष स्वरूप में विद्यमान हैं. 
मान्यता है कि भगवान श्री गणेश की मदार के पेड़ में यह मूर्ति स्वयंभू है, जो सदियों पुरानी है. 
मंदिर में भगवान गणेश के पंचमुखी स्वरूप के दर्शन करने के लिये सालभर भक्तों की भीड़ लगी रहती है. 
मंदिर के पुजारी का मानना है कि मदार के पेड़ में गणेश की यह मूर्ति स्वयंभू है. न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया में शायद ही गणेश जी का ऐसा स्वरूप देखने को मिलता है. 

श्री गणेश की दाईं सूंड या बाईं सूंड 
अक्सर श्री गणेश की प्रतिमा लाने से पूर्व या घर में स्थापना से पूर्व यह सवाल सामने आता है कि श्री गणेश की कौन सी सूंड होनी... चाहिये ?
 क्या कभी आपने ध्यान दिया है कि भगवान गणेश की तस्वीरों और मूर्तियों में उनकी सूंड दाई या कुछ में बाई ओर होती है. सीधी सूंड वाले गणेश भगवान दुर्लभ हैं. इनकी एकतरफ मुड़ी हुई सूंड के कारण ही गणेश जी को वक्रतुण्ड कहा जाता है.
भगवान गणेश के वक्रतुंड स्वरूप के भी कई भेद हैं. कुछ मुर्तियों में गणेशजी की सूंड को बाई को घुमा हुआ दर्शाया जाता है तो कुछ में दाई ओर. गणेश जी की सभी मूर्तियां सीधी या उत्तर की आेर सूंड वाली होती हैं. मान्यता है कि गणेश जी की मूर्त जब भी दक्षिण की आेर मुड़ी हुई बनाई जाती है तो वह टूट जाती है. कहा जाता है कि यदि संयोगवश आपको दक्षिणावर्ती मूर्त मिल जाए और उसकी विधिवत उपासना की जाए तो अभिष्ट फल मिलते हैं. गणपति जी की बाईं सूंड में चंद्रमा का और दाईं में सूर्य का प्रभाव माना गया है. 
प्राय: गणेश जी की सीधी सूंड तीन दिशाआें से दिखती है. जब सूंड दाईं आेर घूमी होती है तो इसे पिंगला स्वर और सूर्य से प्रभावित माना गया है. एेसी प्रतिमा का पूजन विघ्न-विनाश, शत्रु पराजय, विजय प्राप्ति, उग्र तथा शक्ति प्रदर्शन जैसे कार्यों के लिए फलदायी माना जाता है.
वहीं बाईं आेर मुड़ी सूंड वाली मूर्त को इड़ा नाड़ी व चंद्र प्रभावित माना गया है. एेसी  मूर्त  की पूजा स्थायी कार्यों के लिए की जाती है. जैसे  शिक्षा, धन प्राप्ति, व्यवसाय, उन्नति, संतान सुख, विवाह, सृजन कार्य और पारिवारिक खुशहाली.

सीधी सूंड वाली मूर्त का सुषुम्रा स्वर माना जाता है और इनकी आराधना रिद्धि-सिद्धि, कुण्डलिनी जागरण, मोक्ष, समाधि आदि के लिए सर्वोत्तम मानी गई है. संत समाज एेसी मूर्त की ही आराधना करता है. सिद्धि विनायक मंदिर में दाईं आेर सूंड वाली मूर्त है इसीलिए इस मंदिर की आस्था और आय आज शिखर पर है.
कुछ विद्वानों का मानना है कि दाई ओर घुमी सूंड के गणेशजी शुभ होते हैं तो कुछ का मानना है कि बाई ओर घुमी हुई सूंड वाले गणेशजी शुभ फल प्रदान करते हैं. हालांकि कुछ विद्वान दोनों ही प्रकार की सूंड वाले गणेशजी का अलग-अलग महत्व बताते हैं.

यदि गणेशजी की स्थापना घर में करनी हो तो दाई ओर घुमी हुई सूंड वाले गणेशजी शुभ होते हैं. दाई ओर घुमी हुई सूंड वाले गणेशजी सिद्धिविनायक कहलाते हैं. ऎसी मान्यता है कि इनके दर्शन से हर कार्य सिद्ध हो जाता है. किसी भी विशेष कार्य के लिए कहीं जाते समय यदि इनके दर्शन करें तो वह कार्य सफल होता है व शुभ फल प्रदान करता है.इससे घर में पॉजीटिव एनर्जी रहती है व वास्तु दोषों का नाश होता है.

घर के मुख्य द्वार पर भी गणेशजी की मूर्ति या तस्वीर लगाना शुभ होता है. यहां बाई ओर घुमी हुई सूंड वाले गणेशजी की स्थापना करना चाहिए. बाई ओर घुमी हुई सूंड वाले गणेशजी विघ्नविनाशक कहलाते हैं. इन्हें घर में मुख्य द्वार पर लगाने के पीछे तर्क है कि जब हम कहीं बाहर जाते हैं तो कई प्रकार की बलाएं, विपदाएं या नेगेटिव एनर्जी हमारे साथ आ जाती है. घर में प्रवेश करने से पहले जब हम विघ्वविनाशक गणेशजी के दर्शन करते हैं तो इसके प्रभाव से यह सभी नेगेटिव एनर्जी वहीं रूक जाती है व हमारे साथ घर में प्रवेश नहीं कर पाती.

श्री गणेश पंच रत्न स्तोत्र 
मुदाकरात्तमोदकं सदा विमुक्तिसाधकं
कलाधरावतंसकं विलासिलोकरक्षकम् .
अनायकैकनायकं विनाशितेभदैत्यकं
नताशुभाशुनाशकं नमामि तं विनायकम् ॥१॥
नतेतरातिभीकरं नवोदितार्कभास्वरं
नमत्सुरारिनिर्जरं नताधिकापदुद्धरम् .
सुरेश्वरं निधीश्वरं गजेश्वरं गणेश्वरं
महेश्वरं तमाश्रये परात्परं निरन्तरम् ॥२॥
समस्तलोकशंकरं निरस्तदैत्यकुञ्जरं
दरेतरोदरं वरं वरेभवक्त्रमक्षरम् .
कृपाकरं क्षमाकरं मुदाकरं यशस्करं
मनस्करं नमस्कृतां नमस्करोमि भास्वरम् ॥३॥
अकिंचनार्तिमार्जनं चिरन्तनोक्तिभाजनं
पुरारिपूर्वनन्दनं सुरारिगर्वचर्वणम् .
प्रपञ्चनाशभीषणं धनंजयादिभूषणम्
कपोलदानवारणं भजे पुराणवारणम् ॥४॥
नितान्तकान्तदन्तकान्तिमन्तकान्तकात्मजं
अचिन्त्यरूपमन्तहीनमन्तरायकृन्तनम् .
हृदन्तरे निरन्तरं वसन्तमेव योगिनां
तमेकदन्तमेव तं विचिन्तयामि सन्ततम् ॥५॥
महागणेशपञ्चरत्नमादरेण योऽन्वहं
प्रजल्पति प्रभातके हृदि स्मरन् गणेश्वरम् .
अरोगतामदोषतां सुसाहितीं सुपुत्रतां
समाहितायुरष्टभूतिमभ्युपैति सोऽचिरात् ॥६॥
Koti Devi Devta

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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