-प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी
* देवों के देव महादेव
देवों के देव महादेव आदि देव हैं. भगवान भोलेनाथ विषयक महत्वपूर्ण जानकारियां शिव पुराण में दी गई हैं. हिन्दू धर्म में शिव को मानने वालों को शैव कहते हैं.
शिव आराधना मंत्र... ऊँ नम: शिवाय..
यह मंत्र समस्त दुख दूर करने वाला मंत्र माना गया है. ऊँ- भगवान शिव का एकाक्षर मंत्र है तो- नम: शिवाय, भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र है.
* शिव परिवार
धर्मग्रथों के अनुसार भगवान शिव के दो विवाह हुए तथा दोनों ही बार उनका विवाह देवी भगवती के अवतारों से हुआ.
पहला राजा दक्ष की पुत्री सती के साथ और दूसरा हिमालय पुत्री देवी पार्वती के साथ. भोलेनाथ के दो पुत्र हैं- कार्तिकेय और भगवान श्रीगणेश.
* शिवलिंग स्वरूप
पृथ्वी पर भोलनाथ शिवलिंग स्वरूप में विद्यमान हैं. ऐसा माना जाता है कि जाग्रत शिवलिंग में भगवान शिव का वास होता है तथा मन से पूजा करने पर ऐसी कोई कामना नहीं है जो पूरी नहीं हो!
देश-विदेश में असंख्य शिवलिंग हैं, जिनमें से बारह सर्वोच्च ज्योतिर्लिंग हैं.
* कहां रहते हैं शिव?
कैलाश पर्वत पर भोलनाथ रहते हैं, लेकिन काशी उनकी प्रिय नगरी है. जैसाकि कहा जाता है- काशी के कण-कण में शिव बसे हैं! समस्त जाग्रत शिवलिंग पवित्र मन से पूजा करने पर शिव का अहसास कराते हैं!
* ये शिव को प्रिय हैं!
भोलेनाथ को भोले भक्त सर्वाधिक प्रिय है.
* बेलपत्र- भगवान शिवशंकर सर्वसुलभ पूजन सामग्री से प्रसन्न होते हैं इसलिए हर व्यक्ति भोलेनाथ की पूजा-आराधना कर सकता है. भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए पूजा में जल, बेलपत्र, भांग, धतूरा आदि ही पर्याप्त हैं.
* भस्म- शिव भस्म में रमते हैं, इसलिए माना जाता है कि भोलेनाथ की पूजा भस्म के बिना अधुरी रहती है.
* रुद्राक्ष- शिवसत्ता में रुद्राक्ष पवित्रतम आभूषण है. त्रिपुरासुर राक्षस के वध के बाद प्रसन्नता से भगवान शिव के नेत्रों से गिरे अश्रु बिन्दुओं से जो वृक्ष उत्पन्न हुए, रुद्राक्ष स्वरूप प्रसिद्ध हुए. यदि इसकी पवित्रता की रक्षा नहीं कर पाएं तो सांसारिक व्यक्तियों को रुद्राक्ष नहीं धारण करना चाहिए!
* महाशिवरात्रि
महाशिवरात्रि शिवभक्तों का सबसे बड़ा त्योहार है, जब सारा वातावरण शिवमय हो जाता है.
* पूजा विधि
भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए भक्त-गण अनेकानेक उपाय करते हैं, लेकिन मन के देवता तो शुद्ध मन की प्रार्थना से ही प्रसन्न हो जाते हैं इसलिए पूजा विधि कोई भी अपनाएं लेकिन शांत और पवित्र मन से महादेव को पुकारें, प्रार्थना अवश्य सफल होगी!
यहां शिवजी के पूजन की सरल जानकारी दी जा रही है...
* भगवान शंकर की पूजा के समय शुद्ध आसन पर बैठकर पहले आचमन करें, शरीर शुद्ध करें.
* पूजन-सामग्री को यथास्थान रखकर दीप प्रज्ज्वलित कर लें.
* स्वस्ति-पाठ करें-
स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवा:,
स्वस्ति ना पूषा विश्ववेदा:.
स्वस्ति न स्तारक्ष्यो अरिष्टनेमि
स्वस्ति नो बृहस्पति र्दधातु..
* इसके बाद पूजन-संकल्प कर भगवान श्रीगणेश एवं गौरीमाता पार्वती का ध्यान कर पूजन करना चाहिए.
* भगवान श्रीगणेश और माता पार्वती के पूजन के पश्चात नन्दीश्वर, वीरभद्र, कार्तिकेय (स्त्रियां बालस्वरूप कार्तिकेय का स्वयं माता के रूप में ध्यान कर पूजन करें) एवं नागदेव का पूजन करें.
* हाथ में बिल्वपत्र, अक्षत आदि लेकर भगवान शिव का ध्यान करें.
* भगवान भोलेनाथ का ध्यान करने के बाद आसन, आचमन, स्नान, दही-स्नान, घी-स्नान, शहद-स्नान व शक्कर-स्नान कराएं.
* इसके पश्चात भगवान का एक साथ पंचामृत स्नान कराएं.
* सुगंध-स्नान कराएं और फिर शुद्ध स्नान कराएं.
* अब भगवान शिव को वस्त्र चढ़ाएं, जनेऊ चढाएं.
* इसके बाद सुगंध, इत्र, अक्षत, पुष्पमाला, बिल्वपत्र चढाएं.
* फिर भोलेनाथ को धूप-दीप और विविध प्रकार के फल अर्पित करें.
* भोलेनाथ को नैवेद्य प्रस्तुत करें.
* आरती के लिए ज्योत प्रज्ज्वलित करें.
* शिवजी की आरती करें...
ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा.
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अद्र्धांगी धारा.
ओम जय शिव ओंकारा..
एकानन चतुरानन पंचानन राजे. हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे.
ओम जय शिव ओंकारा..
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे.
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे.
ओम जय शिव ओंकारा..
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी.
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी.
ओम जय शिव ओंकारा..
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे.
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे.
ओम जय शिव ओंकारा..
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी.
सुखकारी दुखहारी, जगपालन कारी.
ओम जय शिव ओंकारा..
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका.
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे.
ओम जय शिव ओंकारा..
लक्ष्मी-सावित्री-पार्वती संगा.पार्वती अद्र्धांगी, शिवलहरी गंगा.
ओम जय शिव ओंकारा..
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा.
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा.
ओम जय शिव ओंकारा..
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला.
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला.
ओम जय शिव ओंकारा..
काशी में विश्वनाथ विराजे, नन्दी ब्रह्मचारी.
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी.
ओम जय शिव ओंकारा..
त्रिगुणस्वामीजी की आरती जो कोइ नर गावे.
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे.
ओम जय शिव ओंकारा..
-ओम नम: शिवाय-
* क्षमा याचना
शिवपूजा के बाद क्षमा-याचना करें...
आह्वानं ना जानामि, न जानामि तवार्चनं,
पूजां चैव न जानामि, क्षमस्व महेश्वर:!
- आज का राशिफल -
मेष राशि:- आज सुख की चाहत रखें और उसमें सब की हिस्सेदारी का भी ध्यान रखें. स्वार्थपरता से कोई कार्य न करें. असहजता अनुभव कर सकते हैं. दिन सामान्य फलकारक.
वृष राशि:- आज साहस पराक्रम बढ़ा हुआ रहेगा. सामाजिक गतिविधियों में रुचि रहेगी. दुनिया से वैसा ही व्यवहार करें जैसा आप अपने लिए चाहते हैं. शुभता को बढ़ावा मिलेगा. सक्रिय रहें.
मिथुन राशि:- आज अपनों का सहयोग-समर्थन बना रहेगा. जिम्मेदारी को बखूबी निभाएं. किसी के प्रति पूर्वाग्रह न रखें. निर्णय क्षमता बढ़ेगी. अच्छे होस्ट बने रहेंगे. दिन शुभकारक. दिनचर्या अनुशासित रखें.
कर्क राशि:- आज सहज सुखद वातावरण में स्वयं को उत्साही और ऊर्जावान अनुभव करेंगे. नए लोगों से मिलना और मित्र बनाना भायेगा. पूछपरख बढेगी. दिन मंगलकारक. बड़ी सोच रखें.
सिंह राशि:- आज कार्यों में व्यस्तता भी सुखदायक होती है. कामकाज में अधिकाधिक समय देने की सोच रखें. स्वास्थ्य अच्छा रहेगा. खर्च बढ़ा हुआ रहेगा. दिन सामान्य फलकारक.
कन्या राशि:- आज कारोबारी चर्चाओं में बेहतर रहेंगे. महत्वूर्ण कार्यों के लिए पत्राचार पर जोर दें. लाभ का प्रतिशत अच्छा रहेगा. संपर्क और मेलजोल में रूचि रहेगी. प्रेम में सफलता. दिन श्रेष्ठ.
तुला राशि:- आज उपलब्धियों को करीबियों के संग साझा कर सकते हैं. घर परिवार में मंगलमय वातावरण बना रहेगा. कार्यक्षेत्र में सभी सहयोगी होंगे. जिम्मेदारियों को बखूबी निभाएं. दिन उत्तम.
वृश्चिक राशि:- आज भाग्य पक्ष की प्रबलता का लाभ उठायें. आपको अनदेखा करना कठिन होगा. सक्रियता और समझ से सब प्रभवित रहेंगे. ईश्वर को धन्यवाद देना न भूलें. धर्म मनोरंजन में रुचि लेंगे.
धनु राशि:- आज जिन लोगों में जितना अधिक दया भाव होता है उन्हें उतना ही अधिक स्नेह और आदर मिलता है. अनुशासन पर जोर दें. गोपनीयता और गरिमा का खयाल रखें. दिन सामान्य फलकारक.
मकर राशि:- आज निजी प्रयासों में बेहतर रहेंगे. स्थायित्व को बल मिलेगा. मित्रों से भेंट होगी. लाभ के अवसर बढ़ेंगे. दाम्पत्य में सुख सौख्य बना रहेगा. साझा कोशिशों को बल मिलेगा. दिन शुभकारक.
कुम्भ राशि:- आज पहले मेहनत करना होती है तब लाभ की प्राप्ति होती है. पेशेवरता पर जोर देने की जरूरत है. स्वयं पर भरोसा रखें. व्यर्थ के प्रलोभनों से बचें. दिन सामान्य फलकारक.
मीन राशि:- निसंकोच आगे बढ़ें. परिस्थितियां सकारात्मक रहेंगीं. भेंट मुलाकात में रूचि रहेगी. आस्था और विश्वास से स्वयं को आगे रखेंगे. पठन पाठन में रुचि बढ़ेगी. प्रतिस्पर्धा में अच्छा करेंगे. दिन शुभ.
*आचार्य पं. श्रीकान्त पटैरिया (ज्योतिष विशेषज्ञ) वाट्सएप नम्बर 9131366453
* यहां राशिफल चन्द्र के गोचर पर आधारित है, व्यक्तिगत जन्म के ग्रह और अन्य ग्रहों के गोचर के कारण शुभाशुभ परिणामों में कमी-वृद्धि संभव है, इसलिए अच्छे समय का सद्उपयोग करें और खराब समय में सतर्क रहें.
- सोमवार का चौघडिय़ा -
दिन का चौघडिय़ा रात्रि का चौघडिय़ा
पहला- अमृत पहला- चर
दूसरा- काल दूसरा- रोग
तीसरा- शुभ तीसरा- काल
चौथा- रोग चौथा- लाभ
पांचवां- उद्वेग पांचवां- उद्वेग
छठा- चर छठा- शुभ
सातवां- लाभ सातवां- अमृत
आठवां- अमृत आठवां- चर
* चौघडिय़ा का उपयोग कोई नया कार्य शुरू करने के लिए शुभ समय देखने के लिए किया जाता है.
* दिन का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* रात का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्यास्त से अगले दिन सूर्योदय के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* अमृत, शुभ, लाभ और चर, इन चार चौघडिय़ाओं को अच्छा माना जाता है और शेष तीन चौघडिय़ाओं- रोग, काल और उद्वेग, को उपयुक्त नहीं माना जाता है.
* यहां दी जा रही जानकारियां संदर्भ हेतु हैं, स्थानीय पंरपराओं और धर्मगुरु-ज्योतिर्विद् के निर्देशानुसार इनका उपयोग कर सकते हैं.
* अपने ज्ञान के प्रदर्शन एवं दूसरे के ज्ञान की परीक्षा में समय व्यर्थ न गंवाएं क्योंकि ज्ञान अनंत है और जीवन का अंत है!
पंचांग
सोमवार, 29 अगस्त 2022
शक सम्वत1944 शुभकृत
विक्रम सम्वत2079
काली सम्वत5123
प्रविष्टे / गत्ते13
मास भाद्रपद
दिन काल12:49:20
तिथि द्वितीया - 15:22:49 तक
नक्षत्र उत्तरा फाल्गुनी - 23:05:05 तक
करण कौलव - 15:22:49 तक, तैतिल - 27:31:56 तक
पक्ष शुक्ल
योग साघ्य - 25:03:10 तक
सूर्योदय 05:57:15
सूर्यास्त 18:46:36
चन्द्र राशि कन्या
चन्द्रोदय 07:31:59
चन्द्रास्त 20:08:59
ऋतु शरद
अभिजित मुहूर्त 11:46 ए एम से 12:36 पी एम
अग्निवास आकाश - 03:20 पी एम तक , पाताल
दिशा शूल पूर्व
नक्षत्र शूल उत्तर - 11:04 पी एम तक
चन्द्र वास दक्षिण
राहु वास उत्तर-पश्चिम
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्.
सदा वसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि..
https://www.youtube.com/watch?v=G4Hk3q5VVbw
तुरंत सफलता के लिए माँ विन्ध्येश्वरी साधना की पूजा करना चाहिए
भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव, विभिन्न शहरों में पूजा का समय....
पूजा -आराधना उचित और सही तरीके से करे
राहु-केतु की वजह से उठापटक चल रही हो तो भांग मिश्रित जल और धतुरे से शिवलिंग की पूजा करें
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