थायराइड हार्मोन का ज़रूरत से ज्यादा या कम प्रोडक्शन थायराइड की बीमारी का कारण बन सकता है जो हार्ट से ब्रेन तक हर चीज़ पर बुरा असर डालती है. थायराइड की समस्या आज बच्चों में भी आम हो चुकी है और बच्चों में इसका असर ज्यादा निगेटिव होता है. थायराइड का ज्यादा प्रोडक्शन मतलब हाइपोथायरायडिज्म और कम प्रोडक्शन मतलब हाइपरथायरायडिज्म. ये बीमारियां बच्चों के फिजिकल और मैंटल ग्रोथ को रोकती हैं, उनमें हार्ट से जुड़ी नई बीमारियों को जन्म देती हैं, और तो और कई बार कैंसर का भी कारण बन जाती हैं. आइए जानते हैं बच्चों में किन कारणों से थायराइड की समस्या होती है,
बच्चों में थायराइड की समस्या के कारण
मॉम जंक्शन डॉट कॉमके मुताबिक थायराइड की परेशानी जैनेटिक भी हो सकती है. बच्चे का समय से पहले पैदा हो जाना भी थायराइड का कारण बनता है. इसके लिए ज़रूरी है की बच्चों को मां के पेट से ही सही पोषण दिया जाए. बच्चों के खाने में आयोडीन की कमी से भी थायराइड होने का खतरा रहता है. कोई ट्रॉमा या पिट्यूटरी ग्लैंड में दिक्कत भी थायराइड की वजह बनती है. हाशिमोटो थायरोडिटिस और ग्रेव्स जैसी ऑटोइम्यून बीमारीयां थायराइड का कारण बनती हैं. ऑटोइम्यून डिसऑर्डर इम्युनिटी कम कर देते हैं और थायराइड ग्लैंड पर सीधा असर डालते हैं जिससे थायराइड हार्मोन का प्रोडक्शन गड़बड़ा जाता है और बच्चे इस बीमारी का शिकार हो जाते हैं.
आमतौर पर बच्चों में थायराइड के लक्षण कुछ इस प्रकार होते हैं :
- बच्चों की फिजिकल और मैंटल ग्रोथ धीमी हो जाती है वे थकावट महसूस करते हैं और जल्दी बीमार पड़ जाते हैं.
- स्किन सूखी और बेजान हो जाती है. हड्डियां, बाल और दांत कमज़ोर हो जाते हैं
- पेट से जुड़ी समस्याएं जैसे कब्ज़ और अपच हमेशा रहती है.
- मोटापे की समस्या का सामना करना पड़ता है.
- थायराइड ग्लैंड का साइज़ बढ़ जाता है.
- आंखों में सूजन आ जाती है और सांस लेने में भी तकलीफ़ का सामना करना पड़ता है.
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