टाइप-2 डायबिटीज से खराब हो सकती है आंखें, ग्लूकोमा का होता है खतरा

टाइप-2 डायबिटीज से खराब हो सकती है आंखें, ग्लूकोमा का होता है खतरा

प्रेषित समय :09:53:17 AM / Sat, Aug 20th, 2022

भारत में 40 साल और उससे ज्यादा उम्र के लगभग 1.12 करोड़ लोग ग्लूकोमा से पीड़ित हैं. यह जानकारी अब तक उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर सामने आई है. इसके मुताबिक, देश में 64.8 लाख लोगों को प्राइमरी ओपन-एंगल ग्लूकोमा है. यह बीमारी उच्च अंतःस्रावी दबाव के साथ हो या उसके बिना, लेकिन वयस्कों और किशोरों को काफी प्रभावित करती है. देश भर में 2.76 करोड़ लोग प्राइमरी एंगल-क्लोजर डिसीज (ग्लूकोमा) के किसी भी रूप से प्रभावित हो सकते हैं.

इस बीमारी में ट्रैब्युलर मेशवर्क की वजह से आंख की पुतली दब जाती है. ग्लूकोमा आंख में होने वाली बीमारी है, जिससे किसी भी शख्स की आंख की ऑप्टिक नर्व डैमेज हो जाती है. यह नर्व आंख और मस्तिष्क को जोड़ती है. उन्होंने बताया कि आमतौर पर ऐसा तब होता है, जब आंख के सामने वाले हिस्से में तरल पदार्थ जमा हो जाता है. ‘इस अतिरिक्त द्रव की वजह से पीड़ित की आंखों में दबाव बढ़ता है और नर्व फाइबर सूखने लगते हैं, जिससे ऑप्टिक नर्व डैमेज हो जाती है.’

क्या होता है इंट्राओकुलर प्रेशर
आंखों में बढ़ने वाले इस दबाव को इंट्राओकुलर प्रेशर कहा जाता है. इससे मस्तिष्क को तस्वीरें भेजने वाली ऑप्टिक नर्व डैमेज हो सकती है. इसका मतलब यह है कि भले ही आंख में दबाव सामान्य हो. मतलब पारा 21 मिमी से नीचे हो, लेकिन व्यक्ति को ग्लूकोमा हो सकता है और ऑप्टिक नर्व सूख सकती है. इसका संबंध आंख में लगी किसी चोट या काफी ज्यादा बढ़ चुके मोतियाबिंद से हो सकता है. ग्लूकोमा वंशानुगत होता है और आमतौर पर बुजुर्गों में देखा जाता है.’ आमतौर पर ओपन-एंगल ग्लूकोमा 40 साल की उम्र के बाद होता है. आजकल ग्लूकोमा कम उम्र में भी हो रहा है. इसके अलावा जन्मजात ग्लूकोमा भी है, जो नवजात को प्रभावित करता है. हालांकि, इसके मामले बेहद मुश्किल से मिलते हैं.’

डायबिटीज से बढ़ता है ग्लूकोमा
पीड़ित व्यक्ति को चाहे टाइप-1 डायबिटीज हो या टाइप-2, दोनों ही ग्लूकोमा को प्रभावित करते हैं. डायबिटीज में ओपन-एंगल ग्लूकोमा होने का खतरा काफी ज्यादा होता है. यदि किसी व्यक्ति को डायबिटीज है तो उसकी आंखों में दिक्कत होने के आसार काफी ज्यादा होते हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो डायबिटीज के मरीजों में ग्लूकोमा के मामले काफी ज्यादा मिलते हैं.

अपरिवर्तनीय डैमेज का क्या मतलब है?
इस बीमारी में पीड़ित की आंखों की रोशनी जा सकती है, जो ग्लूकोमा की वजह से होना वाला सबसे बड़ा नुकसान है. इसके अलावा अन्य खतरों की बात करें तो इनमें पेरिफेरल विजन का सिकुड़ना शामिल है और यह टनल की तरह होने लगता है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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