आज का दिन- मंगलवार, 16 अगस्त 2022, नाग पंचमी.... कालसर्प योग के लिए नागपूजा!

आज का दिन- मंगलवार, 16 अगस्त 2022, नाग पंचमी.... कालसर्प योग के लिए नागपूजा!

प्रेषित समय :20:27:54 PM / Mon, Aug 15th, 2022

-प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी

जन्म पत्रिका में काल सर्प योग कई बार जीवन में सफलता में बाधा बनता है, इसे दोष मानकर परेशान न हों, कई ऐसे व्यक्ति हैं जिनकी कुण्डली में काल सर्प योग होने पर भी वे सफलतम रहे हैं, इसलिए यदि कुण्डली में काल सर्प योग है तो शांति के लिए करें-

*यदि जन्म पत्रिका में काल सर्प योग है और उसके कारण नुकसान हो रहा है तो ससमय शांति पूजा करें.

*काल सर्प योग के कारण बाधा-परेशानियां हैं तो नाग पंचमी के दिन नाग प्रतिमा स्थापित कर कच्चा दूध अर्पित करते हुए पूजा करें,

*सम्भव हो तो सपेरे द्वारा पकड़े गए सर्प को बंधन मुक्त करवाएं.

*प्रतिदिन सर्प-सुक्त का पाठ करें.

*भगवान शिव का अभिषेक करें और चाँदी के नाग-नागन का जोड़ा बहते पानी में प्रवाहित करें.

*घर में मोर-मुकुट धारण किए श्रीकृष्ण की मूर्ति-चित्र रखें और यथाशक्ति 'ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय' जाप करते हुए पूजा करें.

*राहु और राहु की दशा से प्रभावित व्यक्ति प्रतिदिन सरस्वती मंत्र पूजा करें.

*देवी सरस्वती की पूजा से भ्रम की स्थिति से मुक्ति मिलती है, राहु से संबंधित परेशानी में देवी सरस्वती की पूजा-आराधना करके लाभ प्राप्त किया जा सकता है!

-सरस्वती वंदना-

या कुन्देदुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता.

या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना..

या ब्रह्माच्चुत शंकरप्रभृतिभिदैवे: सदा वंदिता

सा माम् पातु सरस्वती भगवती नि:शेषजाड्यापहा..

*नागपाश मुक्तिदाता श्री हनुमान की पूजा और सुन्दरकांड का पाठ भी लाभदायक है.

अतुलित बलधामं हेमशैलाभदेह दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम.

सकलगुण निधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रिय भक्तं वातजातं नमामि..

*राहु छाया ग्रह है जो व्यक्ति को मतिभ्रम की स्थिति में ले आता है, जैसे छाया का स्थाई अस्तित्व होता नहीं है, पर नजर आती है वैसे ही राहु का कुप्रभाव स्थाई होता नहीं है पर महसूस होता है!

*राहु की दशा-अंतरदशा में यह विचलित कर देता है तथा व्यक्ति अज्ञात भय से ग्रस्त रहता है!

धर्म कथानुसार राजा परीक्षित की मृत्यु तक्षक नामक नाग के काटने से हुई थी. जनमेजय जो अर्जुन के पौत्र, परीक्षित के पुत्र थे, ने नागों से बदला लेने और नागवंश के विनाश के लिए नाग यज्ञ किया. नागों की रक्षा के लिए इस यज्ञ को ऋषि जरत्कारु के पुत्र आस्तिक मुनि ने रोका. 

जब इस यज्ञ को रोका गया उस दिन श्रावण मास की पंचमी तिथि थी इसलिए तब से नाग पंचमी पर्व मनाने की परंपरा शुरू हुई. 

वैसे पौराणिक काल से ही नाग को देवता के रूप में पूजा जाता रहा है. धर्मग्रंथों के अनुसार ब्रह्मा के पुत्र ऋषि कश्यप की चार पत्नियाँ थी. ऐसा माना जाता है कि उनकी पहली पत्नी से देवता, दूसरी पत्नी से गरुड़ और चौथी पत्नी से दानव उत्पन्न हुए, लेकिन उनकी तीसरी पत्नी कद्रू थी, जिनका संबंध नागवंश से था, वहीं से नागों की उत्पत्ति हुई!

ऐसे करें नाग पंचमी पूजा-व्रत

* स्थानीय धर्मगुरु के निर्देशानुसार नाग पंचमी की पूजा-व्रत करें क्योंकि अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग पंचमियों को नाग पंचमी मनाई जाती है. 

* इस पूजा के आठ नागदेव हैं- अनन्त, वासुकी, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख, इन अष्टनानागों की पूजा होती है.

* चतुर्थी के दिन एक समय भोजन करें और पंचमी के दिन पूजा-कथा करके शाम को भोजन करें.

* पूजा करने के लिए यदि नागमंदिर न हो तो मिट्टी की नागमूर्ति, चित्र आदि को प्रतिष्ठित कर पूजा करें.

* स्थानीय पूजा विधि से हल्दी, रोली, चावल, फूल आदि चढ़ाएं.

* पूजा के बाद कच्चा दूध, घी, चीनी मिलाकर नागदेव को अर्पित करें.

* पूजा के बाद नागदेव की कथा सुने, आरती करें.

* कथा का उद्देश्य नाग पंचमी के महत्व को दर्शाना है इसलिए स्थानीय प्रचलित कथा सुने-सुनाएं.

* जो व्यक्ति कालसर्प योग के कुप्रभाव की गिरफ्त में हैं वे इस अवसर का सदुपयोग करें, पूजा करें और संभव हो तो सपेरे के बंधन से किसी सांप को मुक्त करवाएं!

* धर्मग्रंथों के अनुसार नाग दो तरह के होते हैं- दिव्य और भौम. इनमें से दिव्य सर्प देवकार्य करते हैं जबकि पृथ्वी पर विचरण करने वाले विषयुक्त शेष सर्प करीब अस्सी प्रकार के होते हैं.

* ऐसा माना जाता है कि नाग पंचमी के दिन पूजा करने वाले व्यक्ति और उसके परिवार को सर्प भय नहीं होता है.

* नाग पंचमी के दिन नागदेव को दूध अर्पित करने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है!

- आज का राशिफल -  

मेष राशि:- (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)

जीवनसाथी का सहयोग उलझे मामले सुलझाने में सहायक हो सकेगा. वाहन सावधानी से चलाएँ. कोर्ट-कचहरी में अनुकूलता रहेगी. पूजा-पाठ में मन लगेगा. व्यवसाय ठीक चलेगा. झंझटों में न पड़ें. उधार दिया धन मिलने से राहत हो सकती है.

वृष राशि:- (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

अपने काम से काम रखें. स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही न करें. आवास संबंधी समस्या हल होगी. आलस्य न करें. सोचे काम समय पर नहीं हो पाएँगे. चोट, चोरी व विवाद से हानि संभव है. जोखिम व जमानत के कार्य टालें. कुसंगति से हानि होगी.

मिथुन राशि:- (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)

परिवार की समस्याओं का समाधान हो सकेगा. व्यापार में नई योजनाएँ बनेंगी. व्यापार अच्छा चलेगा. रुके हुए काम समय पर पूरे होने से आत्मविश्वास बढ़ेगा. राजकीय बाधा दूर होकर लाभ होगा. प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी. क्रोध पर नियंत्रण रखें. लाभ होगा.

कर्क राशि:- (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

व्यापार अच्छा चलेगा. कार्य के विस्तार की योजनाएँ बनेंगी. रोजगार में उन्नति एवं लाभ की संभावना है. पठन-पाठन में रुचि बढ़ेगी. लाभदायक समाचार मिलेंगे. भूमि व भवन संबंधी कार्य लाभ देंगे. रोजगार मिलेगा. शत्रु भय रहेगा. निवेश व नौकरी लाभ देंगे.

सिंह राशि:- (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे. पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा. व्यवसाय ठीक चलेगा. विवाद न करें. सामाजिक एवं राजकीय ख्याति में अभिवृद्धि होगी. आर्थिक अनुकूलता रहेगी. रुका धन मिलने से धन संग्रह होगा. राज्यपक्ष से लाभ के योग हैं.

कन्या राशि:- (ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

व्यावसायिक चिंता रहेगी. संतान के व्यवहार से कष्ट होगा. सहयोगी मदद नहीं करेंगे. व्ययों में कटौती करने का प्रयास करें. वाहन चलाते समय सावधानी रखें. उत्तेजना पर नियंत्रण रखें. शत्रु सक्रिय रहेंगे. शोक समाचार मिल सकता है. थकान महसूस होगी.

तुला राशि:- (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

मेहनत का फल मिलेगा. कार्यसिद्धि से प्रसन्नता रहेगी. व्यवसाय ठीक चलेगा. प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी. परिवार में प्रसन्नता का वातावरण रहेगा. व्यापार के कार्य से बाहर जाना पड़ सकता है. कार्यपद्धति में विश्वसनीयता बनाएँ रखें. धनार्जन होगा.

वृश्चिक राशि:- (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

भूमि व संपत्ति संबंधी कार्य होंगे. पूर्व कर्म फलीभूत होंगे. परिवार में सुखद वातावरण रहेगा. व्यापार में इच्छित लाभ होगा. अतिथियों का आवागमन रहेगा. उत्साहवर्धक सूचना मिलेगी. स्वाभिमान बना रहेगा. नई योजनाओं की शुरुआत होगी. संतान की प्रगति संभव है.

धनु राशि:- (ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)

प्रियजनों का पूर्ण सहयोग मिलेगा. व्यावसायिक चिंताएँ दूर होंगी. आर्थिक स्थिति मजबूत होगी. बेरोजगारी दूर होगी. व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी. भेंट व उपहार की प्राप्ति होगी. जोखिम न लें. क्रोध एवं उत्तेजना पर संयम रखें. सत्कार्य में रुचि बढ़ेगी.

मकर राशि:- (भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)

कीमती वस्तुएं संभालकर रखें. व्ययवृद्धि होगी. तनाव रहेगा. अपरिचितों पर विश्वास न करें. प्रयास में आलस्य व विलंब नहीं करना चाहिए. रुके हुए काम समय पर होने की संभावना है. विरोधी परास्त होंगे. यात्रा कष्टप्रद हो सकती है. धैर्य एवं संयम बना रहेगा.

कुम्भ राशि:- (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

प्रियजनों से पूरी मदद मिलेगी. धन प्राप्ति के योग हैं. स्वयं के सामर्थ्य से ही भाग्योन्नति के अवसर आएँगे. संतान के कार्यों में उन्नति के योग हैं. व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी. रुका हुआ धन मिलेगा. प्रसन्नता रहेगी. जल्दबाजी न करें.

मीन राशि:- (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

नई योजना बनेगी. कार्यप्रणाली में सुधार होगा. मान-सम्मान मिलेगा. व्यवसाय ठीक चलेगा. स्वास्थ्य के प्रति सावधानी रखें. कार्यक्षमता एवं कार्यकुशलता बढ़ेगी. कर्म के प्रति पूर्ण समर्पण व उत्साह रखें. व्यापार में नई योजनाओं से लाभ होगा.

* आचार्य पं. श्रीकान्त पटैरिया (ज्योतिष विशेषज्ञ)  वाट्सएप नम्बर 9131366453 

* यहां राशिफल चन्द्र के गोचर पर आधारित है, व्यक्तिगत जन्म के ग्रह और अन्य ग्रहों के गोचर के कारण शुभाशुभ परिणामों में कमी-वृद्धि संभव है, इसलिए अच्छे समय का सद्उपयोग करें और खराब समय में सतर्क रहें.

 मंगलवार का चौघडिय़ा -

दिन का चौघडिय़ा                  रात्रि का चौघडिय़ा

पहला- रोग                             पहला- काल

दूसरा- उद्वेग                           दूसरा- लाभ

तीसरा- चर                            तीसरा- उद्वेग

चौथा- लाभ                             चौथा- शुभ

पांचवां- अमृत                       पांचवां- अमृत

छठा- काल                             छठा- चर

सातवां- शुभ                          सातवां- रोग

आठवां- रोग                           आठवां- काल

* चौघडिय़ा का उपयोग कोई नया कार्य शुरू करने के लिए शुभ समय देखने के लिए किया जाता है.

* दिन का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.

* रात का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्यास्त से अगले दिन सूर्योदय के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.

* अमृत, शुभ, लाभ और चर, इन चार चौघडिय़ाओं को अच्छा माना जाता है और शेष तीन चौघडिय़ाओं- रोग, काल और उद्वेग, को उपयुक्त नहीं माना जाता है.

* यहां दी जा रही जानकारियां संदर्भ हेतु हैं, स्थानीय पंरपराओं और धर्मगुरु-ज्योतिर्विद् के निर्देशानुसार इनका उपयोग कर सकते हैं.

* अपने ज्ञान के प्रदर्शन एवं दूसरे के ज्ञान की परीक्षा में समय व्यर्थ न गंवाएं क्योंकि ज्ञान अनंत है और जीवन का अंत है! 

पंचांग

मंगलवार, 16 अगस्त 2022

नाग पञ्चम

शक सम्वत1944   शुभकृत

विक्रम सम्वत2079

काली सम्वत5123

प्रविष्टे / गत्ते1

मास भाद्रपद

दिन काल13:09:33

तिथि पंचमी - 20:19:19 तक

नक्षत्र रेवती - 21:07:16 तक

करण कौलव - 08:35:02 तक, तैतिल - 20:19:19 तक

पक्ष कृष्ण

योगशूल - 21:48:43 तक

सूर्योदय05:50:27

सूर्यास्त19:00:00

चन्द्र राशि मीन - 21:07:16 तक

चन्द्रोदय 21:59:00

चन्द्रास्त 0:03:00

ऋतु वर्षा

अभिजित मुहूर्त 11:48 ए एम से 12:40 पी एम

अग्निवास पृथ्वी - 08:17 पी एम तक , आकाश

दिशा शूल उत्तर

चन्द्र वास उत्तर - 09:07 पी एम तक

पूर्व - 09:07 पी एम से पूर्ण रात्रि तक

राहु वास पश्चिम

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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