इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा-बेटे की असमय मौत पर माता-पिता बहु को ठहराते हैं दोषी, विधवा को अनुकंपा नियुक्ति देने का आदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा-बेटे की असमय मौत पर माता-पिता बहु को ठहराते हैं दोषी, विधवा को अनुकंपा नियुक्ति देने का आदेश

प्रेषित समय :16:07:55 PM / Tue, May 24th, 2022

प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विधवा बहु को अनुकंपा नियुक्ति का आदेश देते हुए पारिवारिक संबंधों पर गंभीर टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि बहुत बार ऐसे माता-पिता जिसके बेटे की असामयिक मृत्यु हो जाती है, वे इसके लिए बहु को दोषी ठहराते हैं. उसे उसके पति की संपत्ति से वंचित करने के लिए अनुचित और बेईमानी भी करते हैं और उससे हर हाल में छुटकारा पाना चाहते हैं.

पति की मृत्यु के बाद अनुकंपा नियुक्ति का किया था आवेदन

यह टिप्पणी जस्टिस सिद्धार्थ ने कुशीनगर की दीपिका शर्मा द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए की. मामले में याची की ओर से उसके पति की आसमयिक मृत्यु के कारण अनुकंपा नियुक्ति देने की मांग को लेकर याचिका दाखिल की गई थी. याची के पति को 2015 में उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा बोर्ड इलाहाबाद के तहत संचालित बेसिक स्कूल में सहायक शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था. पति की मृत्यु के बाद अनुकंपा नियुक्ति के लिए विपक्षी बेसिक शिक्षाधिकारी कुशीनगर के समक्ष प्रत्यावेदन किया था. तर्क दिया गया कि उसके पास आय का कोई स्रोत नहीं है और अपने पति की मृत्यु के बाद वह अपने एक साल के बच्चे के साथ भुखमरी की स्थिति में पहुंच गई है.

ससुर ने लगाया था बेटे को परेशान करने का अरोप

याची के ससुर का आरोप था कि वह उसके बेटे को परेशान कर रही थी, जिसके कारण वह बीमार हो गया और उसकी मृत्यु हो गई. उसके देवर ने गर्दन काटने की धमकी देने का आरोप लगाकर एफआईआर दर्ज कराया था. याची के ससुर ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कुशीनगर को मृतक की एक वसीयत भी भेजी जिसे उसके पक्ष में निष्पादित किया गया था. याची ने बेसिक शिक्षाधिकारी के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट ने पाया कि यूपी भर्ती के तहत सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों की भर्ती नियम 1974 नियम 2 (सी) मृतक सरकारी कर्मचारी के परिवार को परिभाषित करता है, जिसमें पत्नी या पति, बेटे शामिल हैं. इसके बाद अविवाहित और विधवा बेटियों का नंबर आता है. कोर्ट ने पाया कि मृतक के पिता और भाई नहीं चाहते कि याचिकाकर्ता को अनुकंपा नियुक्ति दी जाए. उनका आचरण सामान्य नहीं है, क्योंकि, अधिकांश माता-पिता जिनके बेटे की असमय मृत्यु हो जाती है, अपनी विधवा बहु को उसकी मृत्यु के लिए दोषी ठहराते हैं और उसे अपने पति की संपत्ति से वंचित करने के लिए हर तरह से बेईमानी का सहारा लेकर उससे छुटकारा पाना चाहते हैं. कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए याची को अनुकंपा पर नियुक्ति का आदेश दिया

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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