एएसआई ने कोर्ट में किया कुतुब मीनार में पूजा की इजाजत देने का विरोध, की याचिका खारिज करने की मांग

एएसआई ने कोर्ट में किया कुतुब मीनार में पूजा की इजाजत देने का विरोध, की याचिका खारिज करने की मांग

प्रेषित समय :13:34:29 PM / Tue, May 24th, 2022

नई दिल्ली. कुतुब मीनार परिसर में हिन्दू देवताओं की पुर्नस्थापना और पूजा अर्चना का अधिकार मांगे जाने वाली याचिका पर साकेत कोर्ट में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने जवाब दाखिल ेकर दिया है. एएसआई ने कुतुब मीनार परिसर में हिन्दू देवताओं की पुर्नस्थापना और पूजा अर्चना का अधिकार मांगे जाने वाली याचिका का विरोध किया और यह कहते हुए याचिका खारिज करने की मांग की कि कुबुत मीनार परिसर में पूजा की इजाजत नहीं दी जा सकती.

कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने कहा कि यह नेशनल मोन्यूमेंट एक्ट के तहत संरक्षित स्मारक है. 1914 में जब कुतब मीनार का अधिग्रहण किया गया तब यहां किसी तरह की पूजा अर्चना नहीं हो रही थी. इसलिए नियमों के अनुसार अब इस स्थिति को नहीं बदला जा सकता. एएसआई ने कहा कि यहां पूजा अर्चना की इजाजत नहीं दी जा सकती और न ही इसकी पहचान बदली जा सकती है. इसलिए याचिका खारिज की जाए.

दिल्ली स्थित साकेत कोर्ट में कुतुब मीनार परिसर के अंदर हिंदू देवताओं की पुनस्र्थापना और पूजा अर्चना के अधिकार की मांग को लेकर याचिका दाखिल की गई है और इसमें दावा किया गया है कि परिसर में हिंदू देवी-देवताओं की कई मूर्तियां मौजूद हैं. बता दें कि बीते दिनों दिल्ली की एक अदालत ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को अगले आदेश तक यहां कुतुब मीनार परिसर से भगवान गणेश की दो मूर्तियों को नहीं हटाने के आदेश दिए थे.

अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि संस्कृति मंत्रालय दिल्ली के कुतुब मीनार परिसर में मिली हिंदू और जैन मूर्तियों को प्रदर्शित करने पर विचार कर रहा है और स्थल की खुदाई या किसी भी धार्मिक प्रथा को रोकने की कोई योजना नहीं है. कुछ दिन पहले, राष्ट्रीय संस्मारक प्राधिकरण के अध्यक्ष तरुण विजय ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद में मिली गणेश की दो मूर्तियों को परिसर से बाहर ले जाया जाए.

वहीं एक अधिकारी ने कहा कि मंत्रालय इस पर विचार कर रहा है कि क्या इनमें से कुछ मूर्तियों को लेबल लगाकर प्रदर्शित किया जा सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि मस्जिद का निर्माण मंदिरों के पत्थरों से किया गया, इसलिए विभिन्न रूपों में ऐसी मूर्तियां चारों ओर देखी जा सकती हैं. अधिकारी ने कहा कि फिलहाल इन मूर्तियों को बहाल करने या उन्हें कहीं और ले जाने की कोई योजना नहीं है. हालांकि, उन्हें प्रदर्शित करने पर विचार किया जा रहा है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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