दस महाविद्या के शाबर मन्त्र साधना

दस महाविद्या के शाबर मन्त्र साधना

प्रेषित समय :21:05:26 PM / Fri, May 20th, 2022

मां काली मां दुर्गा का ही एक स्वरुप है. दस महाविद्या के शाबर मन्त्र साधना .. मां दुर्गा के इस महाकाली स्वरुप को देवी के सभी रुपों में सबसे शक्तिशाली माना जाता है. दस महाविद्याओं में काली का पहला स्थान माना जाता है. दुष्ट, अभिमानी राक्षसों के संहार के लिए मां काली को जाना जाता है. अक्सर काली की साधना सन्यासी या तांत्रिक करते ही करते हैं लेकिन मां काली के कुछ मंत्र ऐसे भी हैं जिनका जाप कर कोई भी साधक अपने जीवन के संकटों को दूर कर सकता है.

22 अक्षरी श्री दक्षिण काली मंत्र

ॐ क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं स्वाहा॥

इस मंत्र के जरिये दक्षिण काली का आह्वान किया जाता है. शत्रुओं के विनाश के लिए साधक इस मंत्र के जरिये मां काली की साधना करते हैं व सिद्धि प्राप्त करते हैं. तंत्र विद्या में मां काली की साधना के लिए यह मंत्र काफी लोकप्रिय है. इस मंत्र का तात्पर्य है अर्थ है कि परमेश्वरी स्वरुप जगत जननी महाकाली महामाया मां मेरे दुखों को दूर करें. शत्रुओं का नाश कर मां अज्ञानता का अंधकार मिटाकर ज्ञान का प्रकाश हो. वैसे भी मां काली ज्ञान, मोक्ष तथा शत्रु नाश करने की अधिष्ठात्री देवी हैं. इनकी कृपा से समस्त दुर्भाग्य दूर हो जाते हैं

एकाक्षरी काली मंत्र

ॐ क्रीं

यह मां काली का एकाक्षरी मंत्र है. इसका जप मां के सभी रूपों की आराधना, उपासना और साधना में किया जा सकता है. मां काली के इस एकाक्षरी मंत्र को मां चिंतामणि काली का विशेष मंत्र भी कहा जाता है.

तीन अक्षरी काली मंत्र

ॐ क्रीं ह्रुं ह्रीं॥

मां काली की साधना व उनके प्रचंड रुपों की आराधना के लिए यह तीन अक्षरी मंत्र एक विशिष्ट मंत्र है. एकाक्षरी व त्रयाक्षरी मंत्रों को तांत्रिक साधना के मंत्र के पहले और बाद में संपुट की तरह भी लगाया जा सकता है.

पांच अक्षरी काली मंत्र

ॐ क्रीं ह्रुं ह्रीं हूँ फट्॥

माना जाता है कि इस पंचाक्षरी मंत्र का जाप प्रतिदिन प्रात:काल में 108 बार किया जाये तो मां काली साधक के सभी दुखों का निवारण करके उसके यहां धन-धान्य की वृद्धि करती हैं. पारिवारिक शांति के लिए भी इस मंत्र का जप किया जाता है.

षडाक्षरी काली मंत्र

ॐ क्रीं कालिके स्वाहा॥

इस षडाक्षरी मंत्र का जप सम्मोहन आदि तांत्रिक सिद्धियों के लिए किया जाता है. यह मंत्र तीनों लोकों को मोहित करने वाला है.

सप्ताक्षरी काली मंत्र

ॐ हूँ ह्रीं हूँ फट् स्वाहा॥

यह मंत्र भी धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति के लिए यह मंत्र कारगर माना जाता है.

श्री दक्षिणकाली मंत्र

ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रुं ह्रुं क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिणकालिके क्रीं क्रीं क्रीं ह्रुं ह्रुं ह्रीं ह्रीं॥

तांत्रिक इस मंत्र के जरिये दक्षिण काली की साधना कर सिद्धि प्राप्ति की कामना करते हैं. यदि आपको शत्रुओं का भय सता रहा है तो आप भी अपने गुरु के मार्गदर्शन में इस मंत्र का जाप कर सकते हैं.

श्री दक्षिणकाली मंत्र

क्रीं ह्रुं ह्रीं दक्षिणेकालिके क्रीं ह्रुं ह्रीं स्वाहा॥

यह भी दक्षिण काली का एक प्रचलित मंत्र है. रोग दोष आदि को दूर करने के लिए इस मंत्र से साधना करें. मां काली शीघ्र कृपा करती हैं.

श्री दक्षिणकाली मंत्र

ॐ ह्रुं ह्रुं क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं दक्षिणकालिके ह्रुं ह्रुं क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं स्वाहा॥

इस मंत्र में भी विभिन्न बीज मंत्रों को सम्मिलित किया गया है जिससे मंत्र और अधिक शक्तिशाली हो जाता है. मां काली को शीघ्र प्रसन्न करने के लिए तांत्रिक या सन्यासी इस मंत्र के द्वारा मां काली की साधना करते हैं.

श्री दक्षिणकाली मंत्र

ॐ क्रीं क्रीं क्रीं ह्रुं ह्रुं ह्रीं ह्रीं दक्षिणकालिके स्वाहा॥

यह काली माता का एक विशिष्ट मंत्र है इसका प्रयोग भी तांत्रिक साधना में किया जाता है.

भद्रकाली मंत्र

ॐ ह्रौं काली महाकाली किलिकिले फट् स्वाहा॥

मां भद्रकाली के इस मंत्र का प्रयोग शत्रुओं को वश में करने के लिये किया जाता है. शत्रुओं के तीव्र विनाश के लिये मां भद्रकाली की साधना की जाती है. मां भद्रकाली को धर्म, कर्म और अर्थ की सिद्धी देने वाली माना जाता है. साधक जिस भी कामना से भद्रकाली की साधना करता है, उनकी उपासना करता है, वह पूर्ण होती है.

मां काली मां दुर्गा का ही एक स्वरुप है. दस महाविद्या के शाबर मन्त्र साधना .. मां दुर्गा के इस महाकाली स्वरुप को देवी के सभी रुपों में सबसे शक्तिशाली माना जाता है. दस महाविद्याओं में काली का पहला स्थान माना जाता है. दुष्ट, अभिमानी राक्षसों के संहार के लिए मां काली को जाना जाता है. अक्सर काली की साधना सन्यासी या तांत्रिक करते ही करते हैं लेकिन मां काली के कुछ मंत्र ऐसे भी हैं जिनका जाप कर कोई भी साधक अपने जीवन के संकटों को दूर कर सकता है.

श्री शमशान काली मंत्र

ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं कालिके क्लीं श्रीं ह्रीं ऐं॥

यह माना जाता है कि शमशान काली शमशान में वास करती हैं व शव की सवारी करती हैं. तंत्र विद्या के अनुसार शमशान काली की साधना शवारुढ़ यानि शव पर बैठकर की जाती है. इसलिए यह बहुत ही जटिल एवं अमानवीय साधना भी मानी जाती है जो कि सामाजिक व कानूनी रुप से लगभग प्रतिबंधित है. फिर भी लकड़ी आदि के टुकड़ों में प्राण प्रतिष्ठा कर उसे शव का रुप देकर भी तांत्रिक शमशान काली की साधना करते हैं. भूत-प्रेत, पिशाचादि को वश में करने के लिए शमशान काली की साधना की जाती है.

दस महाविद्या के शाबर मन्त्र साधना

साधना विधि

साधक स्नान करके, आसन शुद्धि की क्रिया सम्पन्न करके, शुद्ध आसन पर बैठ जाएँ. माथे पर अपनी पसंद के अनुसार भस्म, चंदन अथवा रोली लगा लें, शिखा बाँध लें, फिर पूर्वाभिमुख होकर तत्त्व शुद्धि के लिए चार बार आचमन करें. इस समय निम्न मंत्रों को बोलें-

ॐ ऐं आत्मतत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा.

ॐ ह्रीं विद्यातत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा॥

ॐ क्लीं शिवतत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा.

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सर्वतत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा॥

तत्पश्चात प्राणायाम करके गणेश आदि देवताओं एवं गुरुजनों को प्रणाम करें.

शापोद्धार मंत्र का एक माला जाप करे-

ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं क्रां क्रीं चण्डिकादेव्यै शापनाशागुग्रहं कुरु कुरु स्वाहा ..

अब उत्कीलन मंत्र का एक माला जाप करे-

ॐ श्रीं क्लीं ह्रीं मंत्र चण्डिके उत्कीलनं कुरु कुरु स्वाहा ..

ध्यान मंत्र:

खड्गमं चक्रगदेशुषुचापपरिघात्र्छुलं भूशुण्डीम शिर: शड्ख संदधतीं करैस्त्रीनयना सर्वाड्ग भूषावृताम .

नीलाश्मद्दुतीमास्यपाददशकां सेवे महाकालीकां यामस्तौत्स्वपिते हरौ कमलजो हन्तुं मधु कैटभम ॥

दसमहाविद्या सायुज्य नवार्ण मंत्र-

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं दसगुणात्मिकायै चामुंडायै प्रसीद प्रसीद दुर्गादेव्यै नमः॥

जब ध्यान हो जाये तब दस महाविद्या सायुज्य नवार्ण मंत्र का नित्य 11 माला जाप 9 दिन रात्रिकालीन समय मे उत्तर मुखी बैठकर करे,आसन वस्त्र लाल रंग के हो.फोटो मे दुर्गा सप्तशती मंत्र दे रहा हु उसका कॉपी बनवाकर यंत्र को स्थापित करे और मंत्र जाप रुद्राक्ष माला से कर सकते हैं.इससे साधना के बाद नवार्ण मंत्र और दस महाविद्या मंत्रो मे पुर्ण सफलता प्राप्त होता है.

साथ मे काली तंत्र का एक विधान दे रहा हु जिसे आप इस साधना को करने के बाद करे तो महाकाली जी का आशिर्वाद विषेश रुप से प्राप्त होता है.

बाईस अक्षर का श्री दक्षिण काली मंत्र -

ॐ क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रुं ह्रुं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रुं ह्रुं स्वाहा ..

ध्यान मंत्र -
.. ॐ स्धशीचछन्नसिर: कृपणंभयं हस्तेवरम बिभ्रती धोरास्याम सिर्शाम स्त्रजा सुरुचिरामुन्मुक्त केशावलिम || स्रुकास्रुक प्रव्हाम स्मशान निल्याम श्रुतयो: रावालंकृति श्रुतयो: सवालंकृतिम श्यामांगी कृतमेख्लाम शवकरेदेवीभजे कालिकाम ..

इस तरह से ध्यान करके नीचे कर्म से दिये 10 महाविद्याओं के किसी एक मंत्र सिद्धि के लिए 9 दिन रात्रि काल मे नियमित 11 माला जाप करे.

सोरठा

ॐ सोऽहं सिद्ध की काया, तीसरा नेत्र त्रिकुटी ठहराया . गगण मण्डल में अनहद बाजा.
वहाँ देखा शिवजी बैठा, गुरु हुकम से भितरी बैठा, शुन्य में ध्यान गोरख दिठा.
यही ध्यान तपे महेशा, यही ध्यान ब्रह्माजी लाग्या, यही ध्यान विष्णु की माया.
ॐ कैलाश गिरि से आई पार्वती देवी, जाकै सन्मुख बैठे गोरक्ष योगी
देवी ने जब किया आदेश . नहीं लिया आदेश, नहीं दिया उपदेश .
सती मन में क्रोध समाई, देखु गोरख अपने माही,
नौ दरवाजे खुले कपाट, दशवे द्वारे अग्नि प्रजाले, जलने लगी तो पार पछताई.
राखी राखी गोरख राखी, मैं हूँ तेरी चेली, संसार सृष्टि की हूँ मैं माई .
कहो शिव-शंकर स्वामीजी, गोरख योगी कौन है दिठा .
यह तो योगी सबमें विरला, तिसका कौन विचार .
हम नहीं जानत, अपनी करणी आप ही जानी . गोरख देखे सत्य की दृष्टि .
दृष्टि देख कर मन भया उनमन, तब गोरख कली बिच कहाया .
हम तो योगी गुरुमुख बोली, सिद्धों का मर्म न जाने कोई .
कहो पार्वती देवीजी अपनी शक्ति कौन-कौन समाई.
तब सती ने शक्ति की खेल दिखाई, दश महाविध्या की प्रगटली ज्योति.

प्रथम ज्योति महाकाली प्रगटली
ॐ निरंजन निराकार अवगत पुरुष तत-सार, तत-सार मध्ये ज्योत, ज्योत मध्ये परम-ज्योत, परम-ज्योत मध्ये उत्पन्न भई माता शम्भु शिवानी काली ॐ काली काली महाकाली, कृष्ण वर्णी, शव वाहिनी, रुद्र की पोषणी, हाथ खप्पर खडग धारी, गले मुण्डमाला हंस मुखी . जिह्वा ज्वाला दन्त काली . मद्यमांस कारी श्मशान की राणी . मांस खाये रक्त पीवे . भस्मन्ती माई जहां पाई तहां लगाई. सत की नाती धर्म की बेटी इन्द्र की साली काल की काली जोग की जोगन, नागों की नागन मन माने तो संग रमाई नहीं तो श्मशान फिरे अकेली चार वीर अष्ट भैरों, घोर काली अघोर काली अजर बजर अमर काली भख जून निर्भय काली बला भख, दुष्ट को भख, काल भख पापी पाखण्डी को भख जती सती को रख, ॐ काली तुम बाला ना वृद्धा, देव ना दानव, नर ना नारी देवीजी तुम तो हो परब्रह्मा काली.

ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं कालिके क्लीं श्रीं ह्रीं ऐं॥

यह माना जाता है कि शमशान काली शमशान में वास करती हैं व शव की सवारी करती हैं. तंत्र विद्या के अनुसार शमशान काली की साधना शवारुढ़ यानि शव पर बैठकर की जाती है. इसलिए यह बहुत ही जटिल एवं अमानवीय साधना भी मानी जाती है जो कि सामाजिक व कानूनी रुप से लगभग प्रतिबंधित है. फिर भी लकड़ी आदि के टुकड़ों में प्राण प्रतिष्ठा कर उसे शव का रुप देकर भी तांत्रिक शमशान काली की साधना करते हैं. भूत-प्रेत, पिशाचादि को वश में करने के लिए शमशान काली की साधना की जाती है.

Koti Devi Devta

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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