गुजरात के गांवों पर आसमान से हुई रहस्यमयी गोलों की बारिश, जांच में जुटे वैज्ञान‍िक

गुजरात के गांवों पर आसमान से हुई रहस्यमयी गोलों की बारिश, जांच में जुटे वैज्ञान‍िक

प्रेषित समय :12:32:01 PM / Tue, May 17th, 2022

अहमदाबाद. मध्य गुजरात के लोग अचानक आसमान से आती आवाज सुनकर चौंक गए. देखते ही देखते तेज रोशनी चमकी और फिर जोरदार धमाके जैसी आवाज हुई. आसमान से धातु से बनी हुई गेंदें टपकने लगीं. एक के बाद एक तीन गांवों में इस तरह की गेंदें गिरीं. पांच गेंदें गिरने के बाद धातु के टुकड़ों के गिरने का सिलसिला शुरू हुआ. इनमें से कुछ टुकड़े लोहे की पट्टी की तरह थे. कुछ टुकड़े भेड़ों के बाड़े में आकर गिरे, जिससे एक मेमने की मौत हो गई. किसी और के हताहत होने की खबर नहीं है. आसमान से टपकी इन चीजों को देखकर गांव वाले हैरान रह गए. पुलिस ने आकर सभी चीजों को इकट्ठा किया और इसरो के अधिकारियों को सौंप दिया. इसरो पता लगा रहा है कि ये चीजें हैं क्या. इस बीच अमेरिका के एक खगोलविद ने अनुमान लगाया है कि ये चीजें चीन के रॉकेट के जले हुए अंश हो सकते हैं.

फोरेंसिक विज्ञान निदेशालय की टीम करेगी दौरा
ग्रामीण वडोदरा के एसपी रोहन आनंद ने कहा कि वे सावली में मिले वस्तुओं को आगे के निरीक्षण के लिए गांधीनगर में फोरेंसिक विज्ञान निदेशालय (डीएफएस) को भेजेंगे। आणंद के एसपी अजीत राजियन ने कहा कि जिले के तीन गांवों में मिली गेंदें उच्च घनत्व वाली धातु मिश्र धातुओं से बनी हुई लगती हैं जिनका उपयोग रॉकेट छोड़ने के समय किया जाता है।

उन्होंने कहा कि पृथ्वी के वायुमंडल में फिर से प्रवेश करने पर कम घनत्व वाले हिस्से जल जाते हैं, उच्च घनत्व वाले हिस्से उच्च तापमान का सामना कर सकते हैं और अगर वे कक्षा से बाहर हो जाते हैं तो जमीन पर दुर्घटनाग्रस्त हो सकते हैं। खेड़ा के एसपी राजेश गढ़िया ने अहमदाबाद मिरर को बताया कि विभाग अहमदाबाद में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल) में वैज्ञानिकों के संपर्क में है जो अंतरिक्ष विभाग के तहत एक स्वायत्त संस्थान है ताकि अज्ञात वस्तुओं का विश्लेषण और पहचान की जा सके।

स्थानीय पुलिस के अनुसार, 12 मई को शाम करीब 4.45 बजे पहली बड़ी, काली धातु की गेंद जिसका वजन लगभग पांच किलोग्राम था, आणंद के भलेज गांव में आसमान से गिरी। उसके बाद दो अन्य गांवों - खंभोलज में दो समान टुकड़े गिरे और रामपुरा से भी सूचना आई। तीन गांव 15 किलोमीटर के दायरे में स्थित हैं, जिनमें से एक टुकड़ा चिमनभाई के खेत में ग‍िरा। 14 मई को भी इसी तरह के गोले के आकार का मलबा भालेज से करीब 8 किलोमीटर दूर आणंद के चकलासी गांव में सामने आया था।

हालांकि भारतीय अधिकारियों ने यह पता लगाने के लिए कोई बयान जारी नहीं किया है कि यह क्या हो सकता है, हार्वर्ड स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के खगोलशास्त्री जोनाथन मैकडॉवेल ने ट्वीट किया कि यह संभवतः चांग झेंग 3 बी सीरियल Y86 - चीन के कक्षीय प्रक्षेपण वाहन के पुन: प्रवेश का मलबा हो सकता है। Aerospace.org ने भी इसकी भविष्यवाणी करते हुए कहा था कि प्रक्षेपण यान 12 मई को लगभग 10.37 बजे (IST) पृथ्वी के अंतरिक्ष में फिर से प्रवेश करेगा। ये मलबा उसी का हो सकता है।

अंतरिक्ष मलबा क्या है?
अंतरिक्ष मलबे में प्राकृतिक अंतरिक्ष मलबे जैसे उल्कापिंड, या मानव निर्मित शामिल हो सकते हैं जिनमें निष्क्रिय अंतरिक्ष यान और उपग्रह शामिल हो सकते हैं। नासा के अनुसार, अंतरिक्ष मलबे के रूप में 10 सेमी से बड़ी 25,000 से अधिक वस्तुओं का अस्तित्व ज्ञात है और 1 से 10 सेमी व्यास के बीच कणों की अनुमानित आबादी लगभग 500,000 है। नासा के अनुमानों के अनुसार जनवरी 2022 तक, पृथ्वी की परिक्रमा करने वाली सामग्री की मात्रा 9,000 मीट्रिक टन से अधिक थी।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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