बेणेश्वर में बने हवाई अड्डा, आदिवासियों के लिए हो विशेष पंचवर्षीय योजना!

बेणेश्वर में बने हवाई अड्डा, आदिवासियों के लिए हो विशेष पंचवर्षीय योजना!

प्रेषित समय :07:40:41 AM / Mon, May 16th, 2022

प्रदीप द्विवेदी. कभी कालापानी पुकारा जानेवाला दक्षिण राजस्थान का वागड़ क्षेत्र माही परियोजना के कारण अब इस नामकरण से तो मुक्त हो गया है, लेकिन अभी भी इस क्षेत्र के आदिवासियों के लिए विशेष योजना की सख्त जरूरत है!

पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने यहां माही परियोजना के जल प्रवाह का शुभारंभ किया, तो इस क्षेत्र को सबसे अधिक समय देनेवाले पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने माही परियोजना के विस्तार को नई ऊंचाइयां दी.

माही परियोजना की परिकल्पना में जहां बांसवाड़ा के पहले प्रधानमंत्री भूपेंद्रनाथ त्रिवेदी की महत्वपूर्ण भूमिका रही, तो इसे शुरू कराने में वागड़ के प्रमुख आदिवासी नेता भीखाभाई का विशेष योगदान रहा, जबकि राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी ने इसे बुलंदियों पर पहुंचाया.

माही परियोजना ने आधुनिक वागड़ की नींव रखी और यहां के लोगों को अच्छे दिन दिखाए, लेकिन बीजेेपी सरकार ने न तो इसके विस्तार पर ध्यान दिया और न ही प्रबंधन तथा रखरखाव पर नजर रखी, इस परियोजना का विस्तार होना चाहिए.

अब इस क्षेत्र के आदिवासियों के लिए अलग से विशेष योजना की भी जरूरत है, जिसमें ये मुद्दे प्रमुखता से शामिल हों....

एक- वागड़ की रेल.... रतलाम, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, अहमदाबाद को मोदी सरकार नेे ठंडे बस्ते में डाल दिया है, मोदी सरकाार के पास बुलैट ट्रेन के लिए तो धन की कोई कमी नहीं रही, फिर अभावग्रस्त इस क्षेत्ऱ के लिए खजाना खाली कैसे हो गया है?

दो- इस क्षेत्र में हवाई सेेवा की जरूरत है, जिसके अभाव में यहां बड़े उद्योग और पर्यटक आ नहीं रहे हैं. यहां हवाई अड्डा बेेणेश्वर में बन सकता है, जो बांसवाड़ा और डंूगरपुर के मध्य का क्षेत्र है. इसके अलावा त्रिपुरा सुंदरी क्षेत्र में हवाई अड्डा बनता है, तो पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्र बन सकता है. एमपी और राजस्थान केे आपसी सहयोग सेे रतलाम और बांसवाड़ा के बीच दानपुर के पास हवाई अड्डा बन सकता हैे, जो इस संपूर्ण क्षेेत्र केे लिए उपयोगी साबित हो सकता है.

तीन- बांसवाड़ा में फिल्म सिटी की जरूरत है, इसके लिए बांसवाड़ा शहर की माही कॉलोनी को डेवलप किया जा सकता हैं.

चार- यहां रोजगार का अभाव है, जिसके कारण यहां के युवाओं, खासकर आदिवासी युवाओं को मुंबई, अहमदाबाद, इंदौर जैसे शहरों में जाना पड़ता है, इतना ही नहीं, प्रमुख सरकारी सेवाओं में भी यहां के आदिवासियों को फायदा नहीं मिल रहा है.

पांच- यहां स्थानीय उपलब्धता और जनता की जरूरतों के सापेक्ष सर्वे करके बड़े उद्योग स्थापित करने की जरूरत है, खासकर कृषि पर आधारित उद्योग यहां की तस्वीर बदल सकते हैं. इससे यहां के लोगोें की बेरोजगारी तो कम होगी ही, यहां के लोगों को भी खरीद-बेचान का नया और बड़ा अवसर भी मिल सकेेगा.

याद रहे, स्थानीय रोजगार का अभाव इस क्षेत्र के लिए बड़ी समस्या बनती जा रही है, जिसके नतीजे में यहां के लोगों को खेती-बाड़ी, काम-धंधा, पढ़ाई-लिखाई छोड़ कर गुजरात, महाराष्ट्र जाना पड़ रहा है, जहां वे कड़ी मेहनत करके जैसे-तैसे अपने और अपने परिवार का गुजारा कर रहे हैं, बड़ा सवाल यही है कि- इनके अच्छे दिन कब आएंगे?

छह- इस क्षेत्र में शिक्षा की हालत खराब है, कागजों में तो बहुत विस्तार हो गया है, लेकिन दिखावा, हकीकत में कब बदलेगा? यहां के युवा आईएएस, आरएस जैसे बड़े अधिकारी कब बनेंगे? या अभाव में मजदूर बन कर ही रह जाएंगे!

सात- इस क्षेत्र में चिकित्सा सेवाएं खुद बीमार हैं, लोगों को मजबूरन इलाज के लिए गुजरात जाना पडता है. इन बीमार चिकित्सा सेवाओं का इलाज कब होगा?

यदि आप भी इसी क्षेत्र वागड़-मेवाड़ मेें रहते हैं, तो अपने सुझाव भेजें कि  [email protected]  वागड़ के विकास के लिए क्या-क्या जरूरी है?

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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