कैसा भी शनि दोष हो अवश्य दूर होगा

कैसा भी शनि दोष हो अवश्य दूर होगा

प्रेषित समय :19:05:35 PM / Fri, May 6th, 2022

शनि ग्रह एक ऐसा ग्रह है जो सातो ग्रहों में सबसे क्रूर भी है और पापी भी.शनि से दुनिया के ४१.७ प्रतिशत लोग सदैव प्रभावित रहते हैं.१२ में से ३ राशियों पर तो शनि की हमेशा ही साढ़े साती रहती और दो राशियों पर इसकी ढईया रहती है.इस प्रकार ५ राशियाँ सदैव ही शनि से प्रभावित रहती हैं.इसके अतिरिक्त शनि की महादशा और अन्तर्दशा अलग से आती है जीवन में.राहू केतु से लोग डरते हैं लेकिन राहू केतु का कोई भौतिक अस्तित्व ही नहीं है और यह जहाँ बैठते हैं जिससे युति करते हैं या जिसकी दृष्टि में होते हैं उसके परिणाम देते हैं.शनि ऐसा ग्रह है जिसका भौतिक अस्तित्व भी है और सबसे बड़ा कष्ट कारक भी यही होता है किसी भी व्यक्ति के जीवन काल में.शनि की तासीर है अर्थ संकट उत्पन्न करना और पारिवारिक क्लेश करना.शनि के दुस्परिणाम स्वरुप अशांति बनी रहती है ,पारिवारिक अर्थव्यवस्था चरमरा जाती है ,असामान्य स्वप्न आते हैं ,लक्ष्मी विमुख हो जाती है.शनि की शान्ति ,प्रसन्नता के अनेक उपाय बताये जाते हैं फिर भी लोग शनि से परेशान होते हैं.हम आपको शनि की शान्ति का एक अत्यंत सरल और तंत्रोक्त उपाय बताते हैं जो करने में जितना सरल है इसका प्रभाव उतना ही अधिक है चूंकि तंत्रोक्त उपाय सबसे अधिक कारगर उपाय होते हैं.

किसी भी शनिवार के दिन सूर्योदय से सूर्यास्त के मध्य यह प्रयोग करें.एक नारियल का गोला या खोपरा लें ,चाक़ू से उसका मुंह इतना काट लें की उसमे एक ऊँगली जा सके.अब परिवार के सभी सदस्य मिलकर उस गोले में पीसी चीनी ,गोले का चूरा ,काजू ,दाख ,बादाम ,पिस्ता अखरोट ,सूखे मेवे पीसकर अथवा छोटे छोटे टुकड़े करके भर दें.जब तक गोले में यह भरने की प्रक्रिया चले तब तक परिवार के सभी सदस्य शनि भगवान् के समक्ष लीन होकर मंत्र -- ॐ शं शनैश्चराय नमः बोलते हुए घर में सुख समृद्धि लाने और धन संकट मिटाने की मंगल कामना हाथ जोड़कर करते रहें.जब नारियल का गोला भर जाय तब घर का मुखिया या कोई भी सदस्य ,अच्छा यह होगा की वह सदस्य जो शनि की साढ़ेसाती अथवा ढईया से पीड़ित है ,किसी बरगद या पीपल के बहुत ही विशाल वृक्ष जो एकांत में हो उसके नीचे जाकर इस प्रकार गाड़ दें की नारियल के गोले का कटा हुआ भाग पृथ्वी पर थोडा सा दिखाई देता रहे.गोला एक बार गाड़ने के बाद कोई भी पशु पक्षी उसे खोदकर निकाल न दे इसलिए उसके ऊपर पत्थर का एक टुकड़ा इस प्रकार ढक दें की छिद्र मात्र दिखता रहे.गोला भरने के बाद जो सामग्री बची हो उसे भी नारियल का गोला जहाँ दबाया है उसके चारो और छिड़क दें जिससे की उसमे चीटियाँ जल्दी लग जाएँ.चीटियों के लिए कई वर्ष का भोजन प्रदान कर आपने ढइया एवं साढ़ेसाती के एक चरण से मुक्ति पाने का कार्य कर लिया.यदि साढ़ेसाती है तो तीन चरण में ढाई ढाई वर्ष में तीन बार क्रिया कर दीजिये ,ढइया है तो एक बार.आप शनि के कष्ट में कमी पायेंगे.[मुक्ति मार्ग ] 

अब एक अद्भुत प्रयोग हम आपको बताते हैं जो आपको थोडा अलग तो लगेगा किन्तु अत्यंत कारगर है.यह मात्र शनि ही नहीं शनि ,राहू ,केतु तीनों पर कारगर है चूंकि तीनों मित्र हैं.शनि को कब्जे में कर लें तो तीनों ही ग्रह आपके पक्ष में हो जाते हैं.शनि के लिए कुछ नहीं करना है ,शनि मांगे तेल 
१.आप केवल लोहे की एक शनी की मूर्ती घर में बिठा लें और घर में जो भी तेल ,घी आये शनी को चढ़ाकर फिर खाते रहें.तेल चढ़ता रहेगा ,घी चढ़ता रहेगा और आप भी खाते रहेंगे.अपने खाने के लिए तो वैसे भी खरीदेंगे तो क्यों नहीं शनी देव को चढ़ाकर खाएं.

अब प्रश्न है की क्या घर में शनी की मूर्ती स्थापित करना उचित है.शनि को चढ़ाया तेल वापस कैसे लिया जा सकता है ?कैसे उसका उपयोग खुद के लिए किया जा सकता है? यह उल्टा प्रयोग तो नहीं ?यह प्रश्न भी उठता है कि शनी देवता को तेल शनिवार को ही चढ़ाया जाता है जबकि यहाँ कहा जा रहा जब भी तेल घी आये शनी को चढ़ाकर उपयोग करें ?कही हमारा कोई नुक्सान तो नहीं होगा ? इन सबका उत्तर है की ,आप यह विचार मन में लायें कि हम शनि भगवान् के ही हैं ,जहाँ भी रहते हैं शनी दरबार में ही रहते हैं.शुद्ध सात्विक जो भी पाते हैं शनि का ही प्रसाद पाते हैं.जो भी शुभ कार्य करते हैं शनि देव का ही करते हैं.शनी देव के ही दिए प्रसाद से शनिदेव के ही जनों की सेवा करते हैं.उसके बाद शनिदेव की लोहे की मूर्ती आपके लिए देव मूर्ति हो जाती है और उस पर चढ़ाई वस्तु प्रसाद. घर के उपयोग में लाने के लिए जो तेल खरीदकर लाते हैं ,शनिदेव पर चढ़ाकर काम में लें.चढाते समय बस शनि मंत्र भी बोलते रहें.घर में जितना भी तेल घी जो भी लायें पहले शनी की मूर्ती पर चढाने का संकल्प लें लें ,इसमें कोई पैसा तो आपका खर्च होगा नहीं ,शनिदेव भी आपके हो जायेंगे.व्यक्ति के जीवन की साथ वर्ष की आयु में कम से कम साढ़े बाईस वर्ष शनी का प्रभाव ,साढे साती ,ढइया आदि के रूप में रहता है अगर महादशा न भी आये तो ,अन्तर्दशा अलग से होती है किसी भी महादशा में.जब आप पूरे ही शनिदेव को समर्पित हो कार्य करेंगे तो कम से कम साढ़े बाईस वर्ष दुःख की बजाय सुखों से भरपूर गुजारेंगे.

शनी पापी ग्रह है ,पापी ग्रह से दोस्ती पहले से रखना अति उत्तम है ,क्योंकि सौम्य ग्रह तो परेशान करते नहीं. जैसे गुंडों बदमाशों से दोस्ती होने पर लोग दूर से ही नमस्कार करते हैं उसी तरह केवल एक ग्रह शनि देव को नियंत्रण में ले लें ,दुसरे ग्रह आपको नमस्कार करने लगेंगे.शनि को तेल किसी भी दिन चढ़ाया जा सकता है क्योंकि शनि की होरा रोज ही आती.शनिवार को प्रथम होरा इनकी होती है अतः उस दिन को शनिवार कहा जाता है अन्यथा इनकी होरा रोज ही होती है अलग अलग समय पर.इस तरह आप शनिदेव से मित्रता कर अपने जीवन को अधिकतम सुखी बना सकते हैं और कुंडली में शनी कैसे भी हों ,साढ़े साती ,ढइया कभी भी आये आप सुखी ही रहेंगे.महादशा ,अन्तर्दशा दुखकारक न होकर राजयोग कारक बन सकती है. 

Naresh Kumar Jaiswal

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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