पीपल वृक्ष की पूजा केवल शनिवार को ही करनी चाहिए

पीपल वृक्ष की पूजा केवल शनिवार को ही करनी चाहिए

प्रेषित समय :20:47:46 PM / Fri, Apr 29th, 2022

पीपल और शनि ॐ प्राम प्रीम प्रौम सः शनये नमःॐ खां खीं खों सः शनये नमः धर्म शास्त्रों में वर्णन है कि पीपल पूजा केवल शनिवार को ही करनी चाहिए. शनिवार को पीपल पर जल व तेल चढ़ाना, दीप जलाना, पूजा करना या परिक्रमा लगाना अति शुभ होता है. पुराणों में आई कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि समुद्र मंथन के समय लक्ष्मीजी से पूर्व उनकी बडी बहन, अलक्ष्मी (ज्येष्ठा या दरिद्रा) उत्पन्न हुई, तत्पश्चात लक्ष्मीजी.लक्ष्मीजी ने श्री विष्णु का वरण कर लिया. इससे ज्येष्ठा नाराज हो गई. तब श्री विष्णु ने उन अलक्ष्मी को अपने प्रिय वृक्ष और वास स्थान पीपल के वृक्ष में रहने का ओदश दिया और कहा कि यहाँ तुम आराधना करो. मैं समय-समय पर तुमसे मिलने आता रहूँगा एवं लक्ष्मीजी ने भी कहा कि मैं प्रत्येक शनिवार तुमसे मिलने पीपल वृक्ष पर आया करूँगी.

शनिवार को श्री विष्णु और लक्ष्मीजी पीपल वृक्ष के तने में निवास करते हैं. इसलिए शनिवार को पीपल वृक्ष की पूजा, दीपदान, जल व तेल चढाने और परिक्रमा लगाने से पुण्य की प्राप्त होती है और लक्ष्मी नारायण भगवान व शनिदेव की प्रसन्नता होती है जिससे कष्ट कम होते हैं और धन-धान्य की वृद्धि होती है.

श्री शनि - भार्या स्त्रोत :=ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलह-प्रिया,कलही कंटकी चापि अजा महिषी तुरंगमा ! नामानि शनि-भार्यायाः नित्यम जपति यः पुमान,तस्य दुखानी नश्यन्ति सुखं सौभाग्यमेधते !! ---जो आदमी

शनि पत्नी के नामों का जप करता है उसके दुःख नष्ट होते हैं और सुख,

सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है !!!

1 = " ॐ खां खीं खों सः शनये नमः " = 23000 जाप - नीले फूल ओर चन्दन से शनिदेव की पूजा - तेल का दीपक = पाइए = आकस्मिक संकट ओर दुर्भाग...्य से मुक्ति =

2 = " ॐ ऐं ह्रीं श्रीं शनेश्चराय नमः " = 11 माला जाप प्रत्येक शनिवार = पाइए - कुष्ठ रोग से मुक्ति =

3 = जो लोग हमेशा उदास रहते है - चिडचिडे होते है - गंदे रहते है - उनको जीवन में बदलाव के लिए - गुलाबी ओर कभी - कभी लाल रंग के कपड़ो का उपयोग करना चाहिए =

4 = " ॐ शं शनेश्चराय नमः " = प्रत्येक शनिवार 5 माला जाप = पाइए कमर दर्द से मुक्ति =

5 = कमर दर्द से मुक्ति हेतु धारण करिए - " कटेला ( कटहला ) " रत्न - किन्तु ज्योतिष सलाह से =

6 = अगर आपकी जन्मकुंडली में - दुर्घटना योग - आकस्मिक संकट योग - शारीरिक पीड़ा योग बना हुआ है - तो 11 शनिवार लगातार 11 - 11 पीस सरसों तेल की भजिया ( पकोड़ी ) अपने शरीर से 9 बार उसारकर कौओ को खाने के लिए डाल देवे =

7 = श्री शनिदेव को ऐसे ब्यक्तियो से सख्त नफरत है - जो शराब पीता हो ओर पर स्त्री गमन करता हो - अतः इन आदतों से दूर रहे 

शनि   देव  के  सामान्य  मन्त्र  : ॐ  शं  शनैश्चराय  नमः  

शनि  देव  के  बीज  मन्त्र   ॐ  प्राम   प्रीम   प्रौम   सः  शनये   नमः  

शनि   देव  के  गायत्री  मन्त्र   : ॐ भूर्भुवः  स्वः   शन्नो   देविर्भिष्टाय  विद्महे  नीलान्जनाय धीमहि   तन्नो   शनिः   प्रचोदयात  

शनि   देव  के  वैदिक  मन्त्र  :
ॐ   शन्नो  देविर्भिष्टाय  आपोभवन्तु  पीतये  शंयोर   भिश्रवन्तु  नः   

शनि   देव  के  पौराणिक  मन्त्र :

ॐ नीलांजन  समाभासं   रविपुत्रं   यमाग्रजम  छायामार्तण्ड संभूतं तं नमामि    शनैश्चरं      

शनि   देव  के  ध्यान  मन्त्र   :  

इन्द्र्नीलद्युतिः शूली  वरदो  गृध्र  वाहनः ! बाण -बाणा-संधर :कर्ताव्योअर्क-सुतस्त्था   

पीपल का पेड़  सदियों से पूजनीय माना जाता है. शास्त्रों में पीपल की जड़ में ब्रह्मा, तने में विष्णु और शाखाओं में शिवजी का वास बताया गया है.  गीता में भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं को वृक्षों में पीपल का वृक्ष बताया है जो इस वृक्ष की महत्ता बयान करता है. इसकी पूजा करने से सभी देवताओं का आशीर्वाद मिलता है. भगवान बुध्द को इसी पेड़ के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी.पीपल   का महत्त्व जानकर ही इसे काटना धार्मिक रूप से निषेध किया गया है. अतः पीपल के पेड़ को काटना नहीं चाहिये पीपल का पेड़ बहुत ही खास तरह का पेड़ है. यह औषधि वाले गुणों से युक्त है. इसके सभी अंग दवा में काम आ सकने योग्य होते हैं. पीपल की एक अन्य विशेषता यह है कि यह रात के समय भी ऑक्सीजन दे सकता है. सामान्य रूप से पेड़ पौधे रात के समय कार्बन डाईऑक्साइड छोड़ते है. इसी वजह से रात को पेड़ के नीचे सोने के लिए मना किया जाता है.

पीपल के फल और बीज बहुत छोटे आकार के होते हैं. इसका बीज राई के दाने से भी छोटा होता है लेकिन यह एक विशालकाय वृक्ष में परिवर्तित होने की क्षमता रखता है. पीपल का पेड़ लाख ( जिससे चूड़ी बनाई जाती है )  के उत्पादन के लिए उपयुक्त होता है.

पीपल की पूजा करने के लाभ

 व्रतराज के अनुसार रोज पीपल के पेड़ को जल चढ़ाकर पूजा करने और परिक्रमा करने से आर्थिक समस्या व समस्त बाधाएँ दूर होती हैं तथा आयु बढ़ती है.

शनिवार को  के पेड़ की पूजा करने वाले पर लक्ष्मी और शनि की कृपा हमेशा बनी रहती है.

शनिवार के दिन अमावस्या हो तो सरसों के तेल का दीपक जलाकर काले तिल से पीपल वृक्ष की पूजा करने से शनि दोष के कष्ट दूर होते हैं.

पूर्णिमा और अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने से विशेष लाभ होता है.

 पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी जी इसका फेरा लगाती है. इस समय फल पुष्प आदि अर्पित करने से लक्ष्मी जी की कृपा बनी रहती है.

शनिवार की शाम पीपल की जड़ के पास सरसों के तेल का दीपक जलाने से घर में सुख समृद्धि और खुशहाली आती है तथा रुके हुए

काम होने लगते हैं.

पीपल के वृक्ष के नीचे मंत्र, जप और ध्यान तथा सभी प्रकार के संस्कारों को शुभ माना गया है.

सोमवती अमावस्या के दिन पीपल की 108 परिक्रमा और व्रत करना बहुत लाभकारी होता है.

 शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे हनुमान चालीसा पढ़ने से हनुमान जी और शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है.

पीपल की पूजा करने का तरीका

सुबह नहा धोकर साफ शुद्ध कपड़े पहने. शुद्ध और पवित्र जगह पर स्थित  के पीपल पेड़ की पूजा करें. सबसे पहले जड़ों में गाय का दूध 

गंगाजल या शुद्ध जल चढ़ायें. चन्दन से टिका करें, अक्षत, मौली, जनेऊ, पुष्प आदि अर्पित करें. नैवेद्य के रूप में फल मिठाई आदि चढ़ायें.

दक्षिणा अर्पित करें. धूप और दीपक जलायें. हाथ जोड़कर ब्रह्मा विष्णु महेश से अपने परिवार की सुख समृद्धि के लिए प्रार्थना करें.

इस मन्त्र  का उच्चारण करें 

मूलतो  ब्रह्मरूपाय  मध्यतो  विष्णुरूपिणे.

अग्रत:   शिवरूपाय  वृक्षराजाय  ते  नम:..

आयु: प्रजां धनं धान्यं सौभाग्यं सर्वसम्पदम्.

देहि   देव   महावृक्ष  त्वामहं   शरणं  गत: ..

इसके बाद ब्रह्मा विष्णु महेश की आरती करें. थोड़ा पूजा का जल घर पर लाकर घर में छिड़काव करें.
यह जल सौभाग्य की वृद्धि करने वाला होता है.

कालसर्प योग से राहत मिलती है

पीपल के वृक्ष की पूजा करने व् उसे नियमित रविवार को छोड़ कर जल अर्पण करने से आपको अपनी कुंडली में होने वाले अशुभ गृह योगो से राहत मिलती है, साथ ही इसके कारण जिन व्यक्तियों को कालसर्प योग होने के कारण भविष्य में होने वाली परेशानियों से भी राहत मिलती है, और इसके लिए आपको पीपल के वृक्ष की परिक्रमा भी करनी चाहिए.

सावन मास में है पीपल की पूजा का महत्व 

सावन मास में पीपल की शनिवार को पूजा करने से आपको बहुत से फायदे होते है, इसके अलावा सावन माह की अमावस्या की समाप्ति पर और सावन के सभी शनिवार को पीपल की पूरे मन से पूजा अर्चना करने पर, और वहां पर हनुमान जी की अर्चना करने से आपको अपने जीवन में आने वाले घोर संकट से राहत पाने में मदद मिलती है, इसके अलावा यदि नियमित रूप से केवल रविवार को छोड़ कर हनुमान चालीसा का पाठ पीपल के नीचे बैठ कर किया जाएँ तो आपको बहुत फायदा होता है.

Koti Devi Devta

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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