आखिर मुख्यमंत्री ऐसा व्यवहार क्यों कर रहे हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ?

आखिर मुख्यमंत्री ऐसा व्यवहार क्यों कर रहे हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ?

प्रेषित समय :21:40:11 PM / Sat, Feb 5th, 2022

प्रदीप द्विवेदी. तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव शनिवार को वहां हवाई अड्डे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगवानी के दौरान गैर-मौजूद रहे, क्यों?

यह पहला मौका नहीं है, जब पीएम मोदी के साथ किसी मुख्यमंत्री ने किन्तु-परन्तु के साथ ऐसा व्यवहार किया हो, पंजाब की विवादास्पद यात्रा के दौरान सीएम चरणजीत चन्नी, पीएम मोदी के स्वागत के लिए नहीं पहुंचे थे, तो पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को मीटिंग के लिए करीब आधा घंटा इंतजार करवाया था!

दरअसल, इसकी वजह स्वयं प्रधानमंत्री का एकतरफा व्यवहार और राजनीतिक पक्षपात है?

जिस तरह से पीएम मोदी विदेश में नेताओं से खुलकर मिलते हैं, गले लगाते हैं, ऐसा व्यवहार तो वे बीजेपी के अपने बड़े नेताओं के साथ भी नहीं करते हैं, फिर विपक्षी नेताओं के साथ तो ऐसे व्यवहार की कल्पना ही व्यर्थ है?

इससे भी अलग, सबसे बड़ी बात यह है कि पीएम मोदी जाहिर तौर पर कहते हैं- सबका साथ, सबका विकास, लेकिन गैर-भाजपाई प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों और उनके दलों के साथ पक्षपात करके सियासी नुकसान पहुंचाने का कोई मौका छोड़ते नहीं हैं?

खबर है कि केसीआर के ऐसे रिएक्शन को लेकर तेलंगाना बीजेपी ने सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि- केसीआर नियमित रूप से संविधान का अपमान करते हैं, वो अब प्रोटोकॉल का उल्लंघन कर रहे हैं!

लेकिन, बड़ा सवाल यह है कि प्रोटोकॉल के उल्लंघन की शुरूआत किसने की? बगैर निमंत्रण के पाकिस्तान की यात्रा, प्रोटोकॉल का उल्लंघन ही नहीं, देश का अपमान भी थी?

याद रहे, इस बार के बजट 2022 के तुरंत बाद पीएम मोदी के खिलाफ सबसे तीखा सियासी हमला के चंद्रशेखर राव ने ही किया था, उन्होंने केंद्रीय बजट 2022-23 को- गोलमाल बजट, करार देते हुए इसे लोगों के साथ विश्वासघात बताया था!

उल्लेखनीय है कि पीएम मोदी विपक्ष के नेताओं को तो किसी सवाल का जवाब देना जरूरी नहीं समझते हैं, अपनी ही पार्टी के सांसद- सुब्रह्मण्यम स्वामी, वरुण गांधी आदि नेताओं के सही सवालों का जवाब देना भी जरूरी नहीं समझते हैं?

पीएम मोदी के सियासी व्यवहार को स्वीकार करना बीजेपी नेताओं के लिए भले ही एकतरफा अनुशासन की पालना हो, लेकिन विपक्ष के नेता ऐसा व्यवहार क्यों स्वीकार करेंगे?

सियासी सयानों का मानना है कि नरेंद्र मोदी की यात्राएं बतौर प्रधानमंत्री कम और बतौर राजनेता ज्यादा नजर आती हैं, ऐसे में मुख्यमंत्रियों के लिए भी यह आसान नहीं है कि वे सियासी प्रतिक्रिया से अपने आप को दूर रख सकें?

मजेदार बात यह है कि अनजाने में ही सही, पीएम मोदी के राजनीतिक रवैये को लेकर उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले डिजिटल रैली को संबोधित करते हुए राहुल गांधी दिलचस्प टिप्पणी की कि- एक प्रधानमंत्री को सबके लिए काम करना चाहिए, लोगों की बात सुनो...नरेंद्र मोदी जी पीएम नहीं हैं, बल्कि एक राजा हैं, उन्होंने लगभग एक साल तक किसानों की अनदेखी की, क्योंकि एक राजा मजदूरों की बात नहीं करता और न ही सुनता है, वो उनके लिए खुद फैसले लेता है

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Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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