दक्षिण दिशा का घर बहुत शुभ हो सकता और आपको मालामाल भी बना सकता

दक्षिण दिशा का घर बहुत शुभ हो सकता और आपको मालामाल भी बना सकता

प्रेषित समय :20:38:04 PM / Wed, Dec 29th, 2021

घर का वातावरण ही हमारे मन और विचारों को प्रभावित करता है. कहा जाता है जैसा हमारे घर का वातावरण होगा वैसे ही हमारे विचार होंगे. इसलिए आज हम बात करने जा रहे हैं दक्षिण मुखी भवन के बारे में, जिनके बारे में अक्सर कहा जाता है कि दक्षिण मुखी भवन शुभ नहीं होते.
क्योंकि हिन्दू धर्म में दक्षिण दिशा की ओर के घर को लंबे समय से लोगों द्वारा अपवित्र और अशुभ माना गया है. क्योंकि दक्षिण यमराज की दिशा है और दक्षिण को नकारात्मक ऊर्जा का स्रोत माना गया है. लेकिन हम आपको बता दें कि दक्षिण मुखी भवन हमेशा अशुभ फल नहीं देते. अगर आप उचित वास्तु घर नियमों का पालन करें तो दक्षिण दिशा का घर आपके लिए बहुत शुभ हो सकता है और आपको मालामाल भी बना सकता है.
साथ ही भवन में रहने वालों का जीवन वैभवशाली होता है. परिवार चौतरफा तरक्की कर सुखी एवं सरल जीवन व्यतीत करता है. आइए जानते हैं दक्षिण मुखी मकान की विशेषताएं और निर्माण करते कौन- कौन से वास्तु नियम का करना चाहिए पालन.
वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण मुखी भवन हर तरह के चुंबकीय बल व ऊर्जा को ग्रहण करने में सक्षम होते हैं. साथ ही ये बल भवन वासियों को स्वास्थ्य वर्धक व धनदायक विचार देते हैं, जिस कारण भवन वासियों को हर तरह की समृद्धि मिलती है.
वेसे तो दक्षिण मुखी भवन में रहने वाली महिलायें स्वभाव से उग्र हो सकती हैं लेकिन साथ ही साहसी भी होती हैं. वे जीवन में आने वाली विपदाओं से नहीं घबराती और उनका साहस से सामना करती हैं.
वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण मुखी भवन उन लोगों के लिए भी शुभ रहता है जो पावर में रहते हैं, प्रंबंधन देखते हैं या सरकार के लिए काम करते हैं.
घर का मुख्य द्वार ठीक दक्षिण में या दक्षिण- पूर्व में स्थित होना चाहिए न कि दक्षिण- पश्चिम में.
दक्षिण दिशा में भूमिगत जल या सेप्टिक टेंक नहीं होना चाहिए वर्ना दुर्घटनाएं व धन हानि हो सकती है.
ऑफिस या दुकान यदि दक्षिण या दक्षिण- पश्चिम में बनाई जाती है तो यह धन देती है लेकिन शर्त ये है कि किराये पर नहीं देनी चाहिए.
दक्षिण- पश्चिम या उत्तर- पूर्व में कोई वॉशरूम नहीं होना चाहिए.
दक्षिण मुखी भवन की शुभ ऊर्जा को स्वास्तिक व वास्तु पिरामिड स्थापित करके बढ़ाया जा सकता है. ये वातावरण को शुद्ध कर भवन वासियों को शारीरिक व मानसिक रूप से लाभ देते हैं.
दक्षिण मुखी भवन में सीढ़ियां हमेशा दक्षिण या दक्षिण- पश्चिम में ही बनानी चाहिए. उत्तर या पूर्व में बनाई सीढ़ियों से धन व कारोबार की क्षति होती है.
मुख्य द्वार के सामने कोई दीवार है तो उस पर गणेश या श्रीयंत्र लगाना चाहिए.
अगर घर में किसी भी तरह का वास्तु दोष है तो भगवान गणेश जी की पूजा करानी चाहिए.
Astro nirmal

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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