महंगा हुआ बिस्कुट: पारले जी ने कीमतों में 5-10% की बढ़ोत्तरी, रॉ मैटेरियल का भाव बढऩे का असर

महंगा हुआ बिस्कुट: पारले जी ने कीमतों में 5-10% की बढ़ोत्तरी, रॉ मैटेरियल का भाव बढऩे का असर

प्रेषित समय :18:03:39 PM / Wed, Nov 24th, 2021

मुंबई. बिस्कुट का सबसे सस्ता और छोटा पैकेट देनेवाली कंपनी पारले जी ने कीमतों में बढ़ोत्तरी कर दी है. कंपनी ने कहा कि रॉ मैटेरियल की कीमतों में बढ़त के कारण उसे ऐसा करना पड़ रहा है. इसलिए वह बिस्कुट के भाव में 5-10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की है.

सामानों की बढ़ी कीमतें

पारले जी ने कहा कि बिस्कुट बनाने के लिए जो जरूरी सामान लगते हैं, उनकी कीमतें हालिया समय में तेजी से बढ़ी हैं. कंपनी के सीनियर कैटेगरी हेड मयंक शाह ने कहा कि कीमतों को एक दायरे में रखने की कोशिश की जा रही थी, पर इसे बढ़ाने के सिवा कोई रास्ता नहीं था. बिस्कुट बनाने के लिए जिन सामानों की जरूरत होती है, उसमें गेहूं, चीनी और खाने के तेल शामिल होते हैं.

खाने का तेल 200 रुपए लीटर के पार

हाल के समय में खाने के तेल की कीमतें 200 रुपए प्रति लीटर के पार पहुंच गई हैं. पिछले एक साल में इसकी कीमत 50त्न से ज्यादा बढ़ी हैं. चीनी की कीमतें 40 रुपए किलो हैं. जबकि गेहूं भी 40-45 रुपए किलो है. कंपनी ने कहा कि ग्लूकोज बिस्कुट की कीमतों में 6-7 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की गई है. इसके साथ ही रस्क और केक जैसे बिस्कुट की कीमतों में 5-10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की है.

हाइड एंड सीक प्रसिद्ध ब्रांड

पारले जी के प्रसिद्ध ब्रांड हाइड एंड सीक और क्रैकजैक हैं. इनकी कीमतें भी बढ़ गई हैं. मयंक शाह ने कहा कि जिन बिस्कुट की कीमतें 20 रुपए या उससे ज्यादा हैं, उन्हीं की कीमतें बढ़ाई गई हैं. हालांकि उससे कम कीमत वाले बिस्कुट का वजन घटा दिया गया है. उनका कहना है कि ज्यादातर कंपनियों को रॉ मैटेरियल की कीमतों में बढ़त का सामना करना पड़ रहा है.

जनवरी-मार्च में भी बढ़ी थीं कीमतें

पारले जी ने इससे पहले इसी साल जनवरी-मार्च के दौरान भी कुछ प्रोडक्ट की कीमतों को बढ़ाया था. कोरोना के दौरान पारले जी प्रवासी भारतीयों का सबसे बड़ा सहारा बना था. शहरों से गांव की ओर जिन लोगों ने कोरोना में पलायन किया, उनके लिए पारले जी के बिस्कुट का छोटा पैकेट बहुत काम आया. इस दौरान पारले के बिस्कुट की रिकॉर्ड बिक्री हुई. जबकि लॉकडाउन में भी लोगों ने घरों में बंद रहकर इसी का सहारा लिया. इस वजह से कंपनी की बाजार हिस्सेदारी में 5त्न की बढ़त आई. पिछले 30-40 सालों में पहली बार इतनी ज्यादा बढ़त कंपनी ने देखी. इसकी सबसे ज्यादा बिक्री पारले जी ग्लुकोज की होती है. यही इसका पहला ब्रांड है और देश के दूरदराज गांवों में भी हर घर में इसकी पहुंच है.

82 साल पुराना इतिहास

पारले जी का इतिहास करीबन 82 साल पुराना है. इसकी शुरुआत मुंबई के विले पारले इलाके से 1938 में हुई थी. फैक्टरी शुरू होने के करीबन 10 साल बाद यहां पर बिस्कुट बनना शुरू हुआ था. पहले इस बिस्कुट को ग्लूकोज बिस्कुट कहा जाता था. हालांकि बाद में इसमें जीनियस के लिए जी लगा दिया गया. पारले जी की कुल 130 फैक्टरी हैं. इसमें से 120 कांट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग का काम करती हैं. भारत में बिस्कुट का कुल कारोबार 37 हजार करोड़ रुपए का है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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