वाराणसी में भव्य दीपोत्सव,देव दीपावली पर 15 लाख दीयों से सजेंगे घाट

वाराणसी में भव्य दीपोत्सव,देव दीपावली पर 15 लाख दीयों से सजेंगे घाट

प्रेषित समय :07:27:52 AM / Fri, Nov 12th, 2021

वाराणसी. अयोध्या के बाद बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी में भव्य दीपोत्सव का आयोजन क‍िया जाएगा. 18 नवम्बर 2021 गुरूवार को देव दिवाली मनाई जाने वाली है. देव दिवाली का शुभ महूरत 05:09 pm to 07:47 Pm हैं. इस बार देव दिवाली फिर से धूम धाम से मनाई जाने वाली है.देव दीपावली के अवसर पर होने वाले इस दीपोत्‍सव पर काशी के घाटों पर 15 लाख दीये जगमगायेंगे. डिप्टी CM केशव प्रसाद मौर्या ने ट्वीट कर जानकारी देते हुए बताया क‍ि प्रदेश सरकार में आस्था को वैश्विक सम्मान मिल रहा, यह उसी उल्‍लास का प्रत‍िफल है.देवताओं की दीपावली या देव दीवाली वाराणसी में गहरी भक्ति के साथ मनाया जाने वाला एक आध्यात्मिक महत्वपूर्ण त्योहार है. यह हिंदू त्योहार दुष्ट दानव त्रिपुरासुर पर भगवान शिव की विजय का प्रतीक है, यही कारण है कि इस उत्सव को अक्सर त्रिपुरा उत्सव कहा जाता है.

जिला प्रशासन देव दीपावली को लेकर आयोजकों संग बैठक कर इसकी रूपरेखा तय कर रहा है.

कार्तिक पूर्णिमा के दिन वाराणसी में होने वाले इस भव्य दीपोत्सव कार्यक्रम के दीदार के लिए दुनियाभर से पर्यटक आते हैं. इस दिन काशी के अर्द्ध चंद्राकर घाटों की श्रृंखला पर लाखों दीपों की रौशनी से जगमग होते हैं. वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर मां गंगा का भव्य महाआरती का आयोजन होता है. इसके साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी काशी के प्रमुख घाटों पर होता है.

देव दीवाली क्यों मनाई जाती है?

देव दीपावली वाराणसी में गंगा नदी के तट पर मनाई जाती है. यह दीवाली उत्सव के अंत के साथ-साथ तुलसी विवाह के अनुष्ठान का समापन करती है. देव दीपावली का धार्मिक महत्व इस विश्वास में निहित है कि इस दिन देवी और देवता गंगा नदी में पवित्र स्नान करने के लिए पृथ्वी पर आते हैं. पवित्र नदी का पूरा घाट देवताओं और देवी गंगा नदी के सम्मान में लाखों छोटे मिट्टी के दीपक (दीया) से सुसज्जित किया जाता है. मिट्टी के दीपक जलाने की इस रस्म की शुरुआतवर्ष 1985 में पंचगंगा घाट पर की गई थी.

ऐसा माना जाता है कि इसी दिन, भगवान शिव त्रिपुरासुर नामक राक्षस पर विजयी हुए थे और इसलिए इस त्योहार को त्रिपुरा उत्सव के रूप में भी जाना जाता है. देव दीवाली पर आने वाले अन्य त्योहार गुरु नानक जयंती और जैन प्रकाश पर्व हैं.

धार्मिक महत्व के अलावा, यह दिन देशभक्ति के महत्व से भी जुड़ा हुआ है. इस दिन, भारतीय बलों में सभी बहादुर सैनिक, जो भारत के लिए लड़ते हुए शहीद हो गये थे, उनको याद किया जाता है और उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है.

वाराणसी में शहीदों को श्रद्धांजलि के रूप में पुष्पांजलि अर्पित की जाती है. यह आयोजन गंगा सेवा निधि द्वारा भव्य पैमाने पर आयोजित किया जाता है. देशभक्ति के गीत गाए जाते हैं और अंतिम तीन भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा समारोह को समाप्त किया जाता है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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