नजरिया. पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए बेहतर संभावनाएं है, लेकिन पंजाब में कांग्रेस के सबसे बड़े स्टार प्रचारक नवजोत सिंह सिद्धू ही पंजाब सरकार की परेशानी का सबब बने हैं?
दरअसल, सिद्धू लगातार सियासी दबाव की राजनीति पर आगे बढ़ रहे हैं और पंजाब में सत्ता वापसी के लिए कांग्रेस पार्टी, प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की हर राजनीतिक शर्त स्वीकार कर रही है?
सिद्धू के सियासी दबाव का ही नतीजा है कि सीएम चन्नी को पंजाब के महाधिवक्ता जनरल एपीएस देओल की विदाई देनी पड़ी.
इससे पहले सिद्धू के कारण ही कैप्टन अमरिंदर सिंह को सीएम पद के साथ-साथ पार्टी को अलविदा कहना पड़ा था.
खबरों की माने तो सिद्धू ने चन्नी सरकार और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को स्पष्ट कर दिया था कि या तो वह दो अफसरों चुन लें या प्रदेश अध्यक्ष को, सिद्धू के सियासी तेवर से यह भी स्पष्ट हो गया था कि अगर सरकार एजी और डीजीपी को नहीं हटाती है तो वह पार्टी छोड़ सकते हैं?
याद रहे, पंजाब में चार महीने में विधानसभा के चुनाव होने हैं और कांग्रेस में सियासी कलह के चलते आम आदमी पार्टी और अकाली दल को सियासी फायदे की संभावना है!
ऐसे में यदि सिद्धू को कांग्रेस हाईकमान संभाल के नहीं रखता है, तो दूसरे दल उनके स्वागत के लिए तैयार हैं, क्योंकि पंजाब में कांग्रेस की टक्कर आप से मानी जा रही है और आप के पास कोई लोकप्रिय चेहरा नहीं है?
सिद्धू भी यह बात अच्छी तरह से जानते हैं और इसीलिए सियासी दबाव की राजनीति पर फोकस हैं!
देखना दिलचस्प होगा कि सिद्धू की दबाव की राजनीति कब तक असरदार रहती है?
https://twitter.com/PalpalIndia/status/1458472391277875200
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