सूर्य का वृश्चिक राशि मे राहु केतु का भ्रमण

सूर्य का वृश्चिक राशि मे राहु केतु का भ्रमण

प्रेषित समय :19:07:48 PM / Sun, Nov 7th, 2021

15 नवम्बर से सूर्यदेव वृश्चिक राशि मे आकर ग्रहण के प्रभाव में आने वाले है, 15 अक्टूबर से 15 दिसंबर तक सूर्य देव केतु के साथ भ्रमण करेंगे,इस समयावधि मे 19 अक्टूबर को  चंद्र ग्रहण भी पड़ेगा,कोरोना काल मे ये 30 दिन पुरे विश्व के लिए घातक हो सकते है.
*बिगड़ रही है गोचर की स्थिति, कोरोना से सावधान
15 नवम्बर से आकाश मंडल मे गोचर बिगड़ रहा है,15 नवम्बर से सूर्य का केतु और राहु के बीच भ्रमण होगा,जो विश्व के सभी राजनेताओं के लिए घातक होगा,दक्षिण दिशा और मंगोल अर्थात छोटी आँख वाले देशों के लिए घातक समय होगा, इन देशों मे कोरोना तहलका मचा सकता है,इसके अलावा अन्य महामारी भी कोहराम मचा सकती है.
*गुरु का मकर राशि मे प्रवेश और कोरोना की तीसरी लहर 
21 नवम्बर के बाद गुरु महाराज मकर राशि से  शनि ग्रह का साथ छोड़कर कुम्भ राशि मे आयेंगे, 2021 अप्रैल मे ऐसा ही हुआ था जब गुरु मकर राशि से कुंभ राशि मे आये थे, तब कोरोना की दूसरी लहर ने कोहराम मचा दिया था, वैसी ही परिस्थिति फिर बन रही है, सतर्क सावधान रहे, घर मे रहकर स्वस्थ रहना किसी भी त्यौहार या खुशी से बढ़कर है.
*चंद्रग्रहण और सावधानी
19 नवंबर को पड़ रहा चंद्रग्रहण विशेष है, खासकर  गर्भवतियों  स्त्रियों पर इसका गहरा असर हो सकता है, जानिए क्या सावधानी बरतनी चाहिए.
 *चंद्र ग्रहण ज्योतिषीय दृष्टिकोण से ऐसी घटना है, जिसका असर हर व्यक्ति के जीवन पर होता है. मगर कुछ ऐसे लोग होते हैं, जिन्हें बेहद सतर्कता बरतनी चाहिए, खासतौर पर गर्भवती महिलाओं को, क्योंकि ग्रहण का असर उनके साथ-साथ गर्भस्थ शिशु पर पड़ सकता है, जिसके चलते उन्हें दिक्कत उठानी पड़ सकती है.
*चंद्र ग्रहण पर 19 नवंबर को कोई भी मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए. मन में ही इष्ट देव की आराधना करनी चाहिए. ग्रहण 19 नवंबर की सुबह 11 बजकर 38 मिनट पर शुरू होगा और शाम 05 बजकर 39 मिनट पर पूरा होगा. यह चंद्र ग्रहण भारत में उपछाया के रूप में दिखेगा तो सूतक काल नहीं होगा. ज्योतिषियों का मत है कि गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल में कुछ नियमों का पालन करना चाहिए, जिससे गर्भ में पल रहा शिशु स्वस्थ रहे.
*चंद्रग्रहण मे इन बातों का ध्यान रखे
- ग्रहण काल में गर्भवती महिलाएं घर पर ही रहें.
- ग्रहण में चंद्रमा को न देखें. इससे बच्चे पर बुरा प्रभाव पड़ता है.
*चाकू, कैंची, सूई आदि का उपयोग न करें.
*ग्रहण के दौरान कुछ भी नहीं खाए, *सिलाई भी वर्जित है.
*किसी भी प्रकार की कटिंग बिल्कुल न करे, खान नहीं नही कर सकते लेकिन वृद्ध और बीमार लोगों को पेय पदार्थ दे सकते है.
 मुंह और सभी खाद्य पदार्थों मे  तुलसी रखें, हनुमान चालीसा का पाठ करें.
*ग्रहण काल मे हरीनाम स्मरण करे.
*ग्रहण समाप्त होने पर शुद्ध जल से स्नान करें.
*मान्यता है कि ग्रहण के दौरान चांद का गुरुत्वाकर्षण बहुत अधिक रहता है, ऐसे में गर्भवती महिलाओं को ग्रहण नहीं देखना चाहिए. 
*ग्रहण के समय महिलाओं को बेचैनी, पसीना और कमजोरी हो सकती हैं.
 ग्रहण काल में गर्भवती महिलाएं एक नारियल अपने पास रखें. इससे ग्रहण का बुरा असर नहीं पड़ता. ग्रहण काल में जप, ध्यानादि करती रहें. ईष्ट देव के मंत्रों का मन ही मन जाप करना चाहिये, यदि आपने गुरुमंत्र लिया है तो उसका स्मरण भी करना चाहिए.
*सभी  राशियों के लिए खास है ग्रहण
*वृषभ राशि और वृश्चिक राशि वालों को इस दौरान खास सावधान रहना चाहिए, अपमान,बदनामी, अचानक घात भी हो सकती है, परिवार मे कलह से बचें.
*मिथुन,धनु, तुला,मेष,कर्क, सिंह राशि वालों को विशेष सावधानी रखनी चाहिए.
*सिंह और कर्क वाले अपने स्वास्थय का ध्यान रखें.
*विशेष*-जिनका जन्म 15 नवंबर से 15 दिसंबर के बीच तथा 15 मई से 15 जून के बीच हुआ है, और यदि उनके जन्म वर्ष  9 अंक के गुणांक जैसे 9,18,27,36,45,54,63,72,81 मे हुआ है अर्थात 15 नव. से 15 डिसं 21 से 9,18,27,36,45,54,63,72
81 को घटाने पर जो आपकी उम्र आती है वे लोग खास सावधानी रखे, 
जैसे 9 घटाने पर 2012 और 2003 का समय आता है.
*उपाय*- महामृत्युंजय, कालसर्प और राहु केतु की पूजा पहले ही करवाये, भैरव जी का अनुष्ठान,गनपति और चंडी पाठ कराये.

*पंडित चंद्रशेखर नेमा " हिमांशु 
9893280184,7000460931

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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