आपकी कुंडली बताएगी अगले जन्म में क्या बनेंगे आप?

आपकी कुंडली बताएगी अगले जन्म में क्या बनेंगे आप?

प्रेषित समय :00:46:08 AM / Fri, Nov 5th, 2021

ज्योतिष शास्त्र की मानें तो मनुष्य का जिस समय जन्म होता है उस वक्त के ग्रहों की दशा के आधार पर उसकी जन्म-कुंडली तैयार की जाती है. यह जन्म-कुंडली उसके आने वाले भविष्य की एक तस्वीर होती है. इसी जन्म-कुंडली की मदद से वह भविष्य की एक झलक पाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक व्यक्ति की यही जन्म-कुंडली उसके पूर्वजन्म तथा पुनर्जन्म की कहानी भी बयां करती है. हिन्दू धर्म की मानें तो जिस आत्मा की जीवन में इच्छाएं खत्म हो जाती है उस व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. और ऐसी आत्माएं पूण्य-आत्मा कहलाती हैं और भगवान के लोक पहुंच जातीं हैं.

वैसे तो कहा जाता है कि मनुष्य की आत्मा कभी नहीं मरती है, वह हमेशा अजर-अमर रहती है. मनुष्य का शरीर उसकी आत्मा से जुड़ा होता है जो उसके जन्म के साथ उसमें आती है तथा उसके मरने के बाद वह शरीर छोड़कर चली जाती है. हिन्दू मान्यताओं में पुनर्जन्म तथा पूर्वजन्म जैसी बातें बहुत मानी जाती हैं व पुराणों में इसका वर्णन काफी प्रसिद्ध भी हैं, जिनमें हमें बेहद रोचक तथ्य मिलते हैं. पूर्वजन्म के अलावा अपने वर्तमान शरीर को छोड़ने के बाद आत्मा कहां जाती है और किस शरीर में प्रवेश करती है उस शरीर में उसको कैसी ज़िंदगी मिलेगी, इन सब बातों को लेकर हर व्यक्ति में इसके तथ्यों को जानने की उत्सुकता होती है, तो आपको बता दें की इसकी जानकारी हम उक्त व्यक्ति की जन्म-कुंडली से जान सकते हैं.
किस कुल में जन्म लेंगे आप?

ज्योतिषियों का मानना है कि किसी व्यक्ति की जन्म-कुंडली में यदी कहीं पर भी कर्क राशि में गुरु स्थित हो तो जातक मृत्यु के बाद उत्तम कुल में जन्म लेता है यानी कि उसका अगला जीवन श्रेष्ठ होगा.

इन योग के कारण मृत्यु के बाद मिलता है नर्क

यदि व्यक्ति की कुंडली में अष्टम भाव पर मंगल की दृष्टि होती है या लग्नस्थ मंगल पर नीच शनि की दृष्टि हो तो ऐसे जातक की मृत्यु के पश्चात उसे नर्क भोगना पड़ता है. इसके अलावा यदि लग्न ग्रह में उच्च राशि का चंद्रमा हो और किसी पाप ग्रह की दृष्टि उस पर पड़ रही होती है तब ऐसी स्थिति में भी व्यक्ति को नर्क भोगना पड़ता है.
अष्टम भाव पर मंगल और शनि की दृष्टि

इस विद्या के अनुसार यह भी माना जाता है कि यदि जन्म-कुंडली में अष्टमस्थ शुक्र पर गुरु की दृष्टि हो तो जातक मृत्यु के बाद वैश्य कुल में जन्म लेता है. इसके अलावा यदि अष्टम भाव पर मंगल और शनि, इन दोनों ग्रहों की पूर्ण दृष्टि हो तो जातक की अकाल मृत्यु होती है.

उपयुक्त जानकारी में आपकी जन्म-कुंडली का सटीक होना बहुत जरुरी है. और आपकी जन्म-कुंडली में कौन सा ग्रह आपके पूर्वजन्म तथा पुनर्जन्म के बारे में क्या कहता है इसे आप किसी अनुभव ज्योतिषाचार्य से जान सकते हैं, सभी जानकारी कुंडली के अन्य ग्रहों की स्थिति पर भी निर्भर करता है जिसके लिए आप ज्योतिषाचार्य से संपर्क के बाद जान सकते हैं.

शास्त्रों में बताया गया है कि  किस कर्म से कौन सा जन्म मिलता है, आइए जानते हैं किस कर्म के अनुसार मनुष्य को कौन सी योनि मिलती है.

1. जो मनुष्य परायी स्त्री से संबंध बनाता है उसे पहले नर्क जाना पड़ता है. इसके बाद उसे पहले भेडि़या बनना पड़ता है फिर कुत्ता, सियार, गीध, सांप, कौआ अंत में बगुले का जन्म प्राप्त करने के पश्चात उक्त व्यक्ति को मनुष्य के रूप में जन्म मिलता है.

2. यदि कोई मनुष्य अपने बड़े भाई का अपमान करता है वह कौंच नाम के पक्षी के रूप में जन्म लेता है और 10 साल तक इसी योनी में रहता है. इसके बाद ही वह पापों से मुक्त होता है, व मनुष्य रुप में जन्म लेता है.

3. सोने की चोरी करने वाले मनुष्य को कीड़े के रूप में जन्म प्राप्त होता है, वहीं चांदी का सामान चोरी करने पर व्यक्ति को कबूतर की योनि मिलती है. और कपड़े की चोरी करने वाले को तोता बनना पड़ता है.

4. जिस व्यक्ति की देवताओं और पितरों को संतुष्ट किए बिना मृत्यु हो जाती है ऐसे व्यक्ति को सौ साल तक कौए के रूप में रहना पड़ता है, इसके बाद उसे मुर्गा बनना पड़ता है. फिर एक महीने के लिए सांप के रूप में जीवन बिताना होता है. इसी के साथा उसके पापों का अंत हो जाता है. फिर वह मनुष्य के रूप में जन्म पाता है.

5. जो व्यक्ति किसी की शस्त्र से हत्या कर देता है वह अगले जन्म में गदहा होता है. इसके बाद मृग होता है और खुद ही शस्त्र द्वारा मारा जाता है. इसके बाद उसे मछली, कुत्ता और बाघ  बनना पड़ता है, फिर वह मनुष्य योनि प्राप्त करता है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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