महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से मन को शांति और सुख-समृद्धि में वृद्धि होता

महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से मन को शांति और सुख-समृद्धि में वृद्धि होता

प्रेषित समय :00:41:50 AM / Fri, Nov 5th, 2021

शिव_उपासना
भगवान शिवजी को भोलेनाथ भी कहते हैं. क्योंकि हिंदू धर्म ग्रन्थों के मुताबिक, भगवान शिव ही आसानी से अपने भक्तों पर खुश होते हैं. वे बहुत ही दयालु हैं. सच्चे मन से इनकी पूजा करने से वे अपने भक्त को निराश नहीं करते हैं और उन्हें मनचाहा वरदान देते हैं.

हिंदू सनातन धर्म के अनुसार, आदि पंच देवों में भगवान शिव एक प्रमुख देवता हैं. ये त्रिदेवों में प्रमुख देवता हैं. इन्हें संहार का देवता माना जाता है. भगवान शिव अर्थात भोलेनाथ जितनी जल्दी खुश होते हैं उतनी ही जल्दी नाराज होते है. माना जाता है कि इनके क्रोध से पूरा ब्रह्मांड कांप जाता है. देवों में महादेव भोलेनाथ के एक मंत्र से ही भक्त का कल्याण हो जाता है. हिंदू धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि काल भी महाकाल शिव भगवान की पूजा करने वाले का कुछ भी नहीं बिगाड़ पाता है. ऐसे हर भक्त भोले नाथ को प्रसन्न करना चाहता है.

हिंदू धर्म के मुताबिक़, हर सप्ताह में एक सोमवार जरूर आता है. इस सोमवार को भक्त शिवजी की पूजा करे तो वह भोलेनाथ के कोप से बच सकता है. इनके पूजन के लिए कोई निश्चित समय या जगह नहीं है. आप कभी भी सच्चे मन से इनका पूजन कर सकते हैं. ऐसी मान्यता है कि भोले नाथ को खुश करने के लिए सबसे सरल उपाय सोमवार के दिन सच्चे मन से इनका पूजन करना है.

भगवान भोलेनाथ सच्चे भाव को पसंद करते हैं। महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर जलाभिषेक करने का विशेष महत्व है। पांच पत्तियों वाली बेलपत्री चढ़ाने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है। बारह ज्योर्तिलिंगों को ध्यान कर शिवलिंग का पूजन करें। इनमें सोमनाथ, मुल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, केदारेश्वर, भीमशंकर, विश्वेश्वर, त्रयम्बक, वैद्यनाथ, नागेश, रामेश्वर तथा घुश्मेश्वर ज्योर्तिलिंग हैं। शिवलिंग का अभिषेक दूध, गंगाजल, शहद, दही, घी के पंचामृत से करें। इससे शिव जी की परम कृपा प्राप्त होती है। शिव की महिमा और नाम अनंत है। उनके अनेक रूपों में उमा-महेश्वर, अर्धनारीश्वर, पशुपति, कृतिवास, दक्षिणामूर्ति तथा योगीश्वर आदि अति प्रसिद्ध है। भगवान शिव की ईशान, तत्पुरुष, वामदेव, अघोर तथा सद्योजात पांच विशिष्ट मूर्तियां हैं। शर्व, भव, रुद्र, उग्र, भीम, पशुपति, ईशान व महादेव ये अष्ट मूर्तियां हैं। पुजा करते समय सभी को नमन करें। बेलपत्र, चंदन, पुष्प आदि से पूजा करें।
शिवलिंग (अर्थात प्रतीक, निशान या चिह्न) इसे लिंगा, पार्थिव-लिंग, लिंगम् या शिवा लिंगम् भी कहते हैं। यह हिंदू भगवान शिव का प्रतिमाविहीन चिह्न है। यह प्राकृतिक रूप से स्वयम्भू व अधिकतर शिव मंदिरों में स्थापित होता है। शिवलिंग को सामान्यतः गोलाकार मूर्तितल पर खड़ा दिखाया जाता है, जिसे पीठम् या पीठ कहते हैं।

सोमवार के दिन भक्त को सुबह उठकर दैनिक कार्य से निवृत हो लें. उसके बाद स्नानादि करके साफ़ कपड़ा पहन लें. पूजा स्थल पर बैठकर चौकी पर भगवान शिव और पार्वती का चित्र स्थापित कर पवित्रीकरण करें.  उसके बाद भगवान शिव का जल से अभिषेक करें. पूजा में शिव जी को बिल्व पत्र, धतूरा, भांग, आलू, चंदन, चावल अर्पित करें. भगवान शिव के साथ माता पार्वती और नंदी को गंगाजल और दूध चढ़ाएं. महामृत्युंजय मंत्र और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें. इसके बाद शिव आरती का पाठ करें. इस दिन दान करने से भी शिव जी प्रसन्न होते हैं.
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें

हिंदू धर्म शास्त्रों में सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा के साथ महामृत्युंजय मंत्र का जाप बहुत ही शुभ माना गया है. सोमवार को महामृत्युंजय मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए. महामृत्युंजय मंत्र का जाप मन को शांति प्रदान करता है और सुख-समृद्धि में वृद्धि करता है. ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप भी विशेष फलदायी माना गया है।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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