समस्याएं दूर करने नरक चतुर्दशी पर करें उपाय, छोटी दिवाली का मुहूर्त और महत्व

समस्याएं दूर करने नरक चतुर्दशी पर करें उपाय, छोटी दिवाली का मुहूर्त और महत्व

प्रेषित समय :20:01:07 PM / Tue, Nov 2nd, 2021

छोटी दिवाली का मुहूर्त:-

छोटी दिवाली 3 नवंबर को मनाई जा रही है. इस दिन अभयंग स्नान अनुष्ठान करने के लिए शुभ दिन है. वहीं, हनुमान जयंती की पूजा सुबह 9 बजकर 02 मिनट के बाद कर सकते हैं. शाम को यम दीपक जलाने के लिए शुभ समय शाम 6 बजे से लेकर रात 8 बजे तक रहेगा.

नरक चतुर्दशी महत्व:-

नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली, रूप चौदस और काली चतुर्दशी आदि नामों से जाना जाता है. इस दिन दीपदान को भी विशेष महत्व दिया जाता है. नरक चतुर्दशी का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन मनाया जाता है. विधि विधान से इस दिन पूजा करने व्यक्ति को उसके सभी पापों से छुटकारा मिलता है.

चौघड़िया मुहूर्त:-

सुबह 06:56 से 08:27 तक- लाभ

सुबह 07:57 से 09:19 तक- अमृत

सुबह 10:42 से दोपहर 12:04 तक- शुभ

दोपहर 02:49 से 04:12 तक- चर

शाम 04:12 से 05:34 तक- लाभ

पूजन विधि

इस दिन शरीर पर तिल के तेल की मालिश करके सूर्योदय से पहले स्नान करने का विधान है. स्नान के दौरान अपामार्ग (एक प्रकार का पौधा) को शरीर पर स्पर्श करना चाहिए. अपामार्ग को निम्न मंत्र पढ़कर मस्तक पर घुमाना चाहिए-

सितालोष्ठसमायुक्तं सकण्टकदलान्वितम्.

हर पापमपामार्ग भ्राम्यमाण: पुन: पुन:..

नहाने के बाद साफ कपड़े पहनकर, तिलक लगाकर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके निम्न मंत्रों से प्रत्येक नाम से तिलयुक्त तीन-तीन जलांजलि देनी चाहिए. यह यम-तर्पण कहलाता है.

ससे वर्ष भर के पाप नष्ट हो जाते हैं-

ऊं यमाय नम:, ऊं धर्मराजाय नम:, ऊं मृत्यवे नम:, ऊं अन्तकाय नम:, ऊं वैवस्वताय नम:, ऊं कालाय नम:, ऊं सर्वभूतक्षयाय नम:, ऊं औदुम्बराय नम:, ऊं दध्राय नम:, ऊं नीलाय नम:, ऊं परमेष्ठिने नम:, ऊं वृकोदराय नम:, ऊं चित्राय नम:, ऊं चित्रगुप्ताय नम:.

इस प्रकार तर्पण कर्म सभी पुरुषों को करना चाहिए, चाहे उनके माता-पिता गुजर चुके हों या जीवित हों. फिर देवताओं का पूजन करके शाम के समय यमराज को दीपदान करने का विधान है.

नरक चतुर्दशी पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा भी करनी चाहिए, क्योंकि इसी दिन उन्होंने नरकासुर का वध किया था. इस दिन जो भी व्यक्ति विधिपूर्वक भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करता है, उसके मन के सारे पाप दूर हो जाते हैं और अंत में उसे वैकुंठ में स्थान मिलता है.

इसलिए करते हैं यमराज की पूजा

जब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर दैत्यराज बलि से तीन पग धरती मांगकर तीनों लोकों को नाप लिया तो राजा बलि ने उनसे प्रार्थना की- 'हे प्रभु! मैं आपसे एक वरदान मांगना चाहता हूं. यदि आप मुझसे प्रसन्न हैं तो वर देकर मुझे कृतार्थ कीजिए.

तब भगवान वामन ने पूछा- क्या वरदान मांगना चाहते हो, राजन? दैत्यराज बलि बोले- प्रभु! आपने कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से लेकर अमावस्या की अवधि में मेरी संपूर्ण पृथ्वी नाप ली है, इसलिए जो व्यक्ति मेरे राज्य में चतुर्दशी के दिन यमराज के लिए दीपदान करे, उसे यम यातना नहीं होनी चाहिए और जो व्यक्ति इन तीन दिनों में दीपावली का पर्व मनाए, उनके घर को लक्ष्मीजी कभी न छोड़ें.

राजा बलि की प्रार्थना सुनकर भगवान वामन बोले- राजन! मेरा वरदान है कि जो चतुर्दशी के दिन नरक के स्वामी यमराज को दीपदान करेंगे, उनके पितर कभी नरक में नहीं रहेंगे और जो व्यक्ति इन तीन दिनों में दीपावली का उत्सव मनाएंगे, उन्हें छोड़कर मेरी प्रिय लक्ष्मी अन्यत्र न जाएंगी.

भगवान वामन द्वारा राजा बलि को दिए इस वरदान के बाद से ही नरक चतुर्दशी के दिन यमराज के निमित्त व्रत, पूजन और दीपदान का प्रचलन आरंभ हुआ, जो आज तक चला आ रहा है.

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Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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