किसी भी कार्य का प्रारंभ करने के लिए शुभ लग्न और मुहूर्त को देखा जाता

किसी भी कार्य का प्रारंभ करने के लिए शुभ लग्न और मुहूर्त को देखा जाता

प्रेषित समय :18:37:41 PM / Wed, Oct 27th, 2021

इसके अंतर्गत वार, तिथि, माह, वर्ष लग्न, मुहूर्त, योग, नक्षत्र आदि को देखा जाता है, इस क्रम में किसी भी वार को कौन सा समय शुभ है यह भी देखा जाता है.  
चौघड़िया समय का वह हिस्सा है जो शुभ या अशुभ हो सकता है. 

*चौघड़िया क्या है?*

जिस तरह वर्ष के दो हिस्से हैं उत्तरायण और दक्षिणायन, माह ने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष, उसी तरह किसी वार या दिवस के दो हिस्से हैं दिन और रात.  
इसमें भी सूर्योदय और सूर्यास्त के मध्य के समय को दिन का चौघड़िया कहा जाता है तथा सूर्यास्त और अगले दिन सूर्योदय के मध्य के समय को रात्रि का चौघड़िया कहा जाता है. 

प्रत्येक दिन का हर घंटा एक ग्रह की गति से जुड़ा हुआ है जो तदनुसार शुभ या अशुभ बनाता है, हर दिन को कुछ अच्छी समय अवधि और बुरी समय अवधि होती है. 

 ये शुभ या अशुभ चरण चौघड़िया तालिका के साथ निर्धारित होते हैं. 

ज्योतिष शास्त्र में सूर्योदय से सूर्यास्त तथा सूर्यास्त से सूर्योदय के बीच के समय को 30-30 घटी में बांटा गया है, चौघड़िया मुहूर्त के लिए, उसी 30 घटी की समय अवधि को 8 भागों में विभाजित किया गया है.  

जिसके परिणामस्वरूप दिन और रात के दौरान 8-8 चौघड़िया मुहूर्त होते हैं, एक घटी लगभग 24 मिनट की होती है तथा एक चौघडिया 4 घटी (लगभग 96 मिनट) का होता है.  प्रत्येक चौघड़िया मुहूर्त लगभग 4 घटी का होता है, इसलिए इसे चौघड़िया= चौ (चार) + घड़िया (घटी) के नाम से जाना जाता है, इसे चतुर्श्तिका मुहूर्त भी कहते हैं. 

*चौघड़िया के नाम:- अमृत, रोग, लाभ, शुभ, चर, काल, उद्वेग*

वार से जुड़ा है चौघड़िया मुहूर्त

 वार और ग्रह से जुड़ा है और प्रत्येक चौघड़िया वार से.  

जैसे रविवार का सूर्य ग्रह है जिसका चौघड़िया उद्वेग से प्रारंभ होता है, इस तरह क्रमश: सोमवार का चंद्रमा अमृत से, मंगलवार का मंगल रोग से, बुधवार का बुध लाभ से, गुरुवार को गुरु शुभ से, शुक्रवार का शुक्र चर से, शनिवार का शनि काल से प्रारंभ होता है.  
मतलब जिस दिन जो वार होता है उस दिन का प्रारंभ उक्त चौघड़िया से होता है. 

कौन सा चौघड़िया शुभ है?

किसी शुभ कार्य को प्रारम्भ करने के लिए अमृत, शुभ, लाभ और चर, इन चार चौघड़ियाओं को उत्तम माना गया है और शेष तीन चौघड़ियाओं, रोग, काल और उद्वेग, को त्याग देना चाहिए.

चौघड़िया मुहूर्त का चयन करते समय, वार वेला, काल वेला, राहु काल, और काल रात्रि के समय को त्याग दिया जाना चाहिए, ऐसा माना जाता है कि इस समय कोई भी मंगल कार्य करना फलदायी नहीं होता है.  

वार वेला और काल वेला दिन के दौरान प्रचलित हैं जबकि रात के दौरान काल रात्री प्रचलित है. 

प्रत्येक दिन का पहला मुहूर्त उस दिन के ग्रह स्वामी द्वारा प्रभावित होता है, उदाहरण के लिए, रविवार का पहला चौघड़िया मुहूर्त सूर्य द्वारा प्रभावित है.  

इसके बाद के मुहूर्त क्रमशः शुक्र, बुध, चन्द्रमा, शनि, बृहस्पति तथा मंगल द्वारा प्रभावित चौघड़िया आते हैं, दिन का अन्तिम मुहूर्त भी उस दिन के ग्रह स्वामी द्वारा प्रभावित माना गया है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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