समाजवादी पार्टी को बीते कुछ चुनावों में कांग्रेस और बसपा जैसे प्रमुख राजनीतिक दलों के साथ गठबंधन का भारी नुकसान उठाना पड़ा है. इसे देखते हुए अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली पार्टी ने आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में छोटे दलों के साथ मिलकर काम करने का फैसला किया है. इनमें से अधिकांश पार्टियों के पास चुनाव चिह्न भी नहीं हैं. इससे इनके अधिकांश कैंडिडेट साइकिल छाप पर ही चुनाव लड़ेंगे.
राष्ट्रीय लोक दल (रालोद), सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी), महान दल और जनवादी पार्टी जैसी पार्टियां, जिनका राज्य के विभिन्न हिस्सों में प्रभाव है, आने वाले दिनों में सपा के साथ सीट बंटवारे के फॉर्मूले को औपचारिक रूप देने के लिए तैयार हैं. .
जयंत चौधरी के नेतृत्व वाली रालोद पहले से ही सपा के साथ गठबंधन में है. निवर्तमान यूपी विधानसभा में कोई प्रतिनिधित्व नहीं होने के कारण, पार्टी को उम्मीद है कि किसान आंदोलन से उसे पश्चिमी यूपी के मुसलमानों और जाटों को एक ही मंच पर लाने में मदद मिलेगी.
रालोद के प्रवक्ता सुनील लोहटा ने बताया, 'पश्चिमी यूपी में माहौल बदल गया है. किसान और मजदूर अब हाथ मिला चुके हैं. समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर हम इस क्षेत्र में बीजेपी को हराएंगे.'
एसबीएसपी प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने बुधवार को लखनऊ में अखिलेश यादव से मुलाकात के बाद सपा के साथ गठबंधन की घोषणा की. पार्टी का राजभरों के बीच एक समर्थन आधार है, जिनकी वाराणसी और इसके आसपास के जिलों जैसे गाजीपुर, आजमगढ़ और मऊ में काफी उपस्थिति है. 2017 के विधानसभा चुनावों में, एसबीएसपी टीम बीजेपी में थी और उसने आठ सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से चार पर जीत हासिल की थी. एक सहयोगी के रूप में एसबीएसपी के साथ, एसपी राजभर के वोटों को हासिल करने के लिए आशान्वित है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-यूपी विधानसभा चुनाव! चाहे जो हो नतीजा? कांग्रेस को अकेले लड़ना होगा....
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