दिशाएं और उनके स्वामी

दिशाएं और उनके स्वामी

प्रेषित समय :20:22:56 PM / Thu, Aug 5th, 2021

आजकल शायद ही कोई ऐसा घर हो जो वास्तु दोष से मुक्त हो. वास्तु दोष का प्रभाव कई बार देर से होता है तो कई बार इसका प्रभाव शीघ्र असर दिखने लगता है.

इसका कारण यह है कि सभी दिशाएं किसी न किसी ग्रह और देवताओं के प्रभाव में होते हैं. जब किसी मकान मालिक ( जिसके नाम पर मकान हो) पर ग्रह विशेष की दशा चलती है तब जिस दिशा में वास्तु दोष होता है उस दिशा का अशुभ प्रभाव घर में रहने वाले व्यक्तियों पर दिखने लगता है.

आज में आपको सभी दिशाओं के दोष को दूर करने का सबसे आसान तरीका बता रही हूँ.. इन मंत्र जप के प्रभाव स्वरूप (फलस्वरूप) आप काफी हद तक अपने वस्तुदोषो से मुक्ति प्राप्त कर पाएंगे .

ध्यान रखें मन्त्र जाप में आस्था और विश्वास अति आवश्यक हैं. 

ईशान दिशा

इस दिशा के स्वामी बृहस्पति हैं. और देवता हैं भगवान शिव. इस दिशा के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए नियमित गुरू मंत्र ‘ॐ बृं बृहस्पतये नमः’ मंत्र का जप करें. शिव पंचाक्षरी मंत्र ओम नमः शिवाय का 108 बार जप करना भी लाभप्रद होता है.

पूर्व दिशा

घर का पूर्व दिशा वास्तु दोष से पीड़ित है तो इसे दोष मुक्त करने के लिए प्रतिदिन सूर्य मंत्र ‘ओम ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः’ का जप करें. सूर्य इस दिशा के स्वामी हैं. इस मंत्र के जप से सूर्य के शुभ प्रभावों में वृद्घि होती है. व्यक्ति मान-सम्मान एवं यश प्राप्त करता है. इन्द्र पूर्व दिशा के देवता हैं. प्रतिदिन 108 बार इंद्र मंत्र ‘ॐ इन्द्राय नमः’ का जप करना भी इस दिशा के दोष को दूर कर देता है..

आग्नेय दिशा

इस दिशा के स्वामी ग्रह शुक्र और देवता अग्नि हैं. इस दिशा में वास्तु दोष होने पर शुक्र अथवा अग्नि के मंत्र का जप लाभप्रद होता है. शुक्र का मंत्र है ‘ॐ शुं शुक्राय नमः’. अग्नि का मंत्र है ‘ओम आग्नेय नमः’. इस दिशा को दोष से मुक्त रखने के लिए इस दिशा में पानी का टैंक, नल, शौचालय अथवा अध्ययन कक्ष नहीं होना चाहिए.

दक्षिण दिशा

इस दिशा के स्वामी ग्रह मंगल और देवता यम हैं. दक्षिण दिशा से वास्तु दोष दूर करने के लिए नियमित ‘ॐ अं अंगारकाय नमः’ मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए. यह मंत्र मंगल के कुप्रभाव को भी दूर कर देता है. ‘ॐ यमाय नमः’ मंत्र से भी इस दिशा का दोष समाप्त हो जाता है.

नैऋत्य दिशा

इस दिशा के स्वामी राहु ग्रह हैं. घर में यह दिशा दोषपूर्ण हो और कुण्डली में राहु अशुभ बैठा हो तो राहु की दशा व्यक्ति के लिए काफी कष्टकारी हो जाती है. इस दोष को दूर करने के लिए राहु मंत्र ‘ॐ रां राहवे नमः’ मंत्र का जप करें. इससे वास्तु दोष एवं राहु का उपचार भी उपचार हो जाता है.

पश्चिम दिशा

यह शनि की दिशा है. इस दिशा के देवता वरूण देव हैं. इस दिशा में किचन कभी भी नहीं बनाना चाहिए. इस दिशा में वास्तु दोष होने पर शनि मंत्र ‘ॐ शं शनैश्चराय नमः’ का नियमित जप करें. यह मंत्र शनि के कुप्रभाव को भी दूर कर देता है.

वायव्य दिशा

चन्द्रा इस दिशा के स्वामी ग्रह हैं. यह दिशा दोषपूर्ण होने पर मन चंचल रहता है. घर में रहने वाले लोग सर्दी जुकाम एवं छाती से संबंधित रोग से परेशान होते हैं. इस दिशा के दोष को दूर करने के लिए चन्द्र मंत्र ‘ॐ चन्द्रमसे नमः’ का जप लाभकारी होता है.

उत्तर दिशा

यह दिशा के देवता धन के स्वामी कुबेर हैं. यह दिशा बुध ग्रह के प्रभाव में आता है. इस दिशा के दूषित होने पर माता एवं घर में रहने वाले स्त्रियों को कष्ट होता है.. माता एवं घर में रहने वाले स्त्रियों को कष्ट होता है. आर्थिक कठिनाईयों का भी सामना करना होता है. इस दिशा को वास्तु दोष से मुक्त करने के लिए ‘ॐ बुधाय नमः या ‘ॐ कुबेराय नमः’ मंत्र का जप करें. आर्थिक समस्याओं में कुबेर मंत्र का जप अधिक लाभकारी होता है.
Astro nirmal
 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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