वैदिक ज्योतिष: कुंडली के 12 भावों में मंगल का प्रभाव और आप पर असर

वैदिक ज्योतिष: कुंडली के 12 भावों में मंगल का प्रभाव और आप पर असर

प्रेषित समय :20:08:26 PM / Tue, Jul 27th, 2021

मंगल को देवताओं का सेनापति माना जाता है. इसके कारक देव श्रीराम भक्त हनुमान माने गए हैं, वहीं सप्ताह में इसका दिन मंगलवार है. इस दिन श्री हनुमान के अलावा मां भगवती की पूजा का भी विधान है.

वैदिक ज्योतिष में मंगल एक क्रूर ग्रह है. मनुष्य जीवन के लिए यह बड़ा प्रभावकारी ग्रह है. मंगल दोष के कारण लोगों के विवाह में कठिनाई आती है. इसके हमारी जन्म कुंडली में स्थित सभी 12 भावों में इसका प्रभाव भिन्न होता है. वहीं मंगल का रत्न मूंगा जबकि रंग लाल माना जाता है.

स्वभाव: राशियों से संबंध

वैदिक ज्योतिष में मंगल ग्रह ऊर्जा, भाई, भूमि, शक्ति, साहस, पराक्रम, शौर्य का कारक होता है. मंगल ग्रह को मेष और वृश्चिक राशि का स्वामित्व प्राप्त है. यह मकर राशि में उच्च होता है, जबकि कर्क इसकी नीच राशि है. वहीं नक्षत्रों में यह मृगशिरा, चित्रा और धनिष्ठा नक्षत्र का स्वामी होता है. गरुण पुराण के अनुसार मनुष्य के शरीर में नेत्र मंगल ग्रह का स्थान है. यदि किसी जातक का मंगल अच्छा हो तो वह स्वभाव से निडर और साहसी होगा तथा युद्ध में वह विजय प्राप्त करेगा. लेकिन यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में मंगल अशुभ स्थिति में बैठा हो तो जातक को विविध क्षेत्रों में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.

कुंडली में ऐसे समझें मंगल का असर...

1. प्रथम भाव में स्थित मंगल का फल:

प्रथम भाव यानि लग्न भाव, ज्योतिष के अनुसार यह भाव जातक की शारीरिक बनावट के साथ ही उसके स्वभाव को भी दर्शाता है. इस भाव में स्थित मंगल ग्रह आपको अद्भुत साहसी बनाता है. आपका शारीरिक तौर पर भी काफी मजबूत होना दर्शाता है. आपको किसी भी प्रकार के दबाव रहना पसंद नहीं है. आपके चेहरे पर लालिमा रहेगी. आप एक मुखर व्यक्ति हैं, जो भी मन में आता है बोलने से नहीं चूकते. लेकिन ऐसी हालत में कभीकभी आपको दुस्साहसी होते हुए भी देखा जा सकता है. वहीं मंगल ग्रह की यह स्थिति कभीकभी सिर दर्द और दुर्घटनाएं भी करवाती है.

आपकी मां का स्वभाव कुछ हद तक गुस्सैल और रूखा हो सकता है. लेकिन वो काफी सक्रिय और पदासीन हो सकती हैं. आपके बड़े भाईबहन भी पूरी तरह से व्यवस्थित होंगे लेकिन छोटे भाई बहनों से उनके सम्बंध खराब रह सकते हैं.

2. द्वितीय भाव में स्थित मंगल का फल;

द्वितीय भाव को संपत्ति भाव भी कहा जाता है. इस भाव में मंगल ग्रह की स्थिति बहुत कडी मेहनत के बाद सफलता देने की संकेत करती है. मंगल यह की यह स्थिति कभीकभी धन को बुरी आदतों और गलत माध्यमों के माध्यम से खर्च करने का संकेत भी करती है. आपके भीतर कभीकभी जरूरत से ज्यादा चिड़चिड़ापन देखने को मिलेगा अथवा आपकी वाणी कुछ कडवाहट लिए हुए हो सकती है.

3. तृतीय भाव में स्थित मंगल का फल:

तृतीय भाव को पराक्रम व भाई बहनों का भाव भी कहते हैं. तीसरे भाव का मंगल आपको शूरवीर और प्रसिद्ध बनाएगा. आप धैर्यवान और साहसी व्यक्ति हैं. आप अपने बाहुबल से ऐश्वर्यवान बनेंगे. यह स्थिति भाइयों और विशेषकर छोटे भाइयों को कुछ कष्ट मिलने का भी संकेत करती है. हो सकता है कि छोटे भाई के साथ आपके संबंध बहुत अच्छे न रहें.

4. चतुर्थ भाव में स्थित मंगल का फल :

चतुर्थ भाव माता व सुख का भाव है. चौथे भाव का मंगल आपको वाहन सुख और संतान का सुख तो देगा लेकिन यही मंगल मातॄ सुख में कमी करेगा. आप विभिन्न माध्यमों से लाभ कमाते रहेंगे लेकिन आग से होगे वाले खतरों का भय आपको हमेशा रहेगा. आप अपनी जन्मभूमि या घर से दूर रह सकते हैं. आपका अपने कार्यक्षेत्र में बडी तरक्की करेंगे.

5. पंचम भाव में स्थित मंगल का फल :

पंचम भाव बुद्धि व पुत्र का भाव भी माना जाता है. पांचवे भाव में स्थित मंगल आपमें चंचलता देने के साथसाथ आपको बुद्धिमान बनाता है, लेकिन आपके स्वभाव में उग्रता जल्द ही आ जाती है. यह व्यसनी भी बनाता है. आप बुद्धिमान व्यक्ति हैं लेकिन कोईकोई निर्णय बिना विवेक के भी ले सकते हैं. आपका प्रथम पुत्र बहुत जल्द गुस्सा करने वाला होगा, उसे दुर्घटनाओं और चोट लगने का भय बना रहेगा. कोई संतान अवज्ञाकारी भी हो सकती है.

6. छ्टें भाव में स्थित मंगल का फल :

छ्टा भाव शत्रु व रोग का भाव माना जाता है. इस भाव में मंगल आपको अपने नौकरों से परेशानी देता है. वहीं आप अपने दुश्मनों को कुचलने की ताकत रखते हैं. आप बलवान व्यक्ति हैं. कई मामलों में आपका धैर्य प्रशंसनीय रहता है. कभीकभी आपके खर्चे जरूरत से ज्यादा हो सकते हैं.

7. सप्तम भाव में स्थित मंगल का फल :

सप्तम भाव को विवाह भाव भी कहते हैं सातवें भाव में स्थित मंगल को अच्छे परिणाम देने वाला नहीं माना गया है. यहां स्थित मंगल आपके विवाह में देरी का कारण बनने के साथ ही आपके जीवनसाथी के दु:ख का कारण भी बन सकता है. मंगल की यह स्थिति कभीकभी अलगाव तक की स्थितियां निर्मित कर देती है.

8. अष्टम भाव में स्थित मंगल का फल :

अष्टम भाव को आयु भाव भी कहते हैं. इस भाव में मंगल की स्थिति बहुत अनुकूल परिणाम नहीं देती. यहां स्थित मंगल के कारण आपने अधिकांश मामलों में बाधाएं आएंगी. आठवें भाव में स्थित मंगल के कारण आप के शरीर में फोडे फुंसी या घाव होने की भी सम्भावनाएं बनी रहेंगी. आपको आग और चोरी की वजह से धन हानि हो सकती है. मंगल की यह स्थिति धन संचय के लिए अधिक अनुकूलता नहीं दे पाएगी. आपकी आमदनी भी बहुत अच्छी नहीं रहेगी.

9. नवम भाव में स्थित मंगल का फल :

नवम भाव को भाग्य भाव भी कहते है. यहां स्थित मंगल जातक को कुछ हद तक अभिमानी बना सकता है. आप जीवन में बडी सफलता प्राप्त करेंगे लेकिन यह सफलता आपको अपने जीवनकाल मे 27 वर्षों के बाद ही मिलेगी. आपके भाइयों की संख्या अधिक हो सकती है अथवा आप स्वयं पराक्रमी व्यक्ति हो सकते हैं. आपमें अपेक्षाकृत क्रोध अधिक मात्रा में होगा लेकिन मंगल की यही स्थिति आपको कोई नेता या बडा अधिकारी भी बना सकती है.

आपके मित्रों की संख्या भी बहुत अधिक नही होगी. लेकिन आप अपने मित्रों में श्रेष्ठ होंगे. आपको सोना बेचने से बचना चाहिए, विशेष कर अपने घर में रखे हुए सोने को न बेचें. यथा सम्भव आत्मिक रूप से धार्मिक बने रहना आपके लिए शुभ रहेगा.

10. दशम भाव में स्थित मंगल का फल :

दशम भाव को कर्म व विद्या भाव भी कहते हैं. मंगल ग्रह की दशम भाव में स्थिति आपको धनवान तो बनाएगी ही साथ ही आपको को कुछ विशेष गुणवान बनाएगा जिसके कारण आप प्रसिद्ध होंगे और कुलदीपक की भूमिका निभाएंगे. आपकी रुचि मकैनिकल इंजीनिअर, इलेक्ट्रानिक इंजीनिअर, हथियारों से जुडे काम या वर्दी से जुडे कामों में हो तो यह मंगल आपकी मदद कर सकता है. यहां स्थित मंगल शल्य चिकित्सा या मंत्रों के ज्ञान में भी दक्ष बनाता है. उम्र के अट्ठाइसवें या अट्ठावनवें वर्ष में आपको कुछ विशेष उपलब्धि मिलेगी.

आप महत्वाकांक्षी और दृढनिश्चयी व्यक्ति हैं. आपको बडे पद और प्रतिष्ठा की प्राप्ति होगी. आप महत्वाकांक्षी और दृढनिश्चयी व्यक्ति हैं. हांलाकि आप एक सफल व्यक्ति हैं लेकिन अपने आप तक ही सीमित रहना उचित नहीं होगा. आप सुखी और यशस्वी व्यक्ति होंगे. आपके पास विभिन्न प्रकार के वाहन होंगे और आप उनका सुख और लाभ उठाएंगे. लेकिन मंगल की यह स्थिति संतान के दृष्टिकोण से ठीक नहीं होती है.

11.एकादश भाव में स्थित मंगल का फल:

एकादश भाव को आय भाव भी कहते हैं. ग्यारहवें भाव में स्थित मंगल आपको धैर्यवान बनाता है. आप एक साहसी व्यक्ति हैं और अपने जीवन काल में खूब लाभ कमाएंगे. पंचम भाव पर दृष्टि होने के कारण ग्यारहवें भाव में स्थित मंगल आपको संतान से संबंधित परेशानियां दे सकता है जैसे कि संतान की पैदाइस में विलम्ब या गर्भपात जसी स्थितियां भी आ सकती हैं.

आपमें क्रोध की अधिकता हो सकती है जिस पर नियंत्रण पाना जरूरी होगा. यहां स्थित मंगल आपको खूब घूमने फिरने का मौका भी देता है. मित्रों के सहयोग से आप अपनी महत्त्वाकांक्षाओं को पूरा कर पाएंगे लेकिन मित्रों से आपका मतभेद और विरोध भी हो सकता है.

आप गुरुजनों का बहुत सम्मान करते हैं. आपके स्वभाव में राजसी गुण भी पाए जाएंगे. अर्थात आप अपने आपको किसी राजा की तरह ही समझेंगे. वहीं आपके संस्कारों ने अनुमति दी तो आपकी रुचि मांसाहार में भी हो सकती है.

12. द्वादश भाव में स्थित मंगल का फल :

द्वादश भाव को व्यय भाव भी कहा जाता है. यहां स्थित मंगल अधिकांश मामलों में विपरीत परिणाम ही देता है. खर्चे अधिक होने के कारण आपको कर्जदार भी होना पड सकता है. यह आपको शस्त्र विद्या में निपुण बनाता है. आपको चोरो का भय भी रह सकता है अत: अपनी चीजों को सही ढंग से सहेजकर रखना उचित होगा. कभीकभी फिजूलखर्ची के कारण आपको आर्थिक विषमताओं का भी सामना करना पड सकता है.

यहां स्थिति मंगल के कारण आपके छोटे भाई या बहन को बडा पद और बडी प्रतिष्ठा भी मिल सकती है. लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति में कुछ उतार चढाव सम्भव है. वहीं दाम्पत्य जीवन के लिए यहां स्थित मंगल को अच्छा नहीं माना गया है. यहां स्थित मंगल आपके स्वभाव को उग्र बनाता है. यहां स्थित मंगल आखों में लाली या फिर अन्य नेत्र रोग दे सकता है.

किसी भी प्रकार की समस्या समाधान के लिए पं. वेद प्रकाश पटैरिया शास्त्री जी (ज्योतिष विशेषज्ञ) जी से सीधे संपर्क करें 9131735636

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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