मोदी सरकार ने किसानों के लिए उठाया ये बड़ा कदम, अब बड़े पैमाने पर होगा नैनो यूरिया का उत्पादन

मोदी सरकार ने किसानों के लिए उठाया ये बड़ा कदम, अब बड़े पैमाने पर होगा नैनो यूरिया का उत्पादन

प्रेषित समय :20:17:21 PM / Tue, Jul 27th, 2021

नई दिल्ली. मोदी सरकार ने मंगलवार को किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए बड़ा निर्णय लिया है. केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने नैनो यूरिया की टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के लिए एक एमओयू इफको और नैशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (एनएफएल) और दूसरा एमओयू इफको और राष्ट्रीय केमिकल्स ऐंड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड के बीच कराया है. इस निर्णय के बाद अब देश में नैनो यूरिया का उत्पादन और बढ़ जाएगा.

इस मौके पर केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 15 अगस्त, 2019 को लाल किले की प्राचीर से आम किसानों से यह अपील की थी कि रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल कम करें. नैनो यूरिया इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. प्रधानमंत्री की प्रेरणा से विकसित यह उत्पाद क्रांतिकारी साबित होगा.

एमओयू साइन करने से क्या होगा?

मांडविया ने कहा, किसी भी गेमचेेंजर टेकनालाजी के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह होती है कि उसे बड़े पैमाने पर आम लोग अपनाएं. नैनो यूरिया के साथ भी यही चुनौती है. नैनो यूरिया एक रिवोल्यूशनरी प्रोडक्ट तो है लेकिन देश के आम किसान इसे जितना तेजी से अपनाएंगे, इसका सकारात्मक प्रभाव हमें उतना ही जल्दी देखने को मिलेगा और उतना ही जल्दी हम कृषि क्षेत्र में संपूर्ण आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ पाएंगे.

धीरे-धीरे ऐसे फायदा होगा

उन्होंने आगे कहा, भारत जैसे कृषि प्रधान देश के लिए यह जरूरी है कि नैनो यूरिया का उत्पादन और बढ़े. फर्टीलाइजर के क्षेत्र में काम कर रही दूसरी सरकारी कंपनियां भी इस काम में लगें. इन रूशह्य से आने वाले दिनों में यूरिया का उत्पादन बढ़ेगा. इसके प्रचार-प्रसार में तीनों संगठन लगेंगे. इससे किसानों के बीच कम समय में नैनो यूरिया की लोकप्रियता बढ़ाने में मदद मिलेगी और तेजी से किसान इस नए उत्पाद को अपना पाएंगे.

जून से देश में नैनो यूरिया का उत्पादन शुरू हुआ है

बता दें कि पिछले दिनों इफको ने नैनो यूरिया को विकसित करने का काम किया है. जून में इफको ने इसका वाणिज्यिक उत्पादन शुरू किया. ऐसा करने वाला भारत पूरी दुनिया में पहला देश बना. नैनो यूरिया कृषि क्षेत्र में एक गेमचेंजर उत्पाद साबित हो सकता है. इफको द्वारा विकसित नैनो यूरिया तरह है. इसके आधे लीटर के बोतल से उतने खेत की उर्वरक जरूरत पूरी हो पाएगी जितनी खेत की उर्वरक जरूरत अभी 45 किलो की पारंपरिक यूरिया बोरी से होती है.

कैसे अलग है नैनो यूरिया पारंपरिक यूरिया से

अभी भारत तकरीबन एक करोड़ टन यूरिया का आयात करता है. आने वाले दिनों में जैसे-जैसे नैनो यूरिया का इस्तेमाल बढ़ेगा वैसे-वैसे भारत का यूरिया आयात भी कम होगा. इस वजह से भारत का आयात पर होने वाला विदेशी मुद्रा खर्च कम होगा. साथ ही नैनो यूरिया के इस्तेमाल से यूरिया सब्सिडी पर होने वाला खर्च भी आधा हो जाएगा. 2020-21 में उर्वरक सब्सिडी 79,850 करोड़ रुपये थी. 58,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी सिर्फ यूरिया पर दी गई. नैनो यूरिया की वजह से पारंपरिक यूरिया का उपयोग आधा होने से हर साल सब्सिडी पर होने वाले खर्च में तकरीबन 29,000 करोड़ रुपये का बचत कर पाएगी. नैनो यूरिया के इस्तेमाल से किसानों को सीधे 10 प्रतिशत की आर्थिक बचत होगी. इससे कुल मिलाकर किसानों को कई स्तर पर आर्थिक बचत होगी. इससे किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य पूरा होने की दिशा में प्रगति होगी.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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