राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में दर्शनशास्त्र शिक्षकों की भूमिका पर वेबीनार

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में दर्शनशास्त्र शिक्षकों की भूमिका पर वेबीनार

प्रेषित समय :18:51:11 PM / Thu, Jul 22nd, 2021

महू (इंदौर). मगध विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति प्रो. कुसुम कुमारी ने कहा कि ‘भारतीय दर्शन हमेशा से समृद्ध रहा है किन्तु उसे पुर्नजीवित करने की जिम्मेदारी दर्शन शास्त्र के शिक्षकों पर है.’ प्रो. कुसुम कुमारी  ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति में  शिक्षकों की भूमिका’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय वेबीनार को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रही थीं. डॉ. बी.आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय, महू एवं भारतीय शिक्षा मंडल के संयुक्त तत्ववाधान में आयोजित वेबीनार को संबोधित करते हुए प्रो. कुसुम कुमारी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की व्याख्या करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शब्द का अर्थ राष्ट्रीयता का भाव शिक्षा में लाना है. और पॉलिसी का अर्थ नीति है. उन्होंने कहा दर्शन समाज को दृष्टि देता है और दृष्टि नई संस्कृति का निर्माण करती है. उन्होंंने कहा कि हमें शिक्षा और साक्षरता में भेद करना सीखना होगा.

वेबीनार में डिपार्टमेंट ऑफ फिलासफी विभागाध्यक्ष आरा प्रो. किस्मत कुमार सिंह ने बीज वक्तव्य में कहा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है जिसमें चरित्र निर्माण पर जोर दिया गया है. 2030 तक समावेशी शिक्षा प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है, उसे प्राप्त करने में शिक्षकों की अहम भूमिका है. बीएचयू के पूर्व विभागाध्यक्ष फिलॉसफी डॉ. एस.पी. पांडेय ने शिक्षा पर मात्र चार प्रतिशत खर्च करने पर चिंता जताते हुए कहा कि अब तक शिक्षा में हाथ, हृदय एवं मस्तिष्क का समन्वय नहीं था. मानवीय मूल्यों का ह्रास हो रहा था किन्तु राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इन कमियों को दूर किया जाएगा. इसके लिए शिक्षकों की महती भूमिका है क्योंकि विद्यार्थी अपने शिक्षक का अनुसरण करते हैं. उन्होंने मातृभाषा में शिक्षा को उत्तम निर्णय बताया. पाटलीपुत्र यूर्निवसिटी पटना, फिलॉसफी विभागाध्यक्ष प्रो. शैलेश कुमार सिंह ने कहा कि पश्चिमी मॉडल के कारण हमारे धर्म, संस्कृति और शिक्षा को नुकसान पहुंचा है. इस मॉडल को दो तरह से रोक सकते हैं पहला चीन मॉडल जिसमें शक्ति है और दूसरा इस्लामिक मॉडल जिसमें जनसंख्या वृद्धि कर लेकिन हमारे लिए यह उचित नहीं है. हमारा दर्शन समग्रता में है. भारतीय दृष्टि विकसित कर हम वैश्विक व्यवस्था में परिवर्तन कर सकते हैं.    

वेबीनार के प्रारंभ में डीन, प्रोफेसर डीके वर्मा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए आज के विषय वस्तु पर अपना दृष्टिकोण रखा और कहा कि दर्शनशास्त्र के शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण है.

वेबीनार की अध्यक्ष एवं कुलपति प्रो. आशा शुक्ला ने कहा कि भारतीय संस्कृति और मनीषा को लेकर दर्शन का स्पष्ट होना आवश्यक है. उन्होंने विषय-विशेषज्ञों से अपने शोध आलेख प्रेषित किए जाने का आग्रह किया. आभार प्रदर्शन डॉ. कौशलेन्द्र वर्मा ने किया. कार्यक्रम का संचालन डॉ. मनोज कुमार गुप्ता ने किया. कुलसचिव श्री अजय वर्मा एवं विश्वविद्यालय परिवार के सहयोग से कार्यक्रम का आयोजन किया गया. भारतीय शिक्षा मंडल की डॉ. अनुपमा मोदी के पति का असमय निधन की सूचना विश्वविद्यालय को मिली. वेबीनार के समापन के अंतिम चरण में विश्वविद्यालय परिवार की ओर से दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित किया गया.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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