किसानी घाटे का सौदा नहीं : प्रो. कुशवाहा

किसानी घाटे का सौदा नहीं : प्रो. कुशवाहा

प्रेषित समय :19:52:16 PM / Thu, Jul 15th, 2021

महू (इंदौर). किसानी किसी भी स्थिति में घाटे का सौदा नहीं है. आप एक रुपया लगाते हैं और ढाई रुपया पाते हैं.’ यह बात ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में एग्रीकल्चर साइंस टीचर की भूमिका’ को संबोधित करते हुए प्रो. साकेत कुशवाह ने कही. आर.जी.यू रानू हिल्स, अरूणाचल प्रदेश के कुलपति प्रो. साकेत कुशवाह डॉ. बी.आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय, भारतीय शिक्षण मंडल एवं  जनता कॉलेज, बकेवर, इटावा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित वेबीनार को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी समस्या यह है कि यूरोप से आने वाली हर चीज हमारे लिए आदर्श होती है. हमें अपने माइंडसेट को बदलना होगा. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में व्यवहारिक ज्ञान पर जोर दिया गया है, यह जरूरी है. शिक्षकों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए प्रोफेसर कुशवाहा ने कहा कि विद्यार्थियों को सीखने, समझने और उसे व्यवहार में लाना सिखाना होगा.

वेबीनार में  ए. टी. ए. आर. आई. जोन, जबलपुर के डायरेक्टर डॉ. एस. आर. के. सिंह ने कहा कि अब तक कृषि विषय को बैकबेंच में डाल दिया गया था जिसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में प्रमुखता से लिया गया है. विषय चयन के लिए विद्यार्थियों पास अब अधिक विकल्प होंगे. उन्होंने कहा कि इस शिक्षा नीति से कांफिडेंट स्कॉलर मिलेंगे क्योंकि अब लर्निंग पर जोर दिया जा रहा है. बीएचयू वाराणसी में इंस्ट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट के डॉ. कल्याण गेडई ने कहा कि अब शिक्षकों की भूमिका और अहम हो गई है. उन्होंने भारत एवं अन्य देशों में कृषि शिक्षा की विस्तार से चर्चा की. उन्होंंने कहा कि जानना, समझना और सीखना है. यूर्निवसिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर दिनेश शाह ने कहा कि अब कृषि शिक्षा रोजगारपरक होगी. स्वयं के साथ दूसरों को रोजगार देने की संभावना बढ़ेगी. शिक्षक अब क्वालीफाईड होंगे और उन्हें ट्रेनिंग मिलेगी जो विद्यार्थियों के सुदृढ़ भविष्य के लिए होगा. प्रेक्टिकल नॉलेज अब बढ़ेगा.एसोसिएट प्रोफेसर एवं हेड डिपार्टमेंट ऑफ हार्टिकल्चर, जनता कॉलेज के डॉ. एके पांडे ने कहा कि कोरोना काल में जब दूसरे क्षेत्रों में जीडीपी गिर रही थी जब कृषि क्षेत्र ने 19 प्रतिशत से अधिक योगदान दिया. उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कृषि के अधिक कोर्स होने पर चिंता जाहिर करते हुए कोर्स को कम करने की बात कही.

इसके पूर्व ब्राउस, डीन डॉ. डी. के. वर्मा ने कहा कि कृषि हमारी सामाजिक और आर्थिक धुरी है और राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में इसे अधिक व्यवहारिक बनाने की बात कही गई है. अब हम सबका दायित्व है कि इसे लागू करने में सहयोग करें. वेबीनार की अध्यक्ष एवं कुलपति प्रोफेसर आशा शुक्ला ने ब्राउस एवं सहयोगी संस्था भारतीय शिक्षण मंडल एवं जनता कॉलेज के बारे में जानकारी दी. उन्होंने शिक्षा नीति निर्माण के बारे में अपने अनुभव शेयर किया.  अतिथियों का स्वागत किया एवं कार्यक्रम का संचालन स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर साइंस विभाग के प्रमुख डॉ. अरूण कुमार ने किया. कुलसचिव श्री अजय वर्मा एवं डीन डॉ. मनीषा सक्सेना के सक्रिय सहयोग एवं  मार्गदर्शन में विश्वविद्यालय परिवार के सहयोग से किया जा सका.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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