काला पानी से सीखना चाहिए?

काला पानी से सीखना चाहिए?

प्रेषित समय :18:53:59 PM / Mon, May 10th, 2021

डॉ. अंजू. काला पानी अथवा अंडमान द्वीप समूह प्राकृतिक सौंदर्य एवं शौर्य की भूमि है. दूर तक फैले नीले समुद्र और हरी भरी प्रकृति से समृद्ध यह द्वीप सहज ही सबका मन मोह लेता है. देश की राजधानी एवं मुख्य भूमि से हजारों किलोमीटर दूर यह द्वीप आज एक बड़ा एवं लोकप्रिय पर्यटक स्थल बन चुका है. एक समय था जब काला पानी के विषय में लोगों को जानकारी नहीं थी. हवाई एवं जल यातायात के अभाव में सामान्य व्यक्ति वहां नहीं पहुंच पाता था.

यद्यपि हमारे पुराने ग्रंथों में इस स्थान की चर्चा मिलती है किंतु ब्रिटिश शासन में  यातनाओ एवं अत्याचारों का स्थान बनने के बाद काला पानी जनसामान्य की जानकारी में आया. अंग्रेजों द्वारा स्वतंत्राता सेनानियों को भिन्न-भिन्न रूपों में सजा देने के लिए काला पानी और फिर वहां बनी सेल्यूलर जेल भेजा जाता था.

सेल्यूलर जेल के गलियारे आज भी भारत मां के वीर सपूतों के बलिदान के साक्षी हैं. विभिन्न प्रदेशों से कैदी बनाकर लाए गए स्वतंत्रता सेनानियों ने यहाँ  अकथनीय अत्याचार सहे, उनकी चीखें वहां की हवा में आज भी घुली मिली हैं. जेल की दीवारों से भारत माता की जय का उद्घोष आज भी सुनाई पड़ता है. अंग्रेजी सरकार की यातनाओं की कहानी कहता कोल्हू, टाट की पोशाकें,जंजीरे, चाबुक आदि देखकर आंखें नम हो जाती हैं. सेल्युलर जेल के प्रांगण में खड़ा पीपल का पेड़ जब अमर बलिदानियों पर हुए अत्याचारों की कहानी सुनाता है तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं, हृदय व्यथित हो जाता है. विभिन्न प्रदेशों से वीर सावरकर, भान सिंह बाबा, पंडित राम रक्खा, वली मौलवी, जफर हुसैन आदि  सैकड़ों वीरों के नाम आज भी यहां अंकित हैं. विडंबना यह है कि स्वतंत्रता के बाद भी यह स्थान और ये अमर बलिदानी उपेक्षित रहे. पिछले कुछ वर्षों से सेल्यूलर जेल और यहां के महत्वपूर्ण स्थलों का जीर्णोद्धार कार्य चल रहा है. यह स्थान जन जन के लिए न केवल पर्यटन अपितु तीर्थ बनना चाहिए.

सामाजिक, सांस्कृतिक, भाषिक, आर्थिक, धार्मिक, प्राकृतिक आदि विविध प्रकार की विरासत का धनी यह द्वीप आज भी बहुत कुछ सिखाता है. यहां के स्थानीय लोग, उनका अनुशासन, उनका व्यवहार, उनका परिश्रम,उनकी ईमानदारी आदि सहज ही इस द्वीप के सौंदर्य को तो बढाते ही हैं, हमें एक अच्छे जीवन की राह भी दिखाते हैं. वहां का प्रत्येक नागरिक अपने अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों का भी जानकार है. देश के कई  पर्यटन स्थलों पर होटल के कर्मचारी पर्यटकों के लिए  यह कहते हुए सुने जाते हैं- हमारे कस्टमर हैं अथवा कस्टमर आने वाले हैं. अंडमान का प्रत्येक व्यक्ति पर्यटक को अपने गेस्ट अथवा अतिथि मानता है. यहाँ अतिथि सत्कार मात्रा पैसे के लिए नहीं है अपितु उसमें सेवा, सुरक्षा और अपनत्व का भाव भी विद्यमान है. प्रत्येक व्यक्ति के अंदर संतुष्टि का भाव है. किसी प्रकार का लोभ,लालच अथवा अतिथियों के साथ धोखे की मानसिकता वहां नहीं दिखाई देती. अंडमान एक पर्यटक नगरी है, फिर भी वहां के निवासियों में किसी प्रकार का बनावटीपन नहीं है.

अंडमान में विविध भाषा- भाषी व विविध संस्कृतियों के लोग रहते हैं किंतु आपसी भाईचारा एवं सौहार्द सराहनीय है. सूती धोती और बालों में गजरे सजाए महिलाएं सहज ही दक्षिण भारत का दृृश्य जीवंत कर देती हैं वहीं माथे पर सजी लाल-चौडी बिंदी और कलाई में पहने लाल- सफेद कंगन बंगाल की याद दिलाते हैं. रसूल भाई की नाव का चालक प्रशांत है और दोनों की आपसी समझ देखते ही बनती है. नौका पर अनिवार्य रूप से लगे भारतीय ध्वज का एक कोना फटा होने पर रसूल भाई प्रशांत को  डांटता है- यह नहीं चलेगा. यह हमारा मान है, पहचान है, इसको ठीक करो, सोचने पर विवश कर देता है. ऐसा समस्त भारत में क्यों नहीं है? कहां खो गया आपसी प्रेम और समझदारी? आपसी प्रेम, समझदारी और राष्ट्र भाव अंडमान में जगह-जगह दिखाई देता है. अंडमान केंद्र शासित प्रदेश अवश्य है परंतु वहां के निवासियों की सजगता, ईमानदारी, प्रशासन की सजगता,यहां का भय मुक्त और उन्मुक्त परिवेश पर्यटन के साथ-साथ प्रदेश की उत्कृष्ट वैचारिकता का भी नमूना है. सीमित संसाधनों एवं  सीमित क्षेत्रा में फलता फूलता अंडमान आत्मनिर्भर भारत का उदाहरण प्रस्तुत करता है.

आज जहां विभिन्न प्रदेशों में बढ़ता अपराध का ग्राफ चिंता का विषय बनता जा रहा है वहीं अंडमान क्राइम फ्री है. आवश्यकता है इससे सीखने की, इसकी जीवन शैली को जानने की. देश के कोने कोने से यहां आकर बसे लोगों में अपराधवृत्ति नहीं है. अंडमान से सटे स्वराज दीप अर्थात् हैवलाक और शहीद दीप यानी नील  सुशासन, सुव्यवस्था एवं प्राकृतिक सौंदर्य की अनुपम छटा बिखेरते हैं. स्वराज दीप का राधानगर बीच, एलिफेंटा बीच एवं काला पत्थर बीच सहज ही अपने सौंदर्य से सबको मोहित कर लेता है. इसी प्रकार शहीद दीप के भरतपुर, लक्ष्मणपुर एवं सीतापुर बीच विभिन्न प्रकार की पानी की गतिविधियों से इन स्थानों को यादगार बनाते हैं तो वहीं सनसेट पाइंट एवं नेचुरल ब्रिज आदि प्रकृति की अद्भुत आकृतियां सम्मोहित कर लेती हैं.

यहां का सौंदर्य व टूरिस्ट आपरेटरों का व्यवहार  पुनः  इन स्थानों की यात्रा के लिए प्रेरित करता है. सीमित आबादी वाले इन द्वीपों  में प्राकृतिक सौंदर्य ज्यों का त्यों है.  महिलाएं पढ़ी-लिखी हैं. घर संभालने के साथ-साथ पति के साथ खेतों में परिश्रम भी करती हैं, दुकानें संभालती हैं. हंसते-मुस्कुराते उनके चेहरों पर किसी प्रकार का तनाव नहीं दिखाई देता. सुबह से शाम तक प्रत्येक व्यक्ति व्यस्त है,परेशान नहीं. इन द्वीपों के पढ़े-लिखे किसान आत्मनिर्भर हैं. नए ढंग से खेती कर रहे हैं. जितना कमाते हैं, उसमें संतुष्ट हैं. इनका जीवन स्तर बहुत अच्छा है.

सहज जीवन के लिए आवश्यक सभी संसाधन एवं आवश्यकताएं यहाँ पूरी हो रही हैं. इनमें यहां से दूर जाने की महत्वाकांक्षाएं नहीं है. महानगरों में यह संतुष्टि खो गई है. बहुत से लोग विदेशों के अनुशासन,प्राकृतिक सौंदर्य एवं पर्यटक स्थलों की प्रशंसा करते नहीं थकते किंतु अंडमान द्वीप समूह भी सौंदर्य के भंडार हैं. यहाँ का वातावरण सीखने को विवश करता है. अंडमान की यह धरती भ्रष्टाचार,बनावटीपन, आधुनिकता की अंधी दौड़, भाषा एवं क्षेत्र की संकीर्णता, सांप्रदायिक विद्वेष,राजनीतिक गुटबंदी आदि से अछूती है. यहाँ चारों ओर सागर की लहरें, शौर्य गाथा, अतिथि सत्कार और आत्मनिर्भरता का सुंदर सामंजस्य दिखाई देता है. आज के भाग दौड़ भरे,मूल्यों से हटते जीवन  में भी काला पानी आपसी भाईचारे,देश प्रेम, अतिथि सत्कार, ईमानदारी, एक भारत- श्रेष्ठ भारत आदि की सीख दे रहा है.
 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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