महाराष्ट्र में 86.4 फीसदी मरीज ठीक हुए, तीसरी लहर से निपटने 1000 फैमिली डॉक्टरों को तैयार कर रही उद्धव सरकार

महाराष्ट्र में 86.4 फीसदी मरीज ठीक हुए, तीसरी लहर से निपटने 1000 फैमिली डॉक्टरों को तैयार कर रही उद्धव सरकार

प्रेषित समय :15:12:31 PM / Mon, May 10th, 2021

मुंबई. महाराष्ट्र में पिछले 24 घंटों के दौरान 48,401 नए संक्रमित मिले, 60,226 मरीज ठीक हुए और 572 की मौत हो गई. अब कुल 6 लाख 15 हजार 783 मरीजों का इलाज चल रहा है. राज्य में अब तक 2.94 करोड़ सैम्पल्स की जांच की जा चुकी है. इनमें 44.07 लाख लोग संक्रमित पाए गए हैं. राज्य में ठीक होने की दर अब 86.4त्न है, जबकि मृत्यु दर 1.49त्न है.
सिर्फ मुंबई की बात करें तो बीते 24 घंटे में यहां 2,395 नए मामले सामने आए. 13,868 मरीज ठीक हुए और 68 की मौत हो गई. यहां अब तक 6.76 लाख लोग इस महामारी की चपेट में आ चुके हैं जबकि 13,781 लोगों ने जान गंवाई है. अभी यहां 51,165 मरीजों का इलाज चल रहा है.

1 हजार फैमिली डॉक्टर्स को ट्रेनिंग दे रही सरकार

संक्रमण की दूसरी लहर से सीख लेते हुए महाराष्ट्र सरकार ने तीसरी लहर से निपटने की तैयारी शुरू कर दी है. इसी कड़ी में रविवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य के 1,000 प्राइवेट प्रैक्टिशनर फैमिली डॉक्टरों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात की है. उन्होंने डॉक्टर्स की चुनौतियों को समझा और उन्हें अगले खतरे के लिए तैयार रहने को कहा. ष्टरू ने यह बैठक कोरोना के लिए बनी टास्क फोर्स की सलाह पर की.

तीसरी लहर का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर होने की संभावना

सीएम ने फैमिली डॉक्टरों के सुझावों को सुना. उनके कई सुझावों को अमल में लाने का भरोसा भी दिलाया. कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए राज्य में बाल रोग विशेषज्ञों की टीम गठित की जा रही है. विशेषज्ञों को आशंका है कि यह लहर छोटे बच्चों को अपनी चपेट में ले सकती है. इसलिए उनके लिए अलग से अस्पताल, ढ्ढष्ट बेड और नियोनेटल वेंटिलेटर रिजर्व किए जा रहे हैं.

टास्क फोर्स की ओर से फैमिली डॉक्टरों से कहा गया कि वे अपने पास इलाज के लिए आने वाले बच्चों के बारे में ज्यादा सतर्कता बरतें. बच्चों में होने वाले वायरल इंफेक्शन, सर्दी, बुखार, खांसी और डायरिया के अलावा दूध न पीने और खाना न खाने जैसे लक्षणों पर विशेष ध्यान दिया जाए.

फैमिली डॉक्टर्स की चुनौती बढ़ सकती है

मुख्यमंत्री ने कहा, कोरोना से लड़ाई में फैमिली डॉक्टरों की भूमिका शुरू से ही महत्वपूर्ण रही है, लेकिन अब चुनौती बढ़ सकती है. बिना लक्षणों वाले कुछ लोग घबराकर अस्पताल में भर्ती हो जाते हैं, जिससे जरूरतमंद मरीजों को बेड नहीं मिल पाते.

फैमिली डॉक्टरों का सुझाव

फैमिली डॉक्टरों ने भी सरकार को यह सुझाव दिया कि इसी तरह की वीडियो कॉन्फ्रेंस आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक डॉक्टरों के साथ भी की जानी चाहिए. उन्हें भी इस लड़ाई में शामिल किया जाना चाहिए.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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