लाल किताब के अनुसार कुंडली के प्रत्येक भाव में गुरु के शुभ-अशुभ प्रभाव

लाल किताब के अनुसार कुंडली के प्रत्येक भाव में गुरु के शुभ-अशुभ प्रभाव

प्रेषित समय :22:05:23 PM / Tue, Apr 13th, 2021

कुंडली के प्रत्येक भाव या खाने अनुसार गुरु के शुभ-अशुभ प्रभाव को लाल किताब में विस्तृत रूप से समझाकर उसके उपाय बता रहा हूँ. यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ प्रत्येक भाव में गुरु की स्थित और सावधानी के बारे में संक्षिप्त और सामान्य जानकारी.

(1) पहला खाना:- पहले खाने में गुरु का होना अर्थात गद्दी पर बैठा साधु, राजगुरु या मठाधीश समझो. ऐसे जातक की जैसे-जैसे शिक्षा बढ़ेगी दौलत भी बढ़ती जाएगी.

यदि गुरु पहले खाने में है तो व्यक्ति अपने हुनर से प्रसिद्धि पा सकता है. उसकी प्रसिद्ध ही उसकी दौलत होती है. ऐसे व्यक्ति का भाग्य दिमागी ताकत या ऊँचे लोगों के साथ रहने से बढ़ता है. यदि चंद्रमा अच्छी हालत में है तो उम्र के साथ सुख और समृद्धि बढ़ती जाती है.

सावधानी:- यदि शनि पाँचवें घर में हो तो खुद का मकान न बनाएँ और नौवें घर में है तो स्वास्थ्य का ध्यान रखें. राहु यदि आठवें या ग्यारहवें घर में हो तो पिता का ध्यान रखें.

(2) दूसरा खाना:- दूसरे घर का गुरु जगतगुरु कहलाता है. सबको तारने वाला तारणहार. यदि केतु छठे भाव में है तो ऐसे व्यक्ति को अपनी मौत का पता रहेगा. पत्नी खूबसूरत होगी. यदि सूर्य दसवें में हो तो प्रसिद्धि प्राप्त करेगा.

सावधानी:- सूर्य से संबंधित कोई भी काम न करें.

(3) तीसरा खाना:- कुल, गुरु या खानदान का रखवाला कहा गया है. ऐसे व्यक्ति के शेष ग्रह यदि मंदे हों तो व्यक्ति सदा ‍खानदान की चिंता में रहता है. रहस्यमय विद्याओं में रुचि लेता है. दौलत आती-जाती रहती है पर दौलतमंद होने में गुरु के मित्र ग्रहों का अच्छा होना आवश्यक है.

सावधानी:- भाई और बहनों से अच्छे संबंध बनाकर रखें. दुर्गा माँ का भूलकर भी अपमान न करें. कन्याओं का सम्मान करें.

(4) चौथा खाना:- पानी में तैरता ज्ञान. स्त्री, दौलत और माता का सुख. खुद का आलीशान मकान. यहाँ यदि उच्च का गुरु है तो प्रसिद्ध पाएगा.

सावधानी:- दसवें घर में गुरु के शत्रु ग्रह हैं तो सवधानी बरतें. बदनामी हो सकती है. बहन, पत्नी और माँ का सम्मान करें.

(5) पाँचवाँ खाना:- यहाँ बैठा गुरु ब्रह्मज्ञानी कहलाता है. सम्मानीय लोगों के बीच बैठा विशिष्ट व्यक्ति. इसके लिए इज्जत ही इसकी दौलत है. जरा-सी बात पर गुस्सा होने वाले इस गुरु का कोई मुकाबला नहीं. कहते हैं कि ऐसे व्यक्ति के यहाँ यदि बृहस्पति के दिन पुत्र हो तो छुपे हुए भाग्य का खजाना खुल जाएगा. अगले-पिछले सारे पाप कट जाएँगे.

सावधानी:- औलाद ही दौलत और सुख-शांति है, इसलिए उसे दुःखी करके नर्क का सृजन करोगे. यदि अशुभ केतु ग्यारहवें घर में हो तो औलाद से या औलाद के धन से उसे सुख नहीं मिल सकता. इसके लिए धर्म के नाम पर कभी किसी से कुछ भी न माँगें और न ही दें. धर्मार्थ कोई काम न करें.

(6) छठा खाना:- आपने देखें होंगे मुफ्तखोर साधु. साधु न भी है तो मुफ्तखोर तो है ही. ऐसे व्यक्ति को कई चीजें बिना माँगे या बिना मेहनत के ही मिल जाती हैं. यह अलग बात है कि वह इसकी कदर करता है या नहीं. यदि शनि शुभ हो तो आर्थिक हालत ठीक होगी. इस जगह बृहस्पति यदि अशुभ हो तो समझो कि बस जैसे-तैसे आम जरूरतें पूरी होती रहेंगी. केतु बारहवें में बैठा शुभ हो तो ही दौलतमंद बन सकता है.

सावधानी:- बहन, मौसी, बुआ से अच्छा व्यवहार रखें. मेहनत से कमाए पर ही गुजारा करें. लापरवाही और आलस्य को त्याग दें. प्राप्त चीजों की कदर करें.

(7) सातवाँ खाना : ऐसा साधु जो न चाहते हुए भी गृहस्थी में फँस गया है. यदि बृहस्पति शुभ है तो ससुराल से मिली दौलत बरकत देगी. ऐसा व्यक्ति आराम पसंद होता है लेकिन यही उसकी असफलता का कारण भी है.

सावधानी:- घर में मंदिर रखना या बनाना अर्थात परिवार की बर्बादी. कपड़ों का दान करना वर्जित. पराई स्त्री से संबंध न रखें.

(8) आठवाँ खाना:- इसे श्मशान में बैठा साधु कहा गया है. मुसीबत के सब देवताओं का सहयोग. ऐसे व्यक्ति की सहायता के लिए देवता सदैव तत्पर रहते हैं. सोना पहनने से जल्दी लाभ मिलता है. गुप्त विद्या को जानने का शौक होगा. दूसरे भाव में बृहस्पति के मित्र ग्रह बैठे हों तो जंगल में भी मंगल होगा.

सावधानी:- बृहस्पति के पक्के घरों में उसके शत्रु ग्रह हों तो उपाय करें.

(9) नौवाँ घर:- धन और दौलत का त्याग करने वाला योगी. इसका मतलब यह है कि ऐसा व्यक्ति कभी भी धन के पीछे नहीं भागेगा. खानदानी अमीर होगा. फिर भी अपनी मेहनत से बहुत धन कमा सकने की ताकत रखेगा.

सावधानी:- धर्म विरुद्ध आचरण बर्बादी का कारण बन सकता है.

(10) दसवाँ घर:- ऐसा गृहस्‍थ जो बच्चों को अकेला छोड़कर चला जाए. यहाँ बैठा गुरु अशुभ फल देता है. यदि शनि अच्छी स्थिति में हो तो शुभ फल. चौथे घर में शत्रु ग्रह हो तो अशुभ.

सावधानी:- ईश्वर और भाग्य पर भरोसा न करें. श्रम और कर्म हो ही अपनाएँ. दूसरों की भलाई पर ध्यान न दें. शादी के बाद किसी भी दूसरी स्त्री से संबंध न रखें अन्यथा सब कुछ बर्बाद. यदि शनि 1, 10, 4 में हो तो किसी को खाने या पीने की कोई भी वस्तु न दें. दया का भाव घातक होगा.

(11) ग्यारहवाँ घर:- अदालत के इस घर में बृहस्पति अच्छा न्याय नहीं कर सकता. यहाँ इसे खजूर का अकेला दरख्त कहा गया है. ऐसे व्यक्ति की अर्थी ससम्मान नहीं निकल पाती. पिता के भाग्य से ही खुद का जीवन चलता है. पिता के जाने के बाद सब कुछ नष्ट.

सावधानी:- परोपकार और गरीबों की मदद करने के मौके चूकें नहीं. धर्म के प्रति अविश्वास प्रकट न करें. पिता का अपमान न करें. वादाखिलाफी महँगी पड़ सकती है. संबंधों को बनाकर रखें.

(12) बारहवाँ घर:- उत्तम ज्ञानी, लेकिन बैरागी. धार्मिक विश्वास और संध्यावंदन से भाग्य सक्रिय. ध्यान करने से जीवन में कभी कष्ट नहीं होता.

सावधानी:- गले में माला न पहनें. वृक्ष काटने का काम न करें. गुरु या साधु का अपमान न करें. बहुत ज्यादा बोलें नहीं.

उपाय:- पीपल की जड़ में नित्य जल चढ़ाएँ. गुरुवार का व्रत रखें. नाक साफ रखें. पीले फूल वाले पौधे गृहवाटिका में लगाएँ. पवित्र और प्रसन्नचित्त रहें. इसके अलावा चाहें तो पीला वस्त्र, फल, फूल आदि दान करें, किंतु सप्तम गुरु वाले वस्त्र दान न करें.

किसी भी प्रकार की समस्या समाधान के लिए आचार्य पं. श्रीकान्त पटैरिया (ज्योतिष विशेषज्ञ) जी से सीधे संपर्क करें - 9131366453

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

कुंडली में सरकारी शिक्षक या शिक्षिका बनने के ज्योतिषीय योग

जानें ज्योतिष आचार्य पं. श्रीकान्त पटैरिया से 10 अप्रैल, 2021 तक का साप्ताहिक राशिफल

मेरी जिंदगी बर्बाद करने वाले ज्योतिष को सजा जरुर मिले: सुसाइड नोट लिखकर इंजीनियरिंग की छात्रा ने की आत्महत्या

ज्योतिष से जुड़े ये आसान उपाय... हटा सकते हैं जन्म कुंडली से दुर्घटना के योग

जानिए पति-पत्नी लड़ाई झगडे का ज्योतिषीय कारण

Leave a Reply