यूरोप में एस्ट्राजेनेका के टीके लगाने पर रोक और भारत के कोरोना वायरस टीकाकरण अभियान की दुश्वारियां!

यूरोप में एस्ट्राजेनेका के टीके लगाने पर रोक और भारत के कोरोना वायरस टीकाकरण अभियान की दुश्वारियां!

प्रेषित समय :19:17:49 PM / Thu, Apr 1st, 2021

डा. यूसुफ अख्तर. कोरोना वायरस से बचने के महत्वपूर्ण एहतियातों में से मास्क लगाना और भौतिक दूरी बनाए रखने से भी ऊपर नंबर एक पर टीकाकरण अभियान को व्यापक बनाया जाना है लेकिन टीकाकरण अभियान को भारत जैसे विशालकाय देश में जन-जन तक ले कर जाने में कई दुश्वारियां हैं . कई बार लोगों के मन में खास करके नए टीकों  को लेकर भय और असमंजस की स्थिति बन जाती है. इस स्थिति को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ‘टीकाकरण झिझक’ का नाम दिया है . विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2012 में  इसे ‘3क’ माडल से परिभाषित किया है- कान्फिडेंस (आत्मविश्वास). कम्प्लायंसेसी (आत्मसंतुष्टि) और कन्वीनियंस (आत्मसुविधा).

जब कोई भी देश इस प्रकार के टीकाकरण अभियान को चलाते हैं तो लोगों के इन ‘3क’ से दो चार होना पड़ता है. लोगों का प्रस्तावित टीके में आत्मविश्वास जीतने के लिए ये निम्नलिखित बिंदु महत्वपूर्ण हैं. टीकों की प्रभावशीलता और सुरक्षा तीन चरणों वाले सफल क्लीनिकल ट्रायल से तय होती हैं. स्वास्थ्य सेवाओं और स्वास्थ्य पेशेवरों की विश्वसनीयता और क्षमता सहित उन्हें वितरित करने वाली प्रणाली में लोगों का विश्वास एवं आवश्यक टीके तय करने वाले नीति निर्माताओं पर लोगों का भरोसा शामिल है.

इसी प्रकार से आत्मसंतुष्टि के लिए लोगों में यह प्रचलित किया जाना चाहिए कि वास्तव में अगर ये रोग इन्हे हो गया तो जानलेवा हो सकता है. टीकाकरण कार्यक्रम की सफलता, लोगों में आत्मसंतुष्टि को बढ़ाना और ‘टीकाकरण झिझक’ को कम से कम करने पर निर्भर करती है क्योंकि कोई भी व्यक्ति रोग के जोखिमों के खिलाफ एक विशेष टीके के साथ टीकाकरण के जोखिमों को भी मापता है. लोगों को ये समझाने की आवश्यकता है कि टीका उस बीमारी को रोकता है जो अब सामान्य नहीं है.

इसी प्रकार से आत्मसुविधा जिसमें ऐसे कारक शामिल होते हैं जो उन्हें टीका लगवाने के लिए आगे बढ़ने से रोकते हैं जैसे संक्रामक रोगों और उसके इलाज को समझने की क्षमता (भाषा और स्वास्थ्य साक्षरता) और टीकाकरण सेवाओं की अपील. ‘सेवा की गुणवत्ता (वास्तविक और या कथित) और वह स्तर जिस पर टीकाकरण सेवाओं को एक समय और स्थान पर वितरित किया जाता है और टीकाकरण को लेकर सांस्कृतिक संदर्भ (धार्मिक और लोक भ्रांतियां) भी लोगों के निर्णय को प्रभावित कर सकते हैं और इससे ‘टीकाकरण झिझक’ को बढ़ावा मिल सकता  है. जैसा कि विदित है, भारत सरकार ने भारत बायोटेक का कोवैक्सीन और एस्ट्राजेनेका का कोविशील्ड कोरोनावायरस टीकों को आपातकालीन उपयोग के लिए स्वीकृत किया था, और इसके बाद 16 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय टीकाकरण अभियान का उद्घाटन किया था.

इसी संदर्भ में पिछले सप्ताह जर्मनी, फ्रांस और इटली समेत कम से कम एक दर्जन यूरोपीय देशों ने आंशिक रूप से या पूरी तरह  एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित कोविड-19 वैक्सीन के उपयोग को निलंबित कर दिया है जिसमें टीकाकरण के बाद खून में थक्के जमने से कई संदिग्ध मौतों की रिपोर्ट है. डेनमार्क के स्वास्थ्य प्राधिकरण ने गुरुवार को एक बयान में घोषणा की कि गंभीर प्रतिकूल प्रतिक्रियाओं की आशंका के कारण एस्ट्राजेनेका वाले टीके का उपयोग 14 दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया है. डेनमार्क की समाचार एजेंसी रिट्जाउ के अनुसार टीकाकरण के बाद कई प्राप्तकर्ताओं के रक्त में थक्के जमने की रिपोर्टों के बाद एक 60 वर्षीय महिला की मौत हो जाने पर ये निलंबन आया है जिसे इस टीके की पहली खुराक मिली और फिर उसके  खून में थक्का बनने के बाद उसकी मृत्यु हो गई.

यूरोपीय चिकित्सा एजेंसी (ईएमए) ने गुरुवार को जारी एक बयान में डेनमार्क के स्वास्थ्य प्राधिकरण के फैसले को ‘एहतियाती उपाय‘ के रूप में वर्णित किया है लेकिन जोर देकर कहा कि ‘वर्तमान में ऐसा कोई संकेत नहीं है कि टीकाकरण ही इन स्थितियों का कारण बना है‘. आस्ट्रिया, इटली, बुल्गारिया, रोमानिया, एस्टोनिया, लिथुआनिया, लक्जमबर्ग, लातविया और यूरोपीय संघ (ईयू) के अन्य देशों नार्वे और आइसलैंड ने भी रक्त के थक्कों की इसी तरह की रिपोर्टें आने के बाद एहतियात के तौर पर इस टीके के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है. यूरोपीय ड्रग रेगुलेटर अभी इस मामले की विस्तृत जांच कर रहे हैं. बुल्गारियाई प्रधानमंत्राी बायो बोरिसोव ने  ‘ईएमए से लिखित रूप में सटीक और स्पष्ट तरीके से पुष्टि निदान तक‘ इस टीके के निलंबन का आदेश दिया. देश के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, बुल्गारिया ने एस्ट्राजेनेका के टीके की 45 लाख से अधिक खुराक खरीदी थी.

ब्रिटेन में दवाइयों और स्वास्थ्य उत्पादों की नियामक एजेंसी ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि ‘यह पुष्टि नहीं की गई है कि एस्ट्राजेनेका का कोविड-19 टीका ही लोगों के रक्त के थक्के जमने का कारण है‘. ईएमए के अधिकारियों ने ये भी स्पष्ट किया है कि एस्ट्राजेनेका के कोविड-19 टीके के साथ रक्त के थक्के जमने वाली घटनाओं की समीक्षा एक त्वरित समय सारिणी के तहत की जा रही है. ईएमए के अनुसार, टीकाकृत लोगों में रक्त के थक्कों की घटना सामान्य आबादी के बीच की तुलना में अधिक है या नहीं, ये समीक्षा के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा.

इटली में एक और एस्ट्राजेनेका टीके की खेप पर चिंता व्यक्त की गई है जब एक 43 वर्षीय व्यक्ति की दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई इसके बाद एक और 50 वर्षीय पुलिसकर्मी की उसी खेप संख्या-एबीवी2856 से टीकाकरण लेने के बाद मृत्यु हो गई. इटैलियन मेडिसिंस एजेंसी (एआईएफए) ने गुरुवार को एबीवी2856 खेप के इस्तेमाल पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया.

हालांकि एक बयान में एआईएफए ने कहा कि वर्तमान में टीकाकरण और इन घटनाओं के बीच कोई कारण अभी स्थापित नहीं किया गया है और एजेंसी सभी आवश्यक व्यापक जांच कर रही है. इसी तरह, रोमानियाई स्वास्थ्य अधिकारियों ने गुरुवार देर रात इटली में निलंबित किए गए खेप संख्या-एबीवी2856 के एस्ट्राजेनेका कोविड-19 टीके की 4,000 से अधिक खुराक के उपयोग को अस्थायी रूप से निलंबित करने का फैसला किया.

हमारे देश में बड़ी संख्या में एस्ट्राजेनेका वाले टीके का निर्माण कोविशील्ड के नाम से पुणे स्थित सीरम इंस्टिट्यूट द्वारा किया जा रहा है और सरकारी एजेंसियों द्वारा स्वीकृत दो टीकों में से एक है और लोगों को बड़ी संख्या में लोगों को टीकाकृत करने के लिए इस्तेमाल में लाया जा रहा है. अब ये देखने वाली बात होगी कि यूरोप में हो रही घटनाओं का भारत के टीकाकरण अभियान पर क्या असर पड़ेगा? टीकाकरण के बाद घटित होने वाली अनहोनी घटनाएं जिसमें टीकाकरण करने के बाद लोगों को स्वास्थ्य सम्बन्धी नुकसान होते हैं, वो लोगों में टीकाकरण को लेकर भय और असमंजस पैदा करती हैं और ये ‘टीकाकरण झिझक’ को बढ़ावा देता है.    

अब हमारे सामने कई तरह की चुनौतियाँ हैं, एक ये कि कैसे इस विशालकाय जनसंख्या तक टीकाकरण को ले जाया जाए और दूसरी लोगों की ‘टीकाकरण झिझक’ से कैसे निपटा जाए. पहली चुनौती तो प्रशासनिक तंत्र की समस्या है जिसको हल करने के लिए सरकार प्रयासरत है लेकिन संक्रमण की इस ‘दूसरी लहर’ को देखते हुए इसमें बहुत तेजी लाने की आवश्यकता है. बीबीसी की 20 फरवरी की रिपोर्ट के मुताबिक अभी तक सरकार ने लगभग टीके की 11.6 करोड़ खुराक खरीदी है जो जनसंख्या के केवल 4 प्रतिशत से भी कम लोगों के लिए ही पर्याप्त हो सकेगी. ये फिर सरकार के लिए एक तीन तरफा चैलेंज है, सारी आबादी के लिए टीकों को खरीदना और उन तक पहुंचाना और उनको ‘टीकाकरण झिझक’ से भी बाहर लाना.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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