शंकर सिंह वाघेलाः बैंकों का निजीकरण बैंक में डाका डालने के बराबर है!

शंकर सिंह वाघेलाः बैंकों का निजीकरण बैंक में डाका डालने के बराबर है!

प्रेषित समय :19:09:16 PM / Wed, Mar 17th, 2021

प्रदीप द्विवेदी. बैंकों का निजीकरण बैंक में डाका डालने के बराबर है, जी हां! यह कहना है गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला का, उन्होंने ट्वीट किया- बैंकों का निजीकरण बैंक में डाका डालने के बराबर है. जिस तरह से सरकार अंधाधुंध डकैती कर रही है वह ना सिर्फ आपके लिए बल्कि आपकी अगली पीढ़ी के लिए भी भयावह साबित होगा. सब बेच देंगे, देश बेच देंगे, तो बचेगा क्या? आवाज उठाए, देश बचाए!

याद रहे, पहले बैंकों का संचालन निजी हाथों में था, लेकिन जनहित में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया.

बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, इंदिरा गांधी के इस कदम को पलटने जा रहे हैं?

यह सवाल इसलिए कि केन्द्र सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को फिर निजी हाथों में देने के रास्ते पर बढ़ रही है, जिसे लेकर बैंकों के कर्मचारी हड़ताल पर हैं.

प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि- सरकार का काम व्यवसाय करना नहीं है. यह कहकर उन्होंने बैंकों के निजीकरण जैसे कदम का पक्ष लिया है, जबकि खबर है कि प्रधानमंत्री के इस निर्णय पर स्वदेशी जागरण मंच ही सवालिया निशान लगा रहा है?

यही नहीं, बैंकों के निजीकरण को लेकर रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने सरकार से बैंकों में अपना दखल कम करने और इनके संचालन में पेशेवर प्रबंधन अपनाने की अपील की है.

खबरों पर भरोसा करें तो स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्विनी महाजन कहते हैं कि यह किसी भी तरह से अच्छा नहीं है. किसी को भी, चाहे वह निजी व्यावसायिक घराना हो या विदेशी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, उनके हाथों में सौंपना ठीक नहीं है. निजी हाथों में जाने से बैंकों का एकाधिकार बढ़ेगा. उपभोक्ताओं की परेशानी बढ़ेगी और बैंक राष्ट्रीयकरण के पहले वाली स्थिति की तरफ बढ़ जाएंगे.

महाजन का तो यह कहना है कि केन्द्र सरकार को चाहिए कि वह निजीकरण की बजाय बैंकों में अपना दखल कम करे और प्रोफेशनल प्रबंधन को बढ़ावा दे.

इस संबंध में ऑल इंडिया बैंक इंप्लाइज एसोसिएशन के अश्विनी राणा के हवाले से खबर में उनका कहना है कि यह अजीब मजाक चल रहा है. एक सरकार महिला बैंक खोलने की पहल करती है, दूसरी सरकार उसे बंद करा देती है. केन्द्र सरकार को बताना चाहिए कि जब सार्वजनिक बैंकों का निजीकरण होगा तो बैंकों की सामाजिक जिम्मेदारी को कौन निभाएगा?

सियासी सयानों का मानना है कि मोदी सरकार की दिलचस्पी सरकारी संस्थाओं में आवश्यक सुधार करने की नहीं है और न ही इन्हें भ्रष्टाचार से मुक्त करके आम आदमी को लाभ पहुंचाने में हैं, मोदी सरकार का उद्देश्य केवल इन्हें बेचकर लाभ कमाना और अपने कारोबारी मित्रों को लाभ पहुंचाना है!

मोदी सरकार को लगातार एक्सपोज करने वाले गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला ने तो- विरोध प्रदर्शन की नई रीत, के एक वीडियो सहित अनेक कार्टून भी ट्वीट किए हैं....

https://twitter.com/i/status/1370940192165560323

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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