माँ सरस्वती के पूजन का दिवस है वसंत पंचमी. देश भर में धूमधाम से मनाये जाने वाले इस पर्व से ही वसंत ऋतु की शुरुआत मानी जाती है. इस पर्व से जुड़ी खास बात यह है कि वसंत पंचमी का उत्सव सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि नेपाल और पश्चिमोत्तर बांग्लादेश समेत कई देशों में मनाया जाता है. इस दिन सभी विद्यालयों और महाविद्यालयों व गुरुकुलों में माँ सरस्वती का पूजन किया जाता है. जैसे विजयादशमी के दिन सैनिक अपने शस्त्रों का, व्यास पूर्णिमा के दिन विद्वान अपनी पुस्तकों का और दीपावली के दिन व्यापारी अपने बही खातों का पूजन करते हैं उसी प्रकार कलाकार इस दिन अपने वाद्य यंत्रों का पूजन करते हैं और माँ सरस्वती की वंदना करते हैं.

इस दिन मां शारदा का आशीर्वाद अवश्य लेना चाहिए बसंत पंचमी के बाद मौसम में बसंत ऋतु का आगमन आरंभ हो जाता है इस दिन विद्या प्राप्त करने वाले छात्र और छात्राओं को मां सरस्वती की वंदना करके अपने गुरुओं का भी आशीर्वाद ले ले तो बहुत अच्छा माना गया है. 

बसंत पंचमी भारतीय संस्कृति में एक बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने वाला त्यौहार है जिसमे हमारी परम्परा, भौगौलिक परिवर्तन , सामाजिक कार्य तथा आध्यात्मिक पक्ष सभी का सम्मिश्रण है, हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है वास्तव में भारतीय गणना के अनुसार वर्ष भर में पड़ने वाली छः ऋतुओं (बसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत, शिशिर) में बसंत को ऋतुराज अर्थात सभी ऋतुओं का राजा माना गया है और बसंत पंचमी के दिन को बसंत ऋतु का आगमन माना जाता है इसलिए बसंत पंचमी ऋतू परिवर्तन का दिन भी है जिस दिन से प्राकृतिक सौन्दर्य निखारना शुरू हो जाता है पेड़ों पर नयी पत्तिया कोपले और कालिया खिलना शुरू हो जाती हैं पूरी प्रकृति एक नवीन ऊर्जा से भर उठती है.

बसंत पंचमी को विशेष रूप से सरस्वती जयंती के रूप में मनाया जाता है यह माता सरस्वती का प्राकट्योत्सव है इसलिए इस दिन विशेष रूप से माता सरस्वती की पूजा उपासना कर उनसे विद्या बुद्धि प्राप्ति की कामना की जाती है इसी लिए विद्यार्थियों के लिए बसंत पंचमी का त्यौहार बहुत विशेष होता है.

बसंत पंचमी का त्यौहार बहुत ऊर्जामय ढंग से और विभिन्न प्रकार से पूरे भारत वर्ष में मनाया जाता है इस दिन पीले वस्त्र पहनने और मिठा पिला हलवा या पिले मिठे चावल, केशर वाली खीर बनाने और बाटने की प्रथा भी प्रचलित है तो इस दिन बसंत ऋतु के आगमन होने से आकाश में कई जगह रंगीन पतंगे उड़ाने की परम्परा भी बहुत दीर्घकाल से प्रचलन में है.


वसंत पंचमी के दिन विष्णु पूजन का भी विशेष महत्व है. इसी दिन कामदेव के साथ रति का भी पूजन होता है. भगवान श्रीकृष्ण इस उत्सव के अधिदेवता हैं. इसीलिए ब्रज प्रदेश में आज के दिन राधा तथा कृष्ण के आनंद विनोद की लीलाएं बड़ी धूमधाम से मनाई जाती हैं. इस दिन सरस्वती पूजन से पूर्व विधिपूर्वक कलश की स्थापना करके गणेश, सूर्य, विष्णु तथा महादेव की पूजा करनी चाहिए. वसंत पंचमी पर्व पर पीले वस्त्र पहने जाते हैं और हल्दी से मां सरस्वती की पूजा की जाती है. इस दिन हल्दी का ही तिलक लगाया जाता है. वसंत पंचमी के दिन घरों में पीले रंग के ही पकवान बनाए जाते हैं. पीला रंग इस बात का द्योतक होता है कि फसलें पकने वाली हैं और समृद्धि द्वार पर खड़ी है. पूजन के समय माँ सरस्वती को पीली वस्तुओं का ही भोग लगाएँ, पीले फूल चढ़ाएँ और घी का दीपक जलाकर आरती करें. 


वसंत पंचमी से जुड़ी धार्मिक मान्यताएँ


वसंत पंचमी के दिन मनुष्यों को वाणी की शक्ति मिली थी जिसके बारे में कहा जाता है कि परमपिता ने सृष्टि का कामकाज सुचारू रूप से चलाने के लिए कमंडल से जल लेकर चारों दिशाओं में छिड़का. इस जल से हाथ में वीणा धारण किए जो शक्ति प्रगट हुईं, वह सरस्वती कहलाईं. उनके वीणा का तार छेड़ते ही तीनों लोकों में कंपन हो गया और सबको शब्द और वाणी मिल गई. वसंत पंचमी के दिन विद्यालयों में देवी सरस्वती की आराधना की जाती है. इस दिन घरों में भी देवी सरस्वती की मूर्ति स्थापित कर उनकी पूजा की जाती है. इस दिन से बच्चों को विद्यारंभ कराना शुभ माना जाता है.


बसंत पंचमी के दिन का एक और विशेष महत्व भी है बसंत पंचमी को मुहूर्त शास्त्र के अनुसार एक स्वयं सिद्ध मुहूर्त और अनसूज साया भी माना गया है अर्थात इस दिन कोई भी शुभ मंगल कार्य करने के लिए पंचांग शुद्धि की आवश्यकता नहीं होती इस दिन नींव पूजन, गृह प्रवेश, वाहन खरीदना, व्यापार आरम्भ करना, सगाई और विवाह आदि मंगल कार्य किये जा सकते है.

माता सरस्वती को ज्ञान, सँगीत, कला, विज्ञान और शिल्प-कला की देवी माना जाता है.

भक्त लोग, ज्ञान प्राप्ति और सुस्ती, आलस्य एवं अज्ञानता से छुटकारा पाने के लिये, आज के दिन देवी सरस्वती की उपासना करते हैं. कुछ प्रदेशों में आज के दिन शिशुओं को पहला अक्षर लिखना सिखाया जाता है. दूसरे शब्दों में वसन्त पञ्चमी का दिन विद्या आरम्भ करने के लिये काफी शुभ माना जाता है इसीलिये माता-पिता आज के दिन शिशु को माता सरस्वती के आशीर्वाद के साथ विद्या आरम्भ कराते हैं. सभी विद्यालयों में आज के दिन सुबह के समय माता सरस्वती की पूजा की जाती है.

वसन्त पञ्चमी का दिन हिन्दु कैलेण्डर में पञ्चमी तिथि को मनाया जाता है. जिस दिन पञ्चमी तिथि सूर्योदय और दोपहर के बीच में व्याप्त रहती है उस दिन को सरस्वती पूजा के लिये उपयुक्त माना जाता है. हिन्दु कैलेण्डर में सूर्योदय और दोपहर के मध्य के समय को पूर्वाह्न के नाम से जाना जाता है.

ज्योतिष विद्या में पारन्गत व्यक्तियों के अनुसार वसन्त पञ्चमी का दिन सभी शुभ कार्यो के लिये उपयुक्त माना जाता है. इसी कारण से वसन्त पञ्चमी का दिन अबूझ मुहूर्त के नाम से प्रसिद्ध है और नवीन कार्यों की शुरुआत के लिये उत्तम माना जाता है.

वसन्त पञ्चमी के दिन किसी भी समय सरस्वती पूजा की जा सकती है परन्तु पूर्वाह्न का समय पूजा के लिये श्रेष्ठ माना जाता है. सभी विद्यालयों और शिक्षा केन्द्रों में पूर्वाह्न के समय ही सरस्वती पूजा कर माता सरस्वती का आशीर्वाद ग्रहण किया जाता है.

नीचे सरस्वती पूजा का जो मुहूर्त दिया गया है उस समय पञ्चमी तिथि और पूर्वाह्न दोनों ही व्याप्त होते हैं. इसीलिये वसन्त पञ्चमी के दिन सरस्वती पूजा इसी समय के दौरान करना श्रेष्ठ है.

सरस्वती, बसंतपंचमी पूजा

 कार्य का आरम्भ कर सकते हैं ये एक स्वयं सिद्ध और श्रेष्ठ मुहूर्त होता है.

वसंत पंचमी सरस्वती पूजन हेतु  12.41 से 13.38 का मुहूर्त अच्छा है. रेवती नक्षत्र है. 

इस दिन गोरोचन अम्बर कस्तूरी और केसर की स्याही बना कर सोने के तार से सरस्वती बीज आकर्षण मंत्र की स्थापना करने से साधक की मेघा शक्ति बढ़ती है

कल के दिन में आध्यात्मिक उन्नति हेतु  दीक्षा एवं शक्तिपात का प्रयोजन रहता है 

जातक की जिह्वा पर ये प्रयोग किया जाता है विद्यार्थी जो अभ्यास क्षेत्र से जुड़े हुए है उनकी स्मरण शक्ति को तेज करने हेतु एवं तर्क और प्रज्ञा का विकास करने हेतु बीज स्थापन प्रयोग होता है

हमारे साधना केंद्र में यह हर साल निशुल्क प्रयोजन किया जाता है सिर्फ सामग्री जातक को लानी होती है मार्केटिंग क्षेत्र हीलिंग क्षेत्र जहाँ इंसान की वाणी मधुर और मोहित बन जाती है उनको अपने क्षेत्र में यह साधना सफलता दिलाती है

श्रीविद्या में ललिता देवी की उपासना यही पंचमी पर होती है जहा साधक को ब्रह्मविद्या की प्राप्ति करवाती है 

साथ ही इस दिन पर शारिरिक आर्थिक और आध्यत्मिक उन्नति हेतु श्री यंत्र  और बगलामुखी यंत्र भी बनवा सकते है